प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे से राजनीति गरमाई

Update:2017-10-27 13:38 IST

 

देहरादून। दिवाली के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आने पर एक दैवीय अनुभूति होती है। हालांकि केदारनाथ में प्रधानमंत्री के संबोधने के बाद राजनीति भी गरमा गई है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पर्यावरण, प्रकृति और आध्यात्मिकता पर विशेष फोकस किया। प्रधानमंत्री के भाषण की खास बात उनका गढ़वाली में संबोधन भी रही। मौजूद लोगों का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा- ‘मेरू सादर नमस्कार। सबहू कू आशीर्वाद। सब पर केदार बाबा का आशीर्वाद बण्यू रहे।’ गढ़वाली में बोलने के साथ ही प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड से जुड़े कई मुद्दों पर बात की।

मनमोहन सरकार पर बोला हमला

छह महीने में दूसरी बार केदारनाथ दर्शन करने आए पीएम मोदी ने बिना नाम लिए पूर्व मनमोहन सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने केदारनाथ दर्शन के बाद लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस काम को केदारनाथ में आई आपदा के बाद कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने रोक दिया था उसे बाबा केदारनाथ ने पूरा कर दिया है। मोदी ने कहा कि जब 2013 में केदारनाथ में आपदा आई थी उस समय वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। आपदा की पीड़ा उनसे सहन नहीं हुई और इसीलिए उन्होंने तब यह इच्छा जाहिर की थी कि उन्हें केदारनाथ में पुनॢनर्माण का काम सौंपा जाए। इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री (विजय बहुगुणा) और अधिकारियों के साथ बंद कमरे में मीटिंग भी हो चुकी थी। इस बात की बस औपचारिक घोषणा होना बाकी थी मगर एक ही घंटे में दिल्ली में ऐसा हडक़म्प मचा कि इस फैसले को रोक दिया गया।

विजय बहुगुणा का बचाव

खास बात यह है कि मोदी केदारनाथ में अपने इस बयान से तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का बड़ी बारीकी से बचाव कर गये। आपदा के बाद केदारनाथ में पुनॢनमाण के कार्यों में बड़े घोटाले का तत्कालीन विजय बहुगुणा की सरकार पर आरोप लगा था। यहां तक कि लोकसभा चुनाव के समय उत्तराखंड में जनसभा करने आए नरेन्द्र मोदी ने भी आपदा को लेकर कांग्रेस की सरकार पर जमकर हमला बोला था, लेकिन फिर स्थितियां बदल गयीं। विजय बहुगुणा ने बाद में बीजेपी ज्वाइन कर ली। उनके बेटे सौरभा बहुगुणा सितारगंज से भाजपा के ही विधायक हैं। ऐसे में पीएम नरेन्द्र मोदी ने बड़ी बारीकी से विजय बहुगुणा का बचाव करते हुए सारा दोष केन्द्र की मनमोहन सरकार पर मढ़ दिया।

कांग्रेस का मोदी पर हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ में भाषण के बाद इस मसले पर राजनीति गर्म हो गई है। केदारनाथ में प्रधानमंत्री का भाषण खत्म होते ही कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रियाएं आने लगीं। सबसे पहले राशिद अल्वी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने प्रधानमंत्री को चुनौती दी कि राज्य और केंद्र में आपकी सरकार है, कितनी सेवा करते हैं दिखाइए। आप प्रधानसेवक हैं, लेकिन सेवा नहीं करते है। अल्वी ने कहा कि कश्मीर में भी सेवा करने गए थे, तबाह करके रख दिया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दावा किया कि 2013 की त्रासदी में किसी तरह के मदद की पेशकश गुजरात सीएम के तरफ से नहीं आई थी। त्रासदी के समय सीएम रहे विजय बहुगुणा ने अगर उनकी मदद नहीं ली थी तो उनकी इंटर्नल जांच करवा लें, वह अब बीजेपी में ही हैं। इसके बाद रणदीप सुरजेवाला ने भी कई ट्वीट कर और बयान देकर प्रधानमंत्री की आलोचना की।

रावत ने कहा- मोदी ने शुरू की नई परंपरा

हरीश रावत ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा कि केदारनाथ आने वाले नरेंद्र मोदी तीसरे प्रधानमंत्री हैं। उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों ने बाबा का आशीर्वाद लिया, राजनीति की कोई बात नहीं की। मोदी ने एक नई परंपरा प्रारंभ कर दी कि अब मंदिरों के दर्शन का अर्थ राजनीति होगा और मंदिर के प्लेटफार्म का उपयोग राजनीतिक बातों को कहने के लिए किया जायेगा। प्रधानमंत्री दूसरी बार आए इसी वर्ष।

मैं कामना करता हूं कि तीसरी बार भी आएं लेकिन उन्होंने केदारनाथ को भव्य बनाने के लिए क्या दिया, यह स्पष्ट नहीं है। जिन पांच कार्यों का उल्लेख हो रहा है उनमें घाट बनाने का काम पहले से चल रहा है, प्रोटेक्शन का काम पहले से चल रहा है। शंकराचार्य की समाधि स्थल के निर्माण में इतना पैसा नहीं लगना है जिसके लिए किसी पैकेज की जरुरत हो। उत्तराखंड राज्य को इसे अपने ही संसाधनों से पूरा करना चाहिए और वह इसके लिए कटिबद्ध थे ताकि चारों शंकराचार्यों से उसका शिलान्यास करवा सकें और एक भावनात्मक एकता का संदेश फैल सके।

कोई काम ऐसा नहीं है जिसका हमने पहले से शिलान्यास न किया हो। संग्रहालय के निर्माण के लिए पहले से ही स्थान निर्धारित है और गौरीकुंड से केदारनाथ तक के पैदल मार्ग के सुधार का कार्यक्रम निरंतर चल रहा है। नया होता यदि वो सडक़ के निर्माण के काम को स्वीकृत करते, नया होता यदि रोपवे के काम के लिए पैसा दे जाते, नया होता यदि केदारपुरी से नीचे की तरफ रामबाड़ा, सीतापुरी तक मंदाकिनी से जो भू कटाव हो रहा है उसके क्षरण को रोकने के लिए फ्लड प्रोटेक्शन वर्क की स्वीकृति करते, नया होता यदि वो बाबा भैरवनाथ की पहाड़ी है उसकी टूट-फूट को रोकने के काम की शुरुआत करते और चौराबाड़ी का क्षेत्र जहां से जलसैलाब आया था उस क्षेत्र को फिर से रिस्टोर करने के लिए पैसा देते। प्रधानमंत्री ने उस गरुड़ चट्टी के लिए भी पैसा नहीं दिया जहां वह कहते हैं कि मैं पहले काफी दिन रहा तो सारे काम तो यूं ही चुनौतियां खड़ी रह गई और केवल आ करके राजनीतिक बात कहकर के प्रधानमंत्री ने उत्तराखंडवासियों और देशवासियों का मन बहला दिया।भाजपा ने रावत के आरोपों को खारिज किया

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने हरीश रावत के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने जो शुरुआत की है उससे पूरे उत्तराखंड के विकास को गति मिलेगी तथा केदारनाथ आने वाले पर्यटकों की तादाद बढ़ेगी। कांग्रेस ने मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने केदारनाथ मंदिर की तरफ पीठ करके वहां लोगों को संबोधित किया जो मंदिर की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी को ईश्वर की शरण में बड़बोली बातों और जुमलों से गुरेज करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि उनकी सरकार ने न केवल केदारनाथ मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों के स्थानीय आवासों बल्कि उन गरीब लोगों की मदद का भी काम बड़े पैमाने पर हाथ में लिया था जिनके घोड़े खच्चर आपदा में बहकर मर गए थे।

केदारनाथ के पुर्निविकास का मास्टर प्लान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ में केदारपुरी के पुनॢवकास परियोजना की शुरुआत कर दी। पुनॢवकास के बाद केदारपुरी का स्वरूप एकदम अलग दिखेगा। इस परियोजना का खाका खींचते समय यह स्पष्ट कर दिया गया है कि केदारपुरी का पुनॢनर्माण मंदिर और उसकी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। प्रस्तावित मास्टर प्लान बाढ़ सुरक्षा और मंदिर की गतिविधियों के अनुरूप है। इसमें बाढ़ सुरक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया है। त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार घाटी के दोनों ओर बनेगी जिससे 2013 जैसी आपदा से बचाव हो सके।

केदारपुरी के दक्षिण में यात्रियों के लिए हैलीपैड की सुविधा है। हालांकि वैकल्पिक मार्ग के रूप में मंदिर के उत्तर में सेना का हैलीपैड भी है। हेलिकॉप्टर से आने वाले यात्री बेसकैंप होते हुए केदारनाथ मंदिर तक जाने वाले मुख्य मार्ग पर पहुंचते हैं। मास्टर प्लान में मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग को खुला रखा गया है। संगम से मंदिर तक के 900 फीट के पड़ाव में शिवभक्त सीढ़ी दर सीढ़ी मंदिर और उसके पीछे ब$र्फ ढके पहाड़ों को देखते हुए बढ़ेंगे। चालीस फीट चौड़े इस मार्ग के दोनों ओर तीर्थयात्रियों के बैठने और आराम करने के लिए सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। पूजा सामग्री और दैनिक उपयोग की अन्य आवश्यकताओं के लिए दुकानें भी बनाई जाएंगी। इसके पास ही डिस्पेंसरी, पोस्ट ऑफिस जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी।

केदारनाथ में बनेगा स्मृति उद्यान

मंदाकिनी और सरस्वती के संगम पर और दृश्य अक्ष की शुरुआत में एक-एक छतरी का निर्माण किया जाएगा जिनमें शिवजी के डमरू और त्रिशूल की स्थापना की जाएगी। मंदिर के ऐतिहासिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए उसके पीछे और दोनों ओर निर्माण पर पाबंदी होगी। दुर्घटनाग्रस्त लोगों की याद में स्मृति उद्यान भी बनाया जाएगा। बाढ़ से बचाव और परिक्रमा के लिए मंदिर के चारों ओर एक दीवार बनाई जाएगी। पूर्व में सरस्वती नदी के किनारे घाट का निर्माण किया जाएगा, जहंा पूजा करने की सुविधाएं होंगी। यहां बनने वाले सभी भवनों के निर्माण में स्थानीय लकड़ी और पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा। मंदिर के पीछे पश्चिम में मंदाकिनी नदी के किनारे आदि शंकराचार्य का समाधि स्थल बनाया जाएगा। मंदिर के सामने एक चौक बनाने का प्रस्ताव है जिसके एक ओर ध्यान केंद्र होगा और दूसरी ओर मेमोरियल। केदारनाथ के कपाट बंद

आदि शंकराचार्य द्वारा पंद्रहवीं सदी में निर्मित इस केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार को करीब छह माह के शीतकालीन मौसम के लिए बंद हो गए। यह सारा इलाका सर्दियों में बर्फ से ढका रहता है। मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो इस साल केदारनाथ के कपाट खुलने और बंद होने के दोनों मौकों पर वहां मौजूद रहे। 2013 में जब मोदी आपदा के मौके पर उत्तराखंड गए थे तो वे गुजरात से राहत सामग्री लेकर गए तथा देहरादून में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से मिलकर उन्होंने केदारनाथ पुनर्निर्माण का पूरा काम गुजरात सरकार को सौंपे जाने का आग्रह किया था।

बहुगुणा ने उनकी पेशकश को यह कहकर अस्वीकार कर दिया था कि राज्य सरकार खुद ही मंदिर का पुर्ननिर्माण करेगी। चार साल पूर्व आई इस आपदा में करीब कई हजार लोगों की जानें गईं थी तथा केदारनाथ पहुंचने के मार्ग और मंदाकिनी नदी के किनारे होटल और मंदिर जल प्रलय में बह गए थे। आपदा के बाद उत्तराखंड व बचाव कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और संसाधनों के दुरुपयोग की बातें सामने आईं। भाजपा ने आपदा राहत घोटाले को बड़ा सियासी मामला बनाया और राज्य में आंदोलन भी चलाया।

2014 में हुए लोकसभा के आम चुनावों में भाजपा ने यहां की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। बाद में कांग्रेस आलाकमान ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। नाराज बहुगुणा ने 2016 में भाजपा ज्वाइन कर ली तथा उसके बाद यूपी में कांग्रेस अध्यक्ष रही उनकी बहन रीता बहुगुणा जोशी भी भाजपा में शामिल हो गईं। उन्होंने पिछला विधानसभा का भी चुनाव लड़ा व योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गईं।

 

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