IAS Mudra Gairola: कहानी उस आईएएस बेटी की, जिसने पूरा किया पिता का 50 साल पुराना अधूरा सपना
IAS Mudra Gairola: साल 2018 में वह पहली बार यूपीएससी की परीक्षा देती हैं और इंटरव्यू तक पहुंचती हैं। लेकिन उनका चयन नहीं होता है। अब फिर परीक्षा देती है लेकिन फिर वह फेल हो जाती हैं।;
IAS Mudra Gairola: कहा जाता है कि अगर किसी चीज को शिद्दत से चाह लो, तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है। ऐसी ही कुछ आईएएस मुद्रा गैरोला की कहानी के साथ भी है। मुद्रा गैरोला ने अपने पिता की 50 साल पुराने सपने को पूरा करने के लिए जी-जान लगा दिया और अंत में सफलता हासिल करके ही दम लिया।
मुद्रा गैरोला की कहानी सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए प्रेरणा से कम नहीं है। बीडीएस की पढ़ाई कर रही मुद्रा ने पिता के ख्वाब को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की। कई बार असफल भी हुईं। लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि किसी भी हाल में खाली हाथ नहीं लौटना है और अंत में वह आईएएस अधिकारी बन गयी।
कौन हैं आईएएस मुद्रा गैरोला
मुद्रा गैरोला (Mudra Gairola IAS) उत्तराखंड के चमोली जिले के कर्णप्रयाग की मूल निवासी हैं। वह बचपने से ही पढ़ाई में होशियार थी। उन्होंने कक्षा दस की परीक्षा में 96 फीसदी और 12वीं बोर्ड की परीक्षा में 97 फीसदी अंक हासिल किये थे। वह मेडिकल में अपना करियर बनाना चाहती थी। जिसके लिए उन्होंने बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी कोर्स (बीडीएस) में प्रवेश लिया और गोल्ड मेडल भी हासिल किया। बेटी को अपने करियर में आगे बढ़ता देख उनके पिता अरूण गैराला बेहद खुश थे। उनके पिता का सपना था कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाएं।
मुद्रा गैरोला (IAS Mudra Gairola Success Story) के पिता यह इसलिए भी चाहते थे क्योंकि वह खुद भी आईएएस की परीक्षा दे चुके थे। साल 1973 में उन्होंने आईएएस बनने के लिए यूपीएससी की परीक्षा दी थी। लेकिन वह असफल हो गये थे। इसलिए अब वह यह चाहते थे कि उनकी बेटी आईएएस अधिकारी बन उनका अधूरा सपना पूरा करें। पिता के इस सपने को बेटी मुद्रा गैरोला ने अपना संकल्प बना लिया और बीडीएस के बाद एमडीएस की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया और यूपीएससी की तैयारी में जुट गयीं।
तीन अफसलता के बाद भी नहीं टूटा संकल्प
साल 2018 में वह पहली बार यूपीएससी की परीक्षा देती हैं और इंटरव्यू तक पहुंचती हैं। लेकिन उनका चयन नहीं होता है। अब फिर परीक्षा देती है लेकिन फिर वह फेल हो जाती हैं। साल 2020 में वह तीसरी बार सिविल सर्विस की परीक्षा देती है। लेकिन पिछली बार की ही तरह रिजल्ट फेल ही रहता है। तीन असफलताओं के बाद भी वह निराशा को खुद पर हावी नहीं होने देती हैं और फिर से तैयारी में जुट जाती हैं। साल 2021 में वह यूपीएससी की परीक्षा देती है और इस बार कहानी बिल्कुल ही बदल जाती है।
वह 165वीं रैंक हासिल कर आईपीएस अधिकारी बन जाती हैं। मुद्रा यूपीएससी क्लियर कर चुकी थीं लेकिन उनके मन को संतुष्टि नहीं मिल रही थी। क्योंकि उनका अपने पिता से किया हुआ वादा अभी भी अधूरा था। इसलिए वह एक बार फिर मेहनत और लगन के साथ तैयारी में जुट जाती हैं और 2023 में फिर से यूपीएससी की की परीक्षा देती हैं।
इस बार 53वीं रैंक हासिल कर आईएएस अधिकारी बन जाती हैं और अपने पिता के ख्वाब को पूरा करती हैं। एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली आईएएस मुद्रा गैरोला की सफलता की यह कहानी युवाओं को यह प्रेरणा देती है कि वह इच्छा शक्ति दृढ़ हो तो कोई भी मुश्किल आपके रास्ते में बाधक नहीं बन सकती है।