फर्जी पासपोर्ट केस: अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन और तीन अन्य को मिली 7 साल की सजा
अंडरवर्ल्ड डॉन राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की सीबीआई अदालत ने फर्जी पासपोर्ट मामले में सात साल की सजा सुनाई है।
नई दिल्ली: अंडरवर्ल्ड डॉन राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन को मंगलवार (25 अप्रैल) दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की सीबीआई अदालत ने फर्जी पासपोर्ट मामले में सात साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा कोर्ट ने सह-अभियुक्त पासपोर्ट ऑफिस के तीन अधिकारियों को भी सात साल की सजा सुनाई है। चारों दोषियों पर 15,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
70 से अधिक मुकदमों में आरोपी छोटा राजन के खिलाफ यह पहला मामला है, जिस पर कोर्ट ने सजा सुनाई है। बता दें, कि सोमवार (24 अप्रैल) को सीबीआई के स्पेशल जज वीरेंद्र कुमार गोयल ने राजन समेत अन्य को दोषी करार दिया था।
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सीबीआई ने अपनी पहली चार्जशीट फरवरी 2016 में कोर्ट में दाख़िल की थी। इसमें छोटा राजन के साथ बैंगलुरु के तीन रिटायर्ड अफसरों को नामित किया गया था चारों आरोपियों को धोखाधड़ी, षडयंत्र रचने और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत चार्जशीट में नामित किया गया था।
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छोटा राजन को 25 अक्टूबर 2015 में इंडोनेशिया के बाली से अरेस्ट किया गया था। बाद में इंटरपोल से जारी रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर उसे 6 नवंबर 2015 को भारत लाया गया। इस केस में ट्रायल पिछले साल अक्टूबर में और आखिरी बहस पिछले महीने ही पूरी कर ली गई थी। इस केस में बेंगलुरु के पासपोर्ट ऑफिस के 3 ऑफिसर्स पर पर भी दोष साबित हुआ है। राजन इस वक्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। इस केस में दोषी बाकी तीनों अफसर बेल पर हैं।
राजन पर आरोप था कि उसने बेंगलुरु पासपोर्ट ऑफिस के 3 ऑफिसर्स की मदद से मोहन कुमार के नाम से फर्जी पासपोर्ट हासिल किया। रिटायर हो चुके ये तीनों ऑफिसर्स जयश्री दत्तात्रेय रहाते , दीपक नटवरलाल शाह और ललिता लक्ष्मणन भी दोष साबित हुआ है। सितंबर 2003 मे मोहन कुमार के नाम पर बने फर्जी पासपोर्ट और टूरिस्ट वीजा पर छोटा राजन भारत से ऑस्ट्रेलिया भाग गया था। इसके बाद वह करीब 12 साल तक वहीं रहा था।