Karnataka Assembly Election: लिंगायत और वोक्कालिंगा वोट बैंक के लिए घमासान, भाजपा व कांग्रेस का अपना-अपना सियासी दांव

Karnataka Assembly Election: लिंगायत और वोक्कालिंगा में दोनों समुदायों के वोट बैंक को हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों और राजनीतिक दलों ने अपना-अपना सियासी दांव चलना शुरू कर दिया है।

Update: 2023-03-26 04:48 GMT
Image: Social Media

Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव के भी साथ बेचने के साथ ही लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदाय के वोट बैंक के लिए घमासान छिड़ गया है। इन दोनों समुदायों के वोट बैंक को हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों और राजनीतिक दलों ने अपना-अपना सियासी दांव चलना शुरू कर दिया है। दोनों दलों के नेता इन समुदायों के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुट गए हैं।
जहां एक ओर भाजपा राज्य में अपनी सत्ता बचाने की कोशिश में जुटी हुई है तो दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं। दोनों दलों के बीच चल रहे इस सियासी घमासान के बीच भाजपा ने आरक्षण का बड़ा दांव चल दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से जारी की गई 124 उम्मीदवारों की पहली सूची में इन दोनों समुदायों के कई प्रत्याशियों को उतारकर भाजपा को घेरने की कोशिश की गई है।

भाजपा ने खेला आरक्षण का बड़ा दांव

कर्नाटक में भाजपा ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए चार फ़ीसदी आरक्षण को समाप्त करने और इसे राज्य के दो प्रमुख समुदायों लिंगायत और वोक्कालिंगा के आरक्षण में जोड़ने का ऐलान किया है। राज्य सरकार ने मुसलमानों को अन्य पिछड़े समुदायों की सूची से हटा कर उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए तय कोटे में समायोजित कर दिया है। वहीं दूसरी ओर सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माने जाने वाले लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदाय के लिए तैयार आरक्षण कोटे में दो फीसदी वृद्धि किए जाने का ऐलान किया गया है।
कर्नाटक में मुसलमानों को अभी तक चार फ़ीसदी का कोटा मिलता रहा है मगर अब यह हिस्सा लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदायों में समान रूप से बांट दिया गया है। इस तरह अब दोनों समुदायों को दो-दो फ़ीसदी अतिरिक्त का आरक्षण हासिल होगा।

विधानसभा चुनाव से पहले पूरी कर दी मांग

बोम्मई सरकार की ओर से लिए गए इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद अब लिंगायतों की हिस्सेदारी 5 फ़ीसदी से बढ़कर 7 फीसदी और वोक्कालिंगा समुदाय की हिस्सेदारी 4 फ़ीसदी से बढ़कर 6 फ़ीसदी हो गई है। सियासी जानकारों का मानना है कि राज्य की भाजपा सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम का भाजपा को बड़ा सियासी लाभ हासिल हो सकता है। इन दोनों समुदायों की ओर से आरक्षण का कोटा बढ़ाए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी और अब सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले मांग पूरी करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है।

कांग्रेस की सूची में दोनों समुदायों को अहमियत

दूसरी ओर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए जारी अपनी पहली सूची के साथ अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। कांग्रेस की ओर से घोषित 124 उम्मीदवारों की पहली सूची में लिंगायत समुदाय से जुड़े 28 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा गया है। कर्नाटक की सियासत में लिंगायत समुदाय काफी असरदार भूमिका निभाता रहा है और इसी कारण पार्टी की ओर से घोषित सूची में इस समुदाय का विशेष ख्याल रखा गया है।
लिंगायत के अलावा वोक्कालिंगा समुदाय को भी कांग्रेस की ओर से खासी अहमियत दी गई है। कांग्रेस की पहली सूची में वोक्कालिंगा समुदाय से जुड़े हुए 22 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा गया है। कांग्रेस की सूची से समझा जा सकता है कि पार्टी ने इन दोनों समुदायों के जरिए अपना सियासी समीकरण साधने की पूरी कोशिश की है।

कर्नाटक का चुनाव दोनों दलों के लिए अहम

कर्नाटक का विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। दक्षिण भारत में कर्नाटक अकेला ऐसा राज्य है जहां मौजूदा समय में भाजपा की सत्ता है। ऐसे में भाजपा ने कर्नाटक की सत्ता को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अन्य प्रमुख नेता लगातार राज्य का दौरा करने में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को भी कर्नाटक पहुंचे थे और इस दौरान उन्होंने राज्य को कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात दी है।
दूसरी ओर कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई में पूरी ताकत झोंक दी है। कर्नाटक में कांग्रेस के ये दोनों प्रमुख नेता लगातार राज्य के विभिन्न इलाकों का दौरा करने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह राज्य होने के कारण कर्नाटक में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

आप पर भी लगी हैं सबकी निगाहें

राज्य की सियासत में जनता दल सेक्युलर और आम आदमी पार्टी की ओर से भी पूरी ताकत लगाने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में कर्नाटक की सियासी जंग काफी दिलचस्प हो गई है। यदि आम आदमी पार्टी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी करने में कामयाब रही तो निश्चित रूप से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गुजरात में आप ने 13 फ़ीसदी वोट हासिल करके कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाई थीं और अब ऐसे में सबकी निगाहें कर्नाटक के विधानसभा चुनावों पर लगी हुई हैं।

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