योगी सरकार की नरमी पर कोर्ट सख्त, पूछा- पेट्रोल पंप मालिकों पर क्या कार्यवाही हो रही ?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी में पेट्रोल पंपों चल रही घटतौली पर बीते दिनों राज्य सरकार की एसटीएफ की ओर से की गई कार्यवाही के बावत मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार (22 मई) को यूपी में पेट्रोल पंपों चल रही घटतौली पर बीते दिनों राज्य सरकार की एसटीएफ की ओर से की गई कार्यवाही के बावत मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को प्रति शपथ पत्र दाखिल कर पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ की गई कार्यवाही का ब्यौरा बताने का आदेश दिया है। इससे पहले पूर्व आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से पेश प्रति शपथ पत्र को रिकॉर्ड पर लेने से कोर्ट ने इंकार कर दिया था।
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कोर्ट ने पाया था कि उक्त प्रति शपथ पत्र मे जरूरी तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया था। इसके साथ ही कोर्ट ने पांचो सरकारी तेल कंपनियों को भी पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ की गई कार्यवाही का ब्यौरा बताने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 25 मई को होगी।
यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार द्वितीय की बेंच ने डॉ. अशोक निगम और पवन बिष्ट की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया।
याचिका में पेट्रोल पंपों पर चिप लगाकर की जा रही घटतौली के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से की गई कार्यवाही को उचित ठहराते हुए उस पर आरोप लगाया गया है कि पहले तो कार्यवाही सही दिशा में चली, लेकिन बाद में पेट्रोल पंप मालिकों के दबाव में कार्यवाही ढीली कर दी गई है।
किसी पेट्रोल पंप मालिक को अरेस्ट नहीं किया गया। यह भी कहा गया कि सरकार ने एसटीएफ को जांच से भी रोक दिया है और पकड़े जाने पर केवल नाॅजिल सीज करने का प्रावधान कर दिया है। जबकि पहले पूरा पेट्रोल पंप सीज किया जा रहा था।
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याचिका में कहा गया है कि पेट्रेाल पंप मालिक काफी प्रभावशाली लोग होते हैं और उनके दबाव में सरकार ने कार्यवाही में ढिलाई बरतनी शुरू कर दी है। जिससे पूर्व की भांति आम जनता फिर से ढगी जाने को मजबूर हो रही है।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने इस पर कड़ा रूख अपनाया था और सरकार से पूछा था कि पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई ? यह भी पूछा था कि उनके खिलाफ क्या आपराधिक कार्यवाही की गई ? राज्य सरकार की ओर से सोमवार को दाखिल किए गए जवाब से कोर्ट संतुष्ट नही हुई।