लखनऊ : उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने महिलाओं व लड़कियों से छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए सत्ता में आते ही, सीएम येागी आदित्यनाथ द्वारा गठित एंटी रोमियो स्क्वाड में रोमियो का नाम इस्तेमाल करने पर दखल देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने नाम बदलने की मांग वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि एंटी रोमियो स्क्वाड का नामकरण कोई न्यायोचित विषय नहीं है, अपितु कोर्ट का कार्य यह देखना है, कि जो कार्यवाही की जा रही है वह नागरिकों के सुरक्षा के लिहाज से औचित्यपूर्ण उद्देश्य है अथवा नहीं।
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यह आदेश जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की खंडपीठ ने रितुराज मिश्रा की जनहित याचिका पर दिया। याचिका में एंटी रोमियो स्क्वाड के नामकरण पर आपत्ति जताने के साथ-साथ स्क्वाड के लिए एक मॉनीटरिंग अथॉरिटी बनाने की भी मांग की गई थी। इस पर न्यायालय ने कहा कि इन विषयों पर पूर्व में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की जा चुकी है। न्यायालय ने एंटी रोमियो स्क्वाड के नामकरण के मुद्दे पर नसीहत दी कि साहित्य को गहराई से पढना होता है।
रोमियो और जूलियट नाटक को भले शेक्सपियर ने रोमांटिक नाटक के तौर पर लिखा था लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह नाटक मूल रूप से सन् 1497 में इटली के स्ट्रीट ऑफ वेरोना में लिखी कहानी से लिया गया था। शेक्सपियर के नाटक में रोमियो एक समर्पित व प्रतिबद्ध व्यक्ति के तौर पर दर्शाया गया है जो शायद उनके किसी भावनात्मक पक्ष के कारण हो। लेकिन जिन्होंने रोमियो और जूलियट नाटक पढा होगा, वे अक्सर इस बात को भूल जाते हैं कि यह नाटक यह भी दर्शाता है कि एक नाम क्या होता है।
न्यायालय ने रोमियो और जूलियट नाटक के ‘एक्ट- टू, सीन- टू’ का जिक्र भी किया जिसमें कहा जाता है कि ‘एक नाम में क्या रखा है? वह जो गुलाब है, उसे यदि कोई अन्य शब्द दे दिया जाए तो भी प्यारी महक ही देगा।“
न्यायालय ने आगे कहा कि एंटी रोमियो स्क्वाड का नामकरण यदि एक ईमानदार उद्देश्य के लिए किया गया है तो इसे साहित्य के खिलाफ अपराध से जोड़ना, बिना तथ्यों को जाने बिल्कुल गलत है। न्यायालय ने कहा कि पूर्व की याचिका पर सुनवाई के दौरान भी हम कह चुके हैं कि यह न्यायोचित विषय नहीं है। लिहाजा राज्य सरकार द्वारा स्क्वाड का नाम चुने जाने सम्बंधी विषय की इस याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।