Karnataka Hijab Controversy: कर्नाटक हिजाब मामले में नेताओं के बयान जारी, जाने इन मामले में क्या कहता है कानून
Karnataka Hijab Controversy: कर्नाटक में हिजाब मामले ने तब तूल पकड़ा जब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में लड़कियों के हिजाब पहनकर प्रवेश करने पर रोक लगा दी।
Karnataka Hijab Controversy : कर्नाटक में हिजाब को लेकर बीते सप्ताह से चल रहा विवाद व्यापक रूप ले चुका है तथा इस बीच यह मामला कर्नाटक सहित अन्य राज्यों तक भी पहुंच गया है, जहां महिलाएं कॉलेजों में हिजाब पहनने के साथ प्रवेश को लेकर मांग कर रही हैं। कर्नाटक में इस मामले ने बीते सप्ताह तक तूल पकड़ा जब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में लड़कियों के हिजाब पहनकर प्रवेश करने पर रोक लगा दी। ऐसे में लड़कियों के कॉलेज प्रबंधन के सम्मुख विरोध प्रदर्शन जाहिर किया था। तब से लगातार हिजाब पहनने के पक्ष और विपक्ष दोनों ओर की मांगों को लेकर प्रदर्शन जारी है।
हिजाब मामले में नेताओं के बयान
कर्नाटक में तेजी से फैल रहे इस हिसाब प्रकरण पर अब तक कई नेताओं और संभ्रांत व्यक्तियों ने अपने विचार रखे हैं, जिसमें प्रियंका गांधी, लालू प्रसाद यादव, नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई जैसे लोगों का नाम शामिल है। एक ओर जहां मलाला यूसुफजई ने महिलाओं के हिजाब पर रोक लगाने को एक भयावह निर्णय बताया है तो वहीं दूसरी ओर प्रियंका गांधी ने कहा कि महिलाओं को उनकी बहन के कपड़े पहनने का पूर्ण अधिकार है। कई मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब पहनने के को लागू करने को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
मामले को लेकर तमाम प्रकार की बयानबाजियों के बीच कानून और न्यायालय के निर्देशों की बात कोई नहीं कर रहा कर रहा है। इस मामले के अंतर्गत यदि हम भारतीय संविधान का ज़िक्र करें तो संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता के तहत किसी भी व्यक्ति को किसी भी धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार प्राप्त है। इसी के साथ यदि हम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की बात करें तो यह हमें जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के मुताबिक जाति, लिंग, जन्म स्थान, धर्म, नस्ल के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा और यदि ऐसा होता है तो वह दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा।
महिलाओं का प्रर्दशन
भारतीय संविधान और कानून के अतिरिक्त ऐसे ही संबंधित मामलों में देश के न्यायालय की कुछ टिप्पणियां भी मौजूद हैं। इसके तहत जुलाई 2015 में केरल उच्च न्यायालय ने दो मुस्लिम लड़कियों को अखिल भारतीय प्री-मेडिकल टेस्ट (AIPMT) के लिए पूरी बाजू के कपड़े और हिजाब पहनने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि किसी भी संदेह के मामले में निरीक्षक उनकी तलाशी ले सकते हैं। हालांकि इस फैसले के कुछ सप्ताह बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए इजाजत को नामंजूर कर दिया और कहा कि-"यदि एक दिन के लिए इसका अभ्यास न किया जाए तो किसी की भी धार्मिक भावना आहत नहीं होगी।"
मई 2017 में केरल हाई कोर्ट ने AIIMS प्रवेश परीक्षा के लिए हिजाब पहनने की अनुमति दी थी लेकिन इसके साथ आदेश दिया गया था कि इन छात्राओं को परीक्षा समय से 1 घंटे पूर्व ही परीक्षा केंद्र उपस्थित होना होगा।
हिजाब के केरल उच्च न्यायालय ने एक और मामले में टिप्पणी करते हुए दिसंबर 2018 में फैसला सुनाया था कि एक निजी स्कूल को छात्रों को उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्कूल यूनिफार्म पहनने की अनुमति देने से इनकार किया था।
ऐसे में वर्तमान में कर्नाटक मैं चल रहा है जब विवाद कर्नाटक उच्च न्यायालय तक पहुंच गया है, इसके बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय का अंतिम फैसला क्या होता है।