इलाहाबाद: प्रदेश में प्रमुख सचिव न्याय की नियुक्ति कर पाने में सरकार की नाकामी पर शुक्रवार को प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट की खरी-खोटी सुननी पड़ी।
राज्य सरकार को लगाई फटकार
अफसरों के मनमाने रवैए और बे सिर-पैर के जवाब से नाराज सात जजों की पीठ ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि एलआर 1/4 प्रमुख सचिव न्याय 1/2 के पद पर न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति करना हाईकोर्ट का अधिकार है, प्रदेश सरकार का नहीं। जिस अधिकारी का नाम हाईकोर्ट भेजेगा वही प्रमुख सचिव न्याय होगा।
HC ही देगा अधिकारी का नाम
यदि सरकार किसी नाम पर सहमत नहीं होती तो कारण स्पष्ट करते हुए बताना होगा। मगर एलआर की नियुक्ति करना सरकार का अधिकार नहीं है यह अधिकार हाईकोर्ट का है। संविधन के अनुच्छेद-235 में किसी न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति का विशेषाधिकार हाईकोर्ट का है। अधिकारी का नाम हाईकोर्ट द्वारा ही दिया जाएगा।
IAS प्रवीण कुमार के पत्र पर भी जताई नाराजगी
एलआर की नियुक्ति में कई महीनों का विलंब होने पर वृहद पीठ ने यह प्रतिक्रिया देते हुए गंभीर टिप्पणियां की। अदालत आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार के उस पत्र पर भी काफी नाराज थी जिसमें आईएएस अधिकारी ने महानिबंधक को लिखकर कहा है कि एलआर की नियुक्ति सरकार का अधिकार है। हाईकोर्ट सिर्फ न्यायिक अधिकारियों के नामों का पैनल भेजे, सरकार तय करेगी कि कौन अधिकारी एलआर बनेगा। इस पत्र पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत यह हाईकोर्ट का अधिकार है।