इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 के 41 हजार 610 सिपाहियों की भर्ती के घोषित परिणाम के खिलाफ दायर याचिका पर पुलिस भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह इस भर्ती के सभी श्रेणी के अभ्यर्थियों का अलग-अलग परिणाम घोषित करे। कोर्ट ने भर्ती बोर्ड को यह आदेश इस कारण दिया ताकि सिपाहियों की भर्ती में सामान्य श्रेणी, ओबीसी, एससी व एसटी के सभी अभ्यर्थियों को सही परिणाम की जानकारी हो सके। कोर्ट का कहना है कि भर्ती बोर्ड परिणाम घोषित करते हुए यह स्पष्ट करेगा कि इस भर्ती का परीक्षा परिणाम घोषित करने में किसको कितना सीधा आरक्षण का लाभ दिया गया है और किसको क्षैतिज आरक्षण दिया गया है।
एक माह के भीतर पूरी करें कार्यवाही
यह आदेश न्यायमूर्ति अमित बी. स्थालेकर ने दीपक राणा व 53 अन्य असफल अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। अदालत ने यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, लखनऊ को निर्देश दिया है कि वह 41 हजार 610 सिपाहियों की इस भर्ती के परिणाम घोषणा की सारी कार्यवाही एक माह के अंदर पूरा करे। याचिका दायर कर अधिवक्ता विजय गौतम ने सिपाहियों की भर्ती की जारी परिणाम 16 जुलाई 2015 के आदेश को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता और 917 अभ्यर्थियों को मिले थे सामान अंक
अधिवक्ता गौतम का तर्क था कि याचिका देने वाले को 308.5096 अंक मिला। इतना ही अंक 917 अन्य अभ्यर्थियों को भी मिला था। इसके बाद टाईब्रेकर रूल लगाने पर 39 अभ्यर्थी और सफल घोषित हो गए, याचिकाकर्ता फिर भी सफल नहीं हो सके।
टाई ब्रेकर का रूल सही नहीं-अधिवक्ता
अधिवक्ता का कहना था कि सिपाहियों की इतनी बड़ी भर्ती में टाई ब्रेकर का रूल सही तरीके से लगाया गया कि नहीं यह स्पष्ट नहीं है। न ही यह स्पष्ट हो सका है कि समूचे भर्ती प्रक्रिया में कितना आरक्षण और कैसे दिया गया। अदालत ने समूचे प्रकरण विचार कर भर्ती बोर्ड को एक माह में परिणाम घोषित करने का आदेश दिया है।
मालूम हो कि इस भर्ती का चयन परिणाम जारी हो चुका है और अभ्यर्थी ट्रेनिंग भी कर रहे हैं।