नई दिल्ली: भारत के एनएसजी में सदस्यता के प्रयासों को उस वक़्त बड़ा झटका लगा जब चीन ने इस राह में रोड़ा अटकाने की कोशिश की। गौरतलब है कि इससे पहले भारत की एनएसजी में सदस्यता को लेकर अमेरिका, ब्रिटेन, रूस समेत कई बड़े देशों ने समर्थन किया है।
यह बात तब सामने आई जब चीन ने सोमवार को कहा कि सोल में होने वाली बैठक में भारत की सदस्यता कोई मुद्दा ही नहीं है। चीन ने कहा, एनएसजी के सदस्य देश अभी भी इस मुद्दे पर एकमत नहीं हैं। ऐसे में आगामी बैठक के दौरान समूह में किसी नए देश की एंट्री पर बातचीत बचकानी बात होगी। उल्लेखनीय है कि यह बैठक 24 जून को होने वाली है।
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कल सुषमा ने चीन पर जताया था भरोसा
चीन का यह बयान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था, एनएसजी में भारत की एंट्री पर चीन की चिंता उसकी प्रक्रिया को लेकर है।
ये है चीन का पक्ष
चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि बिना परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए किसी भी देश को इस समूह में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
एनएसजी का गठन 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद हुआ था। इसका लक्ष्य दुनियाभर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना था।