Naga Women Sadhu: पुरूषों की तरह महिलाएं भी बनती हैं नागा साधू, जानें क्या है प्रक्रिया

Naga Women Sadhu: संगम में डुबकी लगाने पुरूष नागा साधु की तरह बड़ी संख्या में महिला नागा साधु भी पहुंचेंगी। पुरूषों की तरह महिला नागा साधुओं का जीवन भी भगवान को समर्पित होता है।

Update:2023-01-06 13:18 IST

Naga Women Sadhu (Pic: Social Media)

Naga Women Sadhu: संगमनगरी प्रयागराज में माघ मेला 2023 की तैयारियां जोरों पर है। इस दौरान न केवल श्रद्धालु बल्कि नागा साधु भी दूर-दराज के इलाकों से पवित्र संगम में डुबकी लगाने आएंगे। इस दौरान पुरूष नागा साधु की तरह बड़ी संख्या में महिला नागा साधु भी पहुंचेंगी। पुरूषों की तरह महिला नागा साधुओं का जीवन भी पूरी तरह से भगवान को समर्पित होता है। सांसारिक मोह-माया का त्याग करने के बाद ही कोई महिला एक नागा साधु बन पाती है। जब कोई महिला नागा साधु बन जाती है, तो सारे ही साधु और साध्वियां उसे माता कहने लगती हैं।

महिला और पुरूष नागा साधु में अंतर

पुरूष नागा साधु सार्वजनिक तौर पर नग्न रह सकते हैं। मगर महिला नागा साधु ऐसा नहीं कर सकतीं। नागा में बहुत से वस्त्रधारी और बहुत से दिगंबर (निर्वस्त्र) होते हैं। इसी तरह महिलाएं भी जब सन्यास में दीक्षा लेती हैं तो उन्हें भी नागा बनाया जाता है। मगर वे सभी वस्त्रधारी होती हैं। महिला नागा साधुओं को अपने मस्तक पर एक तिलक लगाना होता है। उन्हें एक ही कपड़ा पहनने की अनुमति होती है, जो गेरूए रंग का होता है। महिला नागा साधु जो कपड़ा पहनती हैं, वो सिला हुआ नहीं होता है। इसे गंती कहते हैं।

इन महिला नागा साधुओं को कंभ के दौरान भी नग्न स्नान नहीं करना होता है। वे स्नान के समय भी गेरूए वस्त्र को पहने रहती हैं। महिला नागा साधु पुरूष नागा साधु नहाने के बाद ही नहाने के लिए नदी में उतरती हैं। अखाड़े की महिला साधुओं को माई, अवधूतानी अथवा नागिन कहा जाता है। हालांकि, पुरूषों के विपरीत इन माई या नागिनों को अखाड़े के प्रमुख पदों में से किसी पद पर नहीं चुना जाता है।

नागा महिला साधु बनने की प्रक्रिया

नागा साधु बनने से पहले महिला को 6 से 12 साल की अवधि तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जब महिला ऐसा कर पाने में सफल हो जाती है। तब उसे उसके गुरू नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं। नागा साधु बनने से पहले महिला साधु को अपना पिंडदान करना होता है और पिछली जिंदगी को पीछे छोड़ना होता है। महिला नागा साधु बनने के दौरान महिलाओं को अपने बाल छिलवाने होते हैं। इसके बाद वे नदी में स्नान करती हैं। यह उनके साधारण महिला से नागा साधु बनने की प्रक्रिया होती है। महिलाओं को सन्यासी बनाने की प्रक्रिया अखाड़ों के सर्वोच्च पदाधिकारी आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा पूरी कराई जाती है।

महिला नागा साधुओं की साधना सुबह नदी में स्नान के बाद शुरू होती है। वे पूरा दिन भगवान का जाप करती हैं। सुबह तड़के उठकर भगवान शिव की आराधना करती है। शाम में वह भगवान दत्तात्रेय की पूजा करती हैं। बता दें कि माई बाड़ा, वह अखाड़ा है जिनमें महिलाएं ही नागा साधु होती हैं।  

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