हमें कोई छेड़ेगा तो हम भी छोड़ने वाले नहीं हैं : जनरल बिपिन रावत
हम शांति के पक्षधर हैं लेकिन हमें कोई छेड़ेगा तो छोड़ेंगे भी नहीं। हम शांति प्रिय शक्तिशाली देश हैं। भारत अमन-चैन से रहते हुए अपना विकास कर रहा है।
वाराणसी: भारतीय थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी में हैं। दौरे के दूसरे और अंतिम दिन जनरल बिपिन रावत ने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के साथ ही गोरखा रेजीमेंट के 200 वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश में हथियारों की कोई कमी नहीं है। हथियारों के आधुनिकीकरण का काम चल रहा है। हमारी सेना हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
कश्मीर मसले पर क्या बोले सेनाध्यक्ष ?
सेना अध्यक्ष ने कहा कि कश्मीर समस्या हल करने के लिए सरकार,खुफिया विभाग स्टेट सभी प्रयास कर रहे है। अगर ऐसे ही प्रयास चलता रहा तो कश्मीर समस्या का हल जल्दी निकल जायेगा। जहां तक पत्थरबाजों का सवाल है तो उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। घाटी में पत्थरबाजों की कमर टूट चूकी है।
जवानों के लिए बाबा विश्वनाथ से मांगी दुआ
उन्होनें कहा, 'अब काशी आये है तो बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया है। दर्शन करने से हमें पुण्य मिलता है, सेना को पुण्य मिलता है। हमने बस बाबा से इतना मांगा है की बॉर्डर पर जो सैनिक तैनात है वो स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें।'
इसके पहले थल सेनाध्यक्ष ने गुरुवार की रात 39 जीटीसी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम शांति के पक्षधर हैं लेकिन हमें कोई छेड़ेगा तो छोड़ेंगे भी नहीं। हम शांति प्रिय शक्तिशाली देश हैं। भारत अमन-चैन से रहते हुए अपना विकास कर रहा है।
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रावत ने जवानों से कहा कि सबसे पहले मैं आपको 200 वर्ष पूरा होने पर बधाई देता हूं। भारतीय सेना में शुरू से गोरखाओं ने खून-पसीना बहाया है। इनकी वीरता से पूरी दुनिया परिचित है। देश की सुरक्षा को भेदने वालों को नष्ट करने में गोरखाओं को महारत हासिल है। उन्होंने इस अवसर पर फर्स्ट डे कवर (डाक टिकट जारी करने के दिन की मुहर का लिफाफा) और सैनिक सम्मान पुस्तक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर उन्होंने दो लाख रुपए का चेक नाइन जीआर को दिया।
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शुक्रवार को जनरल रावत सुबह वार मेमोरियल पर पुष्प चक्र अर्पित करने के बाद दिल्ली रवाना हो गए। इससे पहले जनरल रावत पत्नी समेत दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में शामिल हुए। वह शाम करीब साढ़े चार बजे सेना के विशेष विमान से लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पहुंचे थे। वहां से गोरखा प्रशिक्षण केंद्र होकर रानी घाट गए जहां से मोटर बोट से दशाश्वमेध घाट पहुंचे। इस दौरान घाट पर चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात की गई थी। बम निरोधक दस्ते व डाग स्क्वाएड ने पूरे इलाके को खंगाला।