लखनऊः यूपी के समाजवादी परिवार में पिछले एक महीने से चल रहे घमासान से सीएम अखिलेश यादव दुखी हैं लेकिन वो हारे नहीं हैं। परिवार में चल रही कलह के बीच अखिलेश यादव ने अंग्रेजी अखबार टाईम्स आफ इंडिया को दिए इन्टरव्यू में कहा कि वो अब बिना किसी का इंतजार किए अगले साल होने वाले चुनाव अभियान की शुरूआत करने जा रहे हैं। वो अकेले प्रचार के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
अखिलेश ने कहा- बचपन में मेरा नाम मुझे खुद रखना पड़ा। किसी ने मुझे नाम नहीं दिया था। अब वो किसी का इंतजार किए चुनाव की शुरुआत भी करेंगे। परिवार की कलह के कारण अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी की लगातार कम हो रही संभावनाओं के जवाब में अखिलेश विश्वास के साथ कहते हैं कि वो फिर वापस आएंगे और सीएम बनेंगे। वो अपना जवाब क्रिकेट की भाषा में देते हैं। उनका कहना है कि एक परफेक्ट बल्लेबाज की तरह उनके बल्ले से रन निकलते रहेंगे। मेरा काम मुझे सत्ता में वापस लाएगा।
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हां वो स्वीकार करते हैं कि एक महीने पहले जो हालात थे वो अब नहीं हैं। पारिवारिक कलह ने हालात को बिगाड़ा है। इससे उनके विकास के काम पीछे जाते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन राज्य की जनता मुझ पर विश्वास करती है और मैं उनके विश्वास पर खरा उतरने की पूरी कोशिश कर रहा हूं। मैं हार मानने वालों में से नहीं हूं। लोग मुझ पर अनुभवहीन होने का तोहमत लगाते हैं लेकिन मैंने अपना वेस्ट दिया है, जो अनुभवी लोगों की सरकार यूपी को अब तक नहीं दे सकी है। मैं अपनी दूसरी पारी में राज्य को नई उंचाईयों पर ले जाऊंगा।
अखिलेश कहते हैं कि चुनाव अभियान में देरी हो गई है। यदि परिवार में सब ठीक होता तो चुनाव अभियान 12 सितंबर को ही शुरु हो जाता, लेकिन अब ये जल्द शुरू होगा। संभवत इसी महीने के तीसरे सप्ताह की शुरूआत में। उन्होंने कहा कि जब वो 14 साल के थे तो हॉस्टल में डाल दिए गए। इसलिए हर स्थिति से निपटना उन्हें अच्छी तरह आता है। लोहिया के आदर्शों ने उन्हें लड़ना सिखाया है ।
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वो स्वीकार करते हैं कि सपा को इतनी बडी पार्टी बनाने में वरिष्ठ लोगों और बुर्जुगों का हाथ रहा है, लेकिन वो ये भी कहते हैं कि बसपा के शासनकाल में उन्हें तीन बार जेल में डाला गया। पिता और चाचा के साथ अब संबंध कैसे हैं के सवाल पर अखिलेश कहते हैं कि नेताजी मेरे पिता और शिवपाल यादव मेरे चाचा। पिता और चाचा के साथ एक लड़के का जैसा संबंध होता है वो मेरा है। इस रिश्ते में कभी कोई बदलाव नहीं आएगा।