JNU बवाल: नेत्रहीन छात्रों को पुलिस बस में बैठा कर ले गई थाने

देश की राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के स्टूडेंट्स हॉस्टल फीस बढ़ाए जाने की वजह से प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से यह प्रदर्शन चर्चा का विषय बना हुआ है। सड़क पर प्रदर्शन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में JNU प्रशासन पर बरसने के बाद छात्र अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। 

Update:2019-11-20 09:25 IST
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नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के स्टूडेंट्स हॉस्टल फीस बढ़ाए जाने की वजह से प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से यह प्रदर्शन चर्चा का विषय बना हुआ है। सड़क पर प्रदर्शन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में JNU प्रशासन पर बरसने के बाद छात्र अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।

JNU के नेत्रहीन छात्र आज दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस मुख्यालय की तरफ बढ़ रहे छात्रों को पुलिस ने वसंत विहार के पास ही रोक दिया। यहां से पुलिस इन छात्रों को वैन में भरकर वसंत कुंज पुलिस स्टेशन ले गई।

मंत्रालय की कमेटी से मिलने पहुंचे छात्र

JNUSU के कुछ सदस्य HRD मंत्रालय पहुंच गए हैं। मंत्रालय के द्वारा बनाई गई कमेटी से सभी स्टूडेंट मुलाकात करेंगे। स्टूडेंट्स की मांग है कि यूनिवर्सिटी द्वारा जो हॉस्टल फीस बढ़ाई गई है, उसे वापस लिया जाए।

क्या मानेंगे JNU के छात्र?

यह प्रदर्शन करीब एक महीने से चल रहा है जहां स्टूडेंट्स बढ़ाई गई हॉस्टल फीस को लेकर अपनी मांग पूरी तरह से वापस लेने की अपील की है। स्टूडेंट्स की मांग है कि मंत्रालय या फिर VC उनसे बात करें, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। 20 नवंबर बुधवार को छात्र संघ के कुछ सदस्य, मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा बनाई गई कमेटी से मुलाकात करने के लिए पहुंचे हैं।

एकजुट हुए JNU के ‘स्पेशल छात्र’

स्टूडेंट जब दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे, तब दिल्ली पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई में JNU के स्पेशल छात्र शशिभूषण घायल हो गए, जबकि उन्होंने पुलिस को बताया था कि वह देख नहीं सकते हैं। इसी के बाद अब JNU स्पेशल छात्रों के संगठन ने बुधवार को प्रदर्शन करने की बात कही है।

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मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा

स्टूडेंट्स के द्वारा प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करने के मसले पर JNU प्रशासन अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। प्रशासन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि स्टूडेंट्स ने हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की है और JNU की एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग पर प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के रोल पर भी सवाल खड़ा किया गया है।

छात्रों की हुंकार-नहीं झुकेंगे

हॉस्टल फीस बढ़ाने को लेकर की मांग को लेकर वापस लेने पर छात्र अड़े हुए हैं। छात्र संघ ने ऐलान किया कि जबतक बढ़ी हुई फीस पूरी तरह वापस नहीं होती है, तबतक प्रदर्शन जारी रहेगा और वह प्रदर्शन करते रहेंगे। 18 नवंबर सोमवार को किए गए प्रदर्शन के मामले में दिल्ली पुलिस ने अज्ञात छात्रों के खिलाफ कानून का उल्लंघन करने के आरोप में FIR भी दर्ज की है।

प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स का कहना है कि वीसी के नए आदेश के बाद JNU देश का सबसे महंगा विश्वविद्यालय बन जाएगा। हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक वीसी अपने आदेश को वापस नहीं ले लेते।

वैसे तो, छात्रों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए JNU प्रशासन ने बढ़ी हुई फीस में कुछ कटौती भी कर दी है। इन सबके बाद भी स्टूडेंट्स का कहना है कि JNU का बढ़ा हुआ फीस स्ट्रक्चर देश के दूसरे प्रमुख विश्वविद्यालयों की तुलना में ज्यादा है।

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JNU में फीस बढ़ोतरी को लेकर मचा है बवाल

JNU प्रशासन द्वारा फीस कम करने के बाद भी JNU देश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय बन जाएगा, जहां पर हॉस्टल फीस देश के दूसरे विश्वविद्यालयों की तुलना में ज्यादा वसूली जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार यह पता चला कि JNU के छात्र अब सबसे ज्यादा फीस का भुगतान करेंगे। आपको बता दें कि देश की पांच चुनिंदा यूनिवर्सिटी से JNU की तुलना की जाए तो फीस में काफी बढ़ोतरी कर दी गई है।

अगर बात करें देश की अन्य विश्वविद्यालयों की तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया सहित देश के कई अन्य विश्वविद्यालयों की हॉस्टल फीस बहुत सस्ती है।

संशोधित शुल्क JNU को महंगा बना देगा

JNU का पुरानी फीस बेशक देश के दूसरे विश्वविद्यालयों की तुलना में कम थी, लेकिन संशोधित शुल्क JNU को दिल्ली में स्थित दिल्ली विश्वविद्यालय और इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से भी महंगा बना देगा। अगर बढ़ी हुई फीस को जोड़ लें तो वर्तमान में भोजन और आवास सहित वार्षिक शुल्क तकरीबन 41,000 से 61,000 रुपये तक जा सकता है। JNU में हॉस्टल चार्जेज में बढ़ोतरी को सेवा फीस बढ़ने की वजह बताई जा रही है। वैसे तो, जिस सेवा शुल्क को JNU में लागू करने की बात की जा रही है वह देश के कई विश्वविद्यालयों में लागू नहीं है।

आपको बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों को भोजन और आवास दोनों के लिए सालाना औसतन 28,500 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भी सस्ता है, जिसमें छात्रों को सालाना औसतन 27,400 रुपये का ही भुगतान करना पड़ता है। वहीं यूपी के अन्य प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालय अलीगढ़ यूनिवर्सिटी जो दिल्ली से करीब है वहां पर तो महज 14,400 रुपये में ही काम चल जाता है। दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया में वार्षिक शुल्क फिलहाल 35,000 रुपये लिया जाता है।

दूसरे विश्वविद्यालयों की करें तो वहां पर भी थोड़ा-बहुत ही अंतर है

अगर बात देश के दूसरे विश्वविद्यालयों की करें तो वहां पर भी थोड़ा-बहुत ही अंतर है। पश्चिम बंगाल में विश्व भारती विश्वविद्यालय में 21,600 रुपये से लेकर 30,400 रुपये के बीच फीस लिया जाता है। देश में उत्तर, पूर्वी और पश्चिम की तुलना में दक्षिण के विश्वविद्यालय बहुत सस्ते हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय का तो हॉस्टल शुल्क महज 1,000 रुपये ही है। प्रति सेमेस्टर के आधार पर 500 रुपये और मेस के लिए लगभग 13,000 रुपये लिया जाता है। पुडुचेरी विश्वविद्यालय में 12,000 रुपये से 15,200 रुपये के बीच फीस लिया जाता है।

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आपको बता दें कि भारत में 41 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से JNU की बढ़ी हुई फीस को छोड़ दें तो बाकी विश्वविद्यालयों में महज 15,000 रुपये से लेकर 35,000 रुपये के बीच ही फीस लिए जाते हैं। JNU के छात्रों का तर्क यह है कि क्योंकि JNU में लगभग 40 प्रतिशत छात्र वंचित श्रेणी से आते हैं इसलिए ये बढ़ोतरी ठीक नहीं है। वहीं दूसरी तरफ JNU प्रशासन ने फीस बढ़ोतरी को सही ठहराया है। JNU प्रशासन का तर्क यह है कि पिछले 19 वर्षों में फीस में कोई संशोधन नहीं हुआ है।

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