विश्व धरोहर समिति के उद्घाटन सत्र में पीएम माेदी बोले - भारत को जानने के लिए अवधारणाओं से मुक्त नई सोच की जरूरत

World Heritage Committee : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत आज गुरु पूर्णिमा का पवित्र पर्व मना रहा है और ऐसे दिन पर इस सत्र की शुरुआत हो रही है और भारत में इसका आयोजन पहली बार हो रहा है।

Report :  Rajnish Verma
Update:2024-07-21 23:09 IST

World Heritage Committee : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिल्ली दुनिया को भारत की राजधानी के रूप में जानती है, लेकिन ये शहर हजारों साल पुरानी विरासतों का केंद्र भी है। उन्होंने कहा कि यह आपको ऐतिहासिक विरासतों के दर्शन भी होंगे। उन्होंने कहा कि यहां एक कई टन का स्तंभ भी है, जो 2000 सालों से खुले में खड़ा है, इसके बावजूद आज तक रस्ट रेजिस्टेंट है। इससे साफ है कि भारत की विरासत सिर्फ एक इतिहास ही नहीं, बल्कि भारत की विरासत एक विज्ञान भी है। भारत की विरासत में टॉप नोज इंजीनियरिंग के एक गौरवशाली यात्रा के दर्शन होते हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत आज गुरु पूर्णिमा का पवित्र पर्व मना रहा है और ऐसे दिन पर इस सत्र की शुरुआत हो रही है और भारत में इसका आयोजन पहली बार हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस सत्र में दुनियाभर से आए विशेषज्ञों का इसमें शामिल होना, इसकी समृद्धि को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भारत की उस धरती पर हो रहा है, जो कि प्रचीनतम जीवंत सभ्याताओं में से एक है। 

धरोहरों का वापस आना वैश्विक उदारता

पीएम मोदी ने कहा कि बीते सालों में भारत की प्राचीन धरोहरों को वापस लाया गया है, जिनकी संख्या 350 से ज्यादा है। उन्होंने ऐसी धरोहरों का वापस आना वैश्विक उदारता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि हम जिस राज्य से हैं, वह गुजरात है। वहां धोलावीरा और लोथल जैसे स्थान हैं, वहां की सभ्यताओं को देखकर आज भी विशेषज्ञ हैरान हैं। भारत की सभ्यता प्राचीन है और इतिहास व्यापक है। उन्होंने कहा कि हमें अतीत को देखने के लिए नए दृष्टिकोण विकसित करने पड़ रहे हैं।

पीएम ने सिनौली का किया जिक्र

पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के सिनौली में मिले साक्ष्यों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन साक्ष्यों के बारे में वैश्चिक विशेषज्ञों को जरूर जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिनौली की कॉपर एज की है, लेकिन ये सिंधु घाटी सभ्यता की जगह वैदिक सभ्यता से मेल खाती है। यहां पर एक रथ भी मिला था, जो 4 हजार साल पुराना है। उन्होंने कहा कि भारत को जानने के लिए अवधारणों से मुक्त नई सोच की आवश्यकता है।

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