Nipah Virus: केरल में नई आफत, कोरोना के बीच लौटा निपाह, इस संक्रमण का कोई इलाज नहीं
Nipah Virus In Kerala: केरल में कोरोना वायरस के खतरे के बीच अब जानलेवा वायरस निपाह भी लौट आया है। निपाह के संक्रमण से 12 साल के एक बच्चे की मौत भी हो गई है।
Nipah Virus In Kerala: देश में कोरोना (Coronavirus) की सबसे ज्यादा मार झेल रहे केरल (Kerala) में अब जानलेवा वायरस निपाह (Nipah Virus) भी लौट आया है। निपाह के संक्रमण से 12 साल के एक बच्चे की मौत भी हो गई है। कुछ साल पहले केरल में निपाह वायरस फैला था लेकिन राज्य सरकार ने बहुत कुशलतापूर्वक काम करते हुई संक्रमण का फैलाव रोक लिया था। लेकिन इस बार स्थितियां अलग हैं।
2018 में पहली बार केरल में दस्तक देने वाले निपाह को डेडली वायरस (Deadly Virus) भी कहा गया है। दरअसल, इस वायरस से संक्रमित 75 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है क्योंकि इसके उपचार के लिए अब तक न तो कोई दवा (Nipah Virus Medicine) है और न ही कोई वैक्सीन (Nipah Virus Vaccine) उपलब्ध है।
कोझिकोड में बच्चे की मौत
निपाह वायरस से संक्रमण का मामला केरल के कोझीकोड जिले (Kozhikode) में मिला है। यहां दो दिन पहले एक 12 वर्षीय बच्चे में निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण मिलने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज (Veena George) ने बताया है कि निपाह वायरस के संक्रमण से पीड़ित लड़के के शरीर से नमूने लिए गए थे जिन्हें पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेजा गया था जहां उनमें निपाह वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई। इस बच्चे में पहले इन्सेफलाइटिस (Encephalitis) के लक्षण नजर आए थे। निपाह की भयावहता को समझते हुए राज्य सरकार ने तत्काल उपाय किये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि स्थिति को संभालने के लिए टीमों का गठन किया है। संपर्क ट्रेसिंग और अन्य उपाय पहले ही शुरू कर दिए गए हैं।
2018 में मिला था पहला मामला
निपाह वायरस का पहला मामला (Nipah Virus First Case) केरल के कोझीकोड जिले में ही 19 मई, 2018 को दर्ज किया गया था। राज्य में एक जून, 2018 तक 17 मौतें और वायरस के कुल 18 पुष्ट मामले देखे गए थे। सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह गांव में इस वायरस का सबसे पहले पता चला था। इस गांव के नाम पर ही इस वायरस का नाम निपाह पड़ा था। इसके बाद सिंगापुर में निपाह का मामला सामने आया था। 2001 में भारत और 2004 में बांग्लादेश के कुछ लोग इस वायरस से संक्रमित पाए गए थे।
ब्रेन पर डालता है असर
निपाह वायरस सबसे अधिक दिमाग को नुकसान पहुंचता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शुरुआत में यह वायरस सूअर से इंसानों में फैला था। विशेषज्ञों के अनुसार निपाह वायरस मुख्यत: चमगादड़ से फैलता है। ऐसे चमगादड़ को फ्रूट बैट कहा जाता है जो फल खाते हैं और अपनी लार को फल पर छोड़ देते हैं। ऐसे फल को खाने वाले जानवर अथवा इंसान निपाह वायरस से संक्रमित हो जाते हैं।
निपाह वायरस के लक्षण (Nipah Virus Symptoms)
डब्ल्यूएचओ के अनुसार निपाह से संक्रमित व्यक्ति में कभी-कभी कोई लक्षण नजर नहीं आता है। लेकिन आम तौर पर इससे संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, इनसेफलाइटिस, मस्तिष्क में सूजन की समस्या हो सकती है। संक्रमित व्यक्ति के शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश शामिल है। इसके बाद व्यक्ति को चक्कर आने, बेहोशी, याददाश्त और कंफ्यूजन हो सकता है।
ये सब गंभीर ब्रेन इंफेक्शन के संकेत होते हैं। इस संक्रमण से उबर चुके अधिकतर मरीज शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ तो हो जाते हैं लेकिन यह भी देखा गया है कि उनमें तंत्रिका से संबंधी समस्या लंबे समय तक बनी रहती है।
वायरस से बचाव का तरीका
निपाह वायरस से बचाव के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। खाना खाने से पहले और खाने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से जरूर धोएं। दूषित फलों को खाने से बचें। खासकर दूषित खजूर को खाने से बचें। संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें।
इस वायरस से बीमार लोगों से स्वस्थ व्यक्ति को दूर रहना चाहिए। यह वायरस बीमार व्यक्ति की लार से फैल सकता है। यह वायरस बहुत आसानी से जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। अस्पतालों में भी बड़ा खतरा होता है क्योंकि यह इंसान से इंसानों में फैल सकता है।
निपाह वायरस का इलाज (Nipah Virus Treatment)
फिलहाल निपाह संक्रमण के लिये कोई दवा या टीका नहीं है। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि निपाह की वजह से हुये ब्रेन इंफेक्शन में से मरीजों में एंटीवायरल 'रिबाविरीन' मृत्यु दर को कम करने में भूमिका निभा सकता है।
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