सिंघु बॉर्डर पर फायरिंगः किसानों के धरने में तनाव, महिला संभाल रहीं आंदोलन

आज 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किसान आंदोलन की कमान महिलाओं के हाथ में रहने वाली है। जिसके लिए बड़ी संख्या में महिला किसान धरना स्थल पर पहुंच रही हैं।

Update:2021-03-08 09:19 IST

रामकृष्ण वाजपेयी

किसानों के धरनास्थल सिंघू सीमा के पास रविवार रात कुछ अज्ञात लोगों द्वारा गोलीबारी की गई। इस जगह किसान पिछले 100 दिनों से तीन विवादास्पद कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। घटना की सूचना मिलते ही हरियाणा के कुंडली से पुलिस मौके पर पहुंच गई और छानबीन शुरू कर दी गई है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला किसान कर रहीं आंदोलन का नेतृत्व

गौरतलब है की आज 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किसान आंदोलन की कमान महिलाओं के हाथ में रहने वाली है। जिसके लिए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में महिला किसान धरना स्थल पर पहुंच रही हैं। किसानों ने इस अवसर पर ट्रैक्टर मार्च का आयोजन भी किया हुआ है। फायरिंग की घटना उस समय हुई जब हरियाणा के किसान धरना स्थल पर लंगर में खाना बना रहे थे।

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सिंघू बाॅर्डर पर फायरिंग से हड़कंप, जांच जारी

धरना स्थल पर फायरिंग करने वाले कौन थे. उनकी मंशा क्या थी। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस के सूत्रों का कहना है कि पुलिस को संदेह है कि फायरिंग करने वाले अराजक तत्व पंजाब के थे क्योंकि जिस वाहन का उन्होंने इस्तेमाल किया उसमें पंजाब की नंबर प्लेट थी। इस घटना के बाद धरना स्थल पर पुलिस जवानों की तैनाती बढ़ा दी गई है। मामले की जांच जारी है।

15 हजार महिला किसानों ने संभाला मोर्चा

सिंघू, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं पर किसानों के धरना स्थल पर करीब 15 हजार महिला किसानों के पहुंचने की बात कही जा रही है जिसमें स्कूलों की प्रधानाचार्य, अध्यापिकाएं और समाजसेवी कार्यकत्रियां भी शामिल हैं।

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देश के कृषि क्षेत्र में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकारते हुए किसान आंदोलन के आयोजकों ने किसान समुदाय के इस बड़े लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त हिस्से की सहभागिता को स्वीकार करने के लिए यह विस्तृत योजना बनाई है।

पंजाब और हरियाणा से हजारों महिला किसान दिल्ली बाॅर्डर पर पहुंची

किसान नेताओं का कहना है कि आठ मार्च को विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा से हजारों महिला किसान दिल्ली की सीमाओं पर एकत्र हुई हैं और यह दिन पूरी तरह से महिला किसानों, कार्यकर्ताओं और छात्रों को समर्पित है।

संयुक्त किसान मोर्चा के एक नेता का कहना है कि महिला दिवस मनाने के लिए, मंच का प्रबंधन महिलाओं द्वारा किया जाएगा, और वक्ता भी महिलाएँ होंगी। और सिंघू सीमा पर एक छोटा मार्च होगा। हम विभिन्न महिलाओं से अलग-अलग विरोध स्थलों पर शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं।

26 नवंबर से शुरू हुआ किसान आंदोलन

किसानों का विरोध पिछले साल 26 नवंबर को शुरू हुआ था, जब पंजाब और हरियाणा से हजारों किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च किया था, जिसमें नये कृषि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग की गई थी।

किसानों को डर है कि कानूनों से सरकार द्वारा चुनिंदा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की समाप्ति हो जाएगी, और किसानों को बड़े कॉर्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।

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