SC ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, अब अपराध के दायरे से बाहर हुई समलैंगिकता

Update: 2018-09-06 03:30 GMT

नई दिल्ली: आपसी सहमति से स्थापित समलैंगिक यौन संबंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इसपर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अब अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है यानि अब से भारत में समलैंगिकता मान्य है।

इस मामले पर कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ में शामिल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा ने सुनवाई की।

10 जुलाई को इस मामले को लेकर मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की थी। सुनवाई करने के चार दिन बाद ही कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

क्या है आईपीसी धारा 377?

‘अप्राकृतिक यौन संबंधों’ को लेकर आईपीसी धारा 377 में जिक्र किया गया है। इस धारा के अनुसार, कोई भी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विपरीत यौनाचार करता है, उसे उम्रकैद या दस साल तक की कैद की सजा जुर्माने के साथ सुनाई जा सकती है।

वहीं, साल 2001 से इस मुद्दे को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों से सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई। इस याचिकाओं में कहा गया कि अगर दो वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक यौन रिश्ते बन रहे हैं तो इसे अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाना चाहिए।

2009 में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा था लेकिन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया।

Tags:    

Similar News