Womens Empowerment: पुरानी फाइल से! पुरस्कार तो दूर ‘5 महिला शक्ति‘ ढूंढ नहीं पाई सरकार
Womens Empowerment: भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही "5 महिला शक्ति" अभियान के तहत देश की पांच महिलाओं को ढूंढ़कर पुरस्कार देने की योजना बनाई गई थी। इसके तहत अनेक वर्षों से बेहतर समाज के लिए काम करने वाली महिलाओं को खोजा जाता था।
Womens Empowerment News: नई दिल्ली, 03 जुलाई, 2000, सरकार को इस वर्ष अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित पांच महिला पुरस्कारों की तारीख भी तय कर ली गई थी। लेकिन सरकार इस तारीख को पुरस्कार देना तो दूर, इसके लिए उन महिलाओं की तलाश करना भी भूल गई जिन्हें पुरस्कार दिया जा सकता था। इन पुरस्कारों के वितरण की जनवरी में हुई घोषणा के बाद से आज तक सरकार इन महिलाओं का चयन ही नहीं कर पाई है।
इन पुरस्कारों की धोषणा सरकार के महिला और विकास मंत्रालय ने जनवरी में की थी। इसकी घोषणा के लिए बाकायदा आयोजन किया गया था। लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी सरकार इन पुरस्कारों की सुध नहीं ले पाई है।
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महिला और बाल विकास मंत्री सुमित्रा महाजन ने देश की महिला शक्ति को सम्मानित करने के लिए नई सहस्त्राब्दी के आरंभ में देवी अहिल्या बाई होल्कर, कन्नगी, माता जीजा बाई, रानी गेदनलों जेलियांग और रानी लक्ष्मी बाई के नाम से पांच नये पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की थी और यह भी किया था कि आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इन पुरस्कारों से देश की पांच महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा। लेकिन आज तक पुरस्कारों की घोषणा होना तो दूर इस संबंध में सरकार द्वारा गठित कमेटी की कोई बैठक भी नहीं हो पाई है।
सरकारी नजरिये की बानगी यह है कि कई महिला संगठनों की लगातार पैरवी और कई राज्य सरकारों केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इन पुरस्कारों के लिए प्रविष्टियां भेजने के बाद भी इन पुरस्कारों की घोषणा करना महिला व बाल विकास मंत्रालय के एजेंडे में शामिल नहीं हो पाया। कठिन परिस्थितियों में भी महिला अधिकार के लिए संघर्ष करने और महिलाओं तथा बालकों के पुनर्वास की दिशा में काम करने वाली महिला को रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार से सम्मानित किया जाना था। महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा घोषित इन सभी पुरसकारों में एक लाख रुपये नकद और प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की गई थी। रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार को छोड़कर शेष सभी पुरस्कार शिक्षा व प्रशिक्षण, पर्यावरण संरक्षण, महिला आधिकारिकता व सामुदायिक विकास या किसी भी अन्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किए जाने की घोषणा की गई थी।
केंद्र सरकार ने इन पुरस्कारों के लिए सभी राज्य सरकारों से प्रविष्टियां आमंत्रित की थीं और कहा था कि प्रत्येक राज्य इसके लिए अपने यहां एक चयन समिति का गठन कर लें। राज्यों की समिति में राज्य महिला आयोग और समाज कल्याण राज्य सलाहकार परिषद की प्रतिनिधि सहित समाज कल्याण सचिव व महिला अधिकारिता के लिए काम कर रहे तीन स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों को नामित करने का प्रावधान किया गया है। आम जनता सहित राज्यों के मुख्य सचिवों को भी इन पुरस्कारों के लिए नामों की संस्तुति का अधिकार प्रदान किया गया है।
इन माध्यमों से भेजे गये नामों को अंतिम रूप देने के लिए केंद्र में सात सदस्यीय एक कमेटी गठित करने का प्रावधान किया गया था। इसमें सचिव महिला व बाल विकास, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा, सामाजिक न्याय व अधिकारिता, ग्रामीण विकास सचिव या उसके प्रतिनिधि तथा राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही दो स्वयंसेवी संस्थाएं या व्यक्ति को सदस्य बनाया गया था। इस समिति का पदेन सदस्य सचिव महिला विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव को बनाया गया है।
(मूल रूप से दैनिक जागरण के नई दिल्ली संस्करण में दिनांक- 04 जुलाई, 2000 को प्रकाशित)