Crisis in IT Sector: बेंगलुरु के एक आईटी प्रोफेशनल ने बेटी की कर दी हत्या, वजह जान हो जाएंगे परेशान

Crisis in IT Sector: बेंगलुरु में एक आईटी प्रोफेशनल आर्थिक संकट से इतना परेशान था कि उसने पैसे न होने पर भूख से बिलख रही ढाई साल की बेटी की हत्या कर दी और फिर अपनी जान लेने की कोशिश की।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-11-27 15:07 IST

आईटी प्रोफेशनल ने बेटी की कर दी हत्या। (Social Media)

Crisis in IT Sector: बेंगलुरु में एक आईटी प्रोफेशनल आर्थिक संकट से इतना परेशान था कि उसने पैसे न होने पर भूख से बिलख रही ढाई साल की बेटी की हत्या कर दी और फिर अपनी जान लेने की कोशिश की। सबसे बेहतर माना जाने वाला आईटी सेक्टर इन दिनों दुर्दिन का शिकार है। महामारी के दो साल बाद यह खुशफहमी अब टूटती नजर आ रही है कि आईटी सेक्टर सबसे बेहतर है। दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों ने पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से थोक में अपने यहां छंटनी की है, उसने लोगों को डरा दिया है। आईटी सेक्टर जिस कॉरपोरेट क्षेत्र का सबसे उम्दा जॉब माना जाता है, आज गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस सेक्टर ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। लेकिन अब इसके प्रोफेशनल आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। 

एक समय सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) में आई क्रांति ने भारतीय मध्य वर्ग को एक नई उड़ान दी थी। इस सेक्टर ने भारत के साथ – साथ दुनियाभर में एक समृद्ध मिडिल क्लास को जन्म दिया। आईटी सेक्टर (IT Sector) इतना मजबूत निकला कि इसने कोरोना महामारी जैसी भीषण प्राकृतिक आपदो को भी खुशी - खुशी झेल लिया। कोरोना तो इस सेक्टर के लिए आपदा में एक अवसर की तरह था। एक तरफ जहां तमाम सेक्टरों में छंटनी चरम पर थी, आईटी सेक्टर लाखों लोग को नई नौकरियां दे रहा था। लेकिन आज हालात भयावह हो चले हैं।

तंगी से जूझ रहे आईटी प्रोफेशनल ने कर दी बेटी की हत्या

भारत की टेक सिटी बेंगलुरू में एक आईटी प्रोफेशनल आर्थिक संकट से इतना परेशान था कि उसने महज ढाई साल की अपनी बेटी की हत्या कर दी और फिर अपनी जान लेने की कोशिश की। 45 वर्षीय राहुल परमार कभी इस इंडस्ट्री में मोटा पैकेज पाया करते थे और शानदार जिंदगी जी रहे थे। लेकिन मंदी की आहट ने एक झटके में उनकी नौकरी छिन ली और वे बेरोजगार हो गए। उन्होंने अपने कुछ सेविंग्स और कर्ज की बदौलत बिटकॉइन का कारोबार शुरू किया लेकिन वह नहीं चल सका। कर्ज के बोझ तले दबे राहुल कर्जदाताओं के उत्पीड़न से इतने परेशान हुए कि उन्होंने ये खौफनाक कदम उठा लिया। राहुल अपने बेटी से परिवार में सबसे अधिक प्यार करते थे। लाखों का पैकेज पाने वाले एक आईटी प्रोफेशनल की ये स्टोरी काफी डरावनी है और इस सेक्टर में उत्पनन चुनौतियों की ओर इशारा कर रही है।

छंटनी करने वाली दिग्गज टेक कंपनियां

दुनिया टेक कंपनियों में छंटनी के सिलसिले की शुरूआत ट्विटर से हुई। कंपनी की कमान संभालते ही एलन मस्क ने 50 प्रतिशत कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया। कुछ दिनों बाद फेसबुक, वाट्सऐप जैसी लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की पैरेंट कंपनी मेटा ने भी अपने इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी करते हुए 11 हजार लोगों को जॉब से निकाल दिया है।

इसके बाद अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में खबर चली कि दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन भी अपने 10 हजार कर्मचारियों को पिंक स्लिप थमा चुकी है। इस सूची में लेटेस्ट गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट ने एंट्री मारी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एल्फाबेट भी खराब मार्केट कंडीशन को देखते हुए बड़ी संख्या में छंटनी करने का मन बना चुकी है। कंपनी 10 हजार एम्प्लॉइज को नौकरी से निकाल सकती है। मैनेजरों को ऐसे कर्मचारियों की सूची बनाने के लिए कह दिया गया है। इस सूची में माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, सी-गेट, स्नैप, क्वॉइनबेस, लिफ्ट समेत ऐसी कई बड़ी, छोटी और मध्यम स्तर की कंपनियां हैं, जिन्होंने अपने यहां या तो छंटनी की शुरूआत कर दी है या ऐसा करने का इरादा रखती हैं।

भारतीय कंपनियों ने भी हायरिंग पर लगाई ब्रेक

छंटनी और हायरिंग पर ब्रेक लगाने वालों में केवल दिग्गज अमेरिकी कंपनियां ही नहीं बल्कि भारत के टेक जायंट्स भी शामिल हैं। विप्रो के कर्मचारियों की संख्या 6.5 फीसदी घटी है। एलएंडटी ने पांच प्रतिशत और टेक महिंद्रा ने करीब डेढ़ प्रतिशत कर्मचारियों को कम किया है। दरअसल, आईटी कंपनियों की कुल लागत में 55 से 65 प्रतिशत हिस्सेदारी कर्मचारियों पर आने वाले खर्च की होती है। यही वजह है कि कंपनियों ने हायरिंग की रफ्तार सुस्त कर दी है।

क्या आईटी सेक्टर में मंदी आने वाली है ?

दिग्गज टेक कंपनियों के छंटनी अभियान को वैश्विक मंदी की आहट से जोड़कर देखा जा रहा है। एक रिपोर्ट की माने तो साल 2021 के मुकाबले 2022 में आईटी कंपनियों ने 10 प्रतिशत कम विज्ञापन निकाला है। नौकरी.कॉम वेबसाइट के मुताबिक, 20 महीनों में पहली बार सालाना आधार पर आईटी सेक्टर की कंपनियों की जॉब पॉस्टिंग में कमी आई है। आईटी सेक्टर में नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या में भी कमी आई है। कुछ समय पहले तक आईटी सेक्टर की कंपनियों के सामने ये एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरा था।

कोरोना के बावजूद दी थी बंपर नौकरी

कोरोना महामारी के बाद जब लगभग तमाम सेक्टर मंदी से जूझ रहे थे, आईटी सेक्टर में गजब की तेजी थी। कोरोना काल में आईटी सर्विस देने वाले प्रोडेक्ट की मांग में खूब वृद्धि जिसके कारण आईटी सेक्टर में खूब रोजगार के मौके आए। टेक बेस्ड स्टर्टअप्स की बाढ़ आ गई और उन्होंने जमकर हायरिंग की। पिछले साल टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस, एचसीएल समेत तमाम आईटी कंपनियों ने 2,84,358 लोगों को नौकरियां दी थीं।

आईटी सेक्टर में 50 लाख से अधिक लोग करते हैं काम

आईटी सेक्टर दुनिया के उन सेक्टरों में शामिल है, जो सबसे अधिक लोगों को रोजगार मुहैया करा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 50 लाख से अधिक लोग इस सेक्टर में काम कर रहे हैं। इस इंडस्ट्री के राजस्व की बात करें तो यह 227 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। ऐसे में भारी भरकम खर्च करने के लिए फेमस दिग्गज टेक कंपनियां जिस तरह से लोगों की नौकरियां खत्म कर ही है, वो चिंताजनक है। कोरोना के बाद डिमांड में आई कमी से छोटे – छोटे टेक बेस्ड स्टर्टअप्स काफी प्रभावित हो रहे हैं। वो या तो बंद हो रहे हैं, या बड़े पैमाने पर छंटनी कर रहे हैं।

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