Telangana Mein Bal Vivah Ki Pratha: भारत के इस राज्य की बेटियां आज भी झेल रहीं बाल विवाह का दंश, हैरान कर देने वाली है यूनिसेफ की रिपोर्ट

Bal Vivah Ki Pratha in Telangana: भारत के तेलंगाना राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की अक्सर शादी कम उम्र में कर दी जाती है। राज्य में विवाह योग्य आयु 18 वर्ष होने से पहले ही विवाह सम्पन्न हो रहे हैं।;

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2025-01-20 12:10 IST

Telangana Mein Bal Vivah Ki Pratha Ka Itihas(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Telangana Mein Bal Vivah Ki Pratha Ka Itihas: भारत में बाल विवाह की प्रथा (Bal Vivah Ki Pratha) का इतिहास प्राचीन काल से शुरू हुआ था। यह प्रथा मध्यकाल में भी जारी रही। बाल विवाह को परिवार के सम्मान और संपत्ति को बचाने का तरीका माना जाता था। वहीं आधुनिक समाज के विकास में बाल विवाह (Child Marriage) बड़ी चुनौती है। आज भी बाल विवाह कई समुदायों में सामाजिक परम्परा के स्वरूप में प्रचलित है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का एक निर्मम उल्लंघन है। सभी बच्चों को परिपूर्ण देखभाल एवं संरक्षण का अधिकार होता है, भले ही वे किसी भी सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से क्यों न हो।

भारत का एक ऐसा ही राज्य तेलंगाना (Telangana) है, जहां के ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की अक्सर शादी कम उम्र में कर दी जाती है, जो पत्नी-मां की जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ होती हैं। जबकि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार, कानूनी आयु सीमा (Legal Age Limit For Marriage) से कम आयु के बच्चों के बीच किया गया कोई भी विवाह अमान्य है। इस अधिनियम में नाबालिगों के बीच बाल विवाह की अनुमति देने या करवाने या नाबालिगों का वयस्कों से विवाह करवाने जैसे विभिन्न अपराधों के लिए दंड का प्रावधान भी है।

वर्तमान समय में प्रतिदिन सामने आ रहे बाल विवाह के तीन मामले

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राज्य में लड़कियों को तीन-तरफा जाल में बंधक बनाकर रखा जा रहा है। विवाह योग्य आयु 18 वर्ष होने से पहले ही विवाह सम्पन्न हो रहे हैं। बाल विवाह के बारे में क्षेत्र स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के बावजूद, माता-पिता इस सामाजिक बुराई से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। वित्तीय कठिनाइयां और जल्दी शादी करने तथा जिम्मेदारियां उठाने की इच्छा बच्चों को पढ़ाई की इच्छा से विचलित कर रही है।

पिछले वर्ष तेलंगाना में अधिकारियों ने लगभग एक हजार बाल विवाह रोके। वर्तमान में प्रतिदिन तीन मामले सामने आ रहे हैं। ये मामले तभी प्रकाश में आते हैं जब कोई व्यक्ति बाल विवाह रोकथाम अधिनियम और चाइल्डलाइन के बारे में जागरूकता के साथ आगे आकर शिकायत दर्ज कराता है।

महबूबाबाद जिले से जुड़ी यूनिसेफ की हैरान कर देने वाली रिपोर्ट

तेलंगाना में यह कुप्रथा खासकर महबूबाबाद जिले में थामने का नाम नहीं ले रही है। यूनिसेफ के हालिया अध्ययन से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर बाल विवाह दर 24.5 प्रतिशत है, जबकि तेलंगाना में यह 26.2 प्रतिशत से घटकर 23.5 प्रतिशत हो गई है। महबूबाबाद जिला राज्य में अशिक्षा और जागरूकता की कमी के चलते समय के साथ काफी पिछड़ा हुआ है।

कम उम्र में पत्नी और मां के रूप में जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी ये लड़कियां शारीरिक और भावनात्मक कठिनाइयों का सामना करती हैं। साथ ही सामाजिक और पारिवारिक दबावों के कारण अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करने में असमर्थ होती हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी अमीर परिवारों की लड़कियों की तुलना में कम उम्र में होने की संभावना अधिक होती है।

राज्य स्तर पर, निचले स्तर के परिवारों की 15-19 वर्ष की आयु की 16.4 प्रतिशत लड़कियों की शादी बाल वधू के रूप में की गई, जबकि मध्यम वर्ग की 15.1 प्रतिशत लड़कियों और शीर्ष अमीर परिवारों की 5.3 प्रतिशत लड़कियों की शादी बाल वधू के रूप में की गई।

क्या कहती है राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग - एनसीपीसीआर, अपनी रिपोर्ट में पहले ही कह चुका है कि कम उम्र में गर्भवती होने वाले बच्चों में समय से पहले जन्म और स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं। हाल ही में, इसने राज्य के 7,717 स्कूलों में लड़कियों की उपस्थिति की निगरानी की और चेतावनी दी कि उन स्कूलों में पढ़ने वाली 9,000 से अधिक लड़कियां खतरे में हैं। इसने सभी राज्यों को सलाह दी है कि यदि छात्राएं बिना पूर्व अनुमति के 30 दिनों से अधिक समय तक स्कूल से अनुपस्थित रहती हैं तो इस पर निगरानी रखने की जरूरत है।

नाबालिगों में प्रेम विवाह में वृद्धि एक और चिंताजनक विषय

माता-पिता की सामाजिक स्थिति बाल विवाह का मुख्य कारण है। वहीं, नाबालिगों में प्रेम विवाह में हो रही तेजी से वृद्धि भी एक चिंताजनक विषय है। जनगांव जिले में, 10वीं कक्षा की एक छात्रा ने अपने माता-पिता के विरोध के बावजूद, अपने प्रेमी से विवाह कर लिया। हालांकि उसने 10वीं की परीक्षा दी। लेकिन बाद में उसके पति ने उसकी शिक्षा पर रोक लगा दी। जिससे उसे अपने माता-पिता के घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसे अनगिनत उदाहरण यहां मौजूद हैं।

जागरुकता और कानूनी दखल से धीरे-धीरे दिख रहा समाज में बदलाव

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कुछ मामलों में, जागरुकता अभियान और समय पर कानूनी हस्तक्षेप के कारण समाज में बदलाव आया है और इस कुप्रथा में कमी आई है। महबूबाबाद जिले के मन्नेगुडेम गांव में, एक नाबालिग लड़की ने अपनी शादी को रोकने के लिए बहादुरी से चाइल्डलाइन को फोन किया, जो यह दर्शाता है कि शिक्षा और जागरूकता बच्चों को ऐसी कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ने के लिए सशक्त बनाने में कामयाबी हासिल कर रही है। जिसके लिए जिला कलेक्टर, आरडीओ, सीडीपीओ, तहसीलदार, पर्यवेक्षक और पंचायत सचिवों को बाल विवाह की निगरानी और रोकथाम का काम सौंपा गया है।

कई योजनाओं ने राज्य में बाल विवाह को रोकने में की है मदद

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तेलांगना में बाल विवाह के सबसे अधिक प्रचलन वाले शीर्ष तीन जिले खम्मम, नलगोंडा और महबूबनगर थे, जबकि करीमनगर में सबसे कम प्रचलन पाया गया। एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 और 2021 के बीच बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत राज्य में बाल विवाह के केवल 154 मामले आधिकारिक तौर पर दर्ज किए गए थे। वास्तव में, पिछले पांच वर्षों में राचकोंडा कमिश्नरेट के अधिकार क्षेत्र में 117 बाल विवाह टाले गए। उनमें से 21 को अकेले 2023 में रोक दिया गया।

एनएफएचएस (2019-21) आगे रिपोर्ट करता है कि तेलंगाना में 20-24 वर्ष की आयु की 23.5 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो गई थी। किशोर गर्भावस्था, जो मुख्य रूप से बाल विवाह का परिणाम है, अखिल भारतीय स्तर पर 2015-16 में 7.9 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 6.8 प्रतिशत हो गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि तेलंगाना में इसी तरह की कमी 10.6 प्रतिशत से घटकर 5.8 प्रतिशत हो गई है।

अधिकारियों के अनुसार, सरकार विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाने के लिए कदम उठा रही है।ताकि वे राज्य में बाल विवाह को कम करने के लिए मिलकर काम कर सकें। अधिकारियों ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई ’कल्याण लक्ष्मी’ और ’शादी मुबारक’ योजनाओं ने राज्य में बाल विवाह को रोकने में मदद की है।

बाल विवाह से जुड़ी कुछ खास बातें

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

वैदिक काल में 8-10 साल की लड़कियों की शादी बड़े पुरुषों से कर दी जाती थी।

मध्यकाल में लड़कियों की शादी कम उम्र में होने लगी और छह या आठ साल की उम्र की लड़कियों की शादी आम बात हो गई।

औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश सरकार ने बाल विवाह पर रोक लगाने की कोशिश की।

1929 में बाल विवाह को गैरकानूनी घोषित किया गया था।

1949 में लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 15 साल कर दी गई।

1978 में महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल और पुरुषों के लिए 21 साल कर दी गई।

2006 में बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया गया

18 साल से कम उम्र की लड़कियों और 21 साल से कम उम्र के लड़कों की शादी करना अपराध है, जिसके लिए दो साल की कैद, एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यह गैर-जमानती अपराध है। समाज के जिम्मेदार लोग बाल विवाह के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए चाइल्डलाइन (1098 या 181) या पुलिस (100) को सूचना दे सकते हैं।

Tags:    

Similar News