निंदनीय: जिस प्रदेश के विकास में हाथ बंटाया, उन सरकारों ने मजदूरों से मोड़ा मुंह
देश के अलग-अलग जगहों पर प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। हर कोई अपने घर आने को बेताब है। मगर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में इन मजदूरों को कहां पता था कि घर वापसी की उनकी आस रेल की पटरी पर ही दम तोड़ देगी। ये सभी मजदूर थककर चूर हो चुके थे, और आराम करना चाहते थें।
नई दिल्ली: आज सुबह औरंगाबाद में हुई रेल दुर्घटना ने एक बार फिर देश को हिलाकर रख दिया। जब कोरोना वायरस संकट और लॉकडाउन की वजह से अपने घर जाने को प्रवासी मजदूरों की रेल दुघटना में मौत हो गयी। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पटरी पर सो रहे मजदूरों को एक मालगाड़ी ने रौंद डाला। इस हादसे में करीब 14 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई है और करीब 5 घायल हो गए हैं।
सभी मजदूर थककर चूर हो चुके थे
दरअसल देश के अलग-अलग जगहों पर प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। हर कोई अपने घर आने को बेताब है। मगर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में इन मजदूरों को कहां पता था कि घर वापसी की उनकी आस रेल की पटरी पर ही दम तोड़ देगी। ये सभी मजदूर थककर चूर हो चुके थे, और आराम करना चाहते थें। उनका यही आराम करना उनकी मौत का कारण बन गया।
कोरोना संक्रमण के चलते जारी लॉक डाउन में सबसे अधिक परेशान यही प्रवासी मजदूर हो रहे हैं। जो काम की तलाश में दूसरे राज्यो में फंसे हुए हैं और अब पेट भूख शांत करने के लिए अपने घर लौटना चाहते है। इसे विडम्बना कहें या कुछ और कहें कि जिस राज्य में ये मजदूर वर्षो से काम काज कर उस प्रदेश के विकास में जुटे हुए थें अब उन प्रदेशो की सरकारें अब इन श्रमिको को उनके घर भेजने में आनाकानी कर रही हैं। हाल यह है कि इन मजदूरों को भेजने के लिए किराए को लेकर भी राजनीति शुरू हो चुकी है। हर राज्य सरकार अपने हाथ पीछे खींचने में लगी हुई है।
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यूपी की योगी सरकार का काम सराहनीय
यूपी की योगी सरकार जरूर इस दिशा में कुछ काम कर रही है। उसने प्रवासी मजदूरों की परेशानी को देखते हुए एक जनसुनवाई पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल की मदद से सभी प्रवासी मजदूरों के लिए घर जाने का रास्ता खुल गया है। यहां पर रजिस्ट्रेशन कराकर प्रवासी मजदूर अपने घर जा सकते हैं। हालांकि यूपी में इस बात को लेकर विवाद हुआ कि प्रवासी मजदूरों से रेलवे ने टिकट के पैसे लिए इसी तरह केरल के तिरुवनंतपुरम से झारखंड के जसीडीह पहुँची विशेष ट्रेन के इन यात्री मजदूरों को उनके घरों तक पहुँचाने के लिए झारखंड सरकार ने बसों का इंतजाम किया था।
लॉकडाउन में उनके भूखे मरने की नौबत
पक्षिम बंगाल में मजदूरी के लिए रहने वाले राजस्थान के सैकड़ों लोग सरकार की ओर से शुरू की गई बसों के जरिए जब वापस लौटै तो तो अधिकांश मजदूरों की एक ही व्यथा है कि लॉकडाउन में उनके भूखे मरने की नौबत आ गई थी, ममता बनर्जी सरकार से उन्हें न भोजन मिला न बीमार होने पर कोई मेडिकल हेल्प।
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केरल से चली ऐसी दो ट्रेनें जब झारखंड पहुँची. इन ट्रेनों में सफर करने वाले मजदूरों का कहना है कि उन्होंने अपना किराया खुद भरा हैं इस तरह की शिकायते पूरे देश से आ रही हैं। प्रवासी मजदूर अपने घर जाने के लिए उधार ले रहे हैं। उनको दूसरे शहर में उधार देने वाला भी कोई नहीं है। इस लिए वह पैदल ही अपने घर जा रहे है। आज हुई टेªन दुर्घटना इसी का परिणाम है।