देश के लिए गर्व की बात, यूनेस्को के विश्व धरोहर की लिस्ट में पिंक सिटी जयपुर भी शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के तौर पर चिन्हित किए जाने पर खुशी जतायी। मोदी ने ट्वीट किया, 'जयपुर संस्कृति और शौर्य के साथ जुड़ा शहर है। मनोहर और ऊर्जावान, जयपुर का आतिथ्य दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता है । खुशी है कि यूनेस्को ने इस शहर को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर चिन्हित किया है।'
जयपुर:राजस्थान के खूबसूरत शहरों में शामिल जयपुर को यूनेस्को के विश्व धरोहर की लिस्ट में जगह मिली है।सांस्कृतिक विरासत और जीवंत संस्कृति के लिए मशहूर प्राचीन जयपुर का टूरिज्म के नक्शे में अपना विशेष ही महत्व है और देश ही नहीं विदेशों से भी लाखों की तादात में पयर्टक यहां घूमने आते हैं। यूनेस्को ने ट्वीट किया, 'भारत के राजस्थान में जयपुर शहर को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के तौर पर चिन्हित किया गया।' बाकू (अजरबैजान) में 30 जून से 10 जुलाई तक यूनेस्को की विश्व धरोहर कमेटी के 43 वें सत्र के बाद इसकी घोषणा की गयी । इस बैठक में विश्व विरासत सूची में जयपुर शहर का नाम शामिल करने पर विमर्श हुआ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के तौर पर चिन्हित किए जाने पर खुशी जतायी। मोदी ने ट्वीट किया, 'जयपुर संस्कृति और शौर्य के साथ जुड़ा शहर है। मनोहर और ऊर्जावान, जयपुर का आतिथ्य दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता है । खुशी है कि यूनेस्को ने इस शहर को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर चिन्हित किया है।'
अजरबैजान में यूनेस्को की समीति की 43वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे ने बधाई दी।अब तक विश्व विरासत सूची में 167 देशों के 1092 स्थल शामिल हुए।
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Jaipur is a city associated with culture and valour. Elegant and energetic, Jaipur’s hospitality draws people from all over.
Glad that this city has been inscribed as a World Heritage Site by @UNESCO. https://t.co/1PIX4YjAC4
— Narendra Modi (@narendramodi) 6 July 2019
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क्या है खासियत राजस्थान में ऐतिहासिक शहर जयपुर की स्थापना सवाई जय सिंह द्वितीय के संरक्षण में हुई थी। सांस्कृतिक रूप से संपन्न राज्य राजस्थान की राजधानी है।जयपुर राजस्थान राज्य की राजधानी भी है,जयपुर में घूमने के तमाम स्थान है जहां टूरिस्ट घूमने का लुत्फ उठाते हैं। इस शहर की स्थापना 1728 में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहां के स्थापत्य की खूबी है।1876 में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है।
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जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और ३४ मीटर चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शहर के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा।
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