अमित शाह ने संसद में BJP सांसदों की अनुपस्थिति पर जताई नाखुशी

Update: 2017-08-01 09:30 GMT

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को पार्टी सांसदों को चेताते हुए कहा कि उन्हें मानसून सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही में मौजूद रहना चाहिए। इससे एक दिन पहले ही सदन में सत्तापक्ष के कम सांसदों की वजह से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला विधेयक पारित नहीं हो सका था।

संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने भाजपा की संसदीय दल की बैठक में कहा, "अमित शाह ने भाजपा की संसदीय दल की बैठक में कहा कि जब पार्टी व्हिप जारी करती है तो सभी सांसदों को इसका अनुसरण करना चाहिए। पार्टी ने इस पर गंभीर चिंता जताई है और अपने सभी सांसदों को इस तरह की गतिविधि नहीं दोहराने की चेतावनी दी है।"

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अनंत कुमार ने कहा कि पार्टी उन सांसदों से बात करेगी, जो मंगलवार की बैठक में मौजूद नहीं थे।

शाह ने पार्टी सांसदों से कहा कि वे ओबीसी आयोग की स्थापना को रोकने के लिए कांग्रेस को बेनकाब करें।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछड़े वर्गों के खिलाफ षड्यंत्र रचा है और राज्यसभा में कांग्रेस का रवैया उसकी पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता को उजागर करता है और सांसदों को इसे बेनकाब करने की जरूरत है।

शाह ने कहा कि जब राज्यसभा की प्रवर समिति ने सर्वसम्मति से विधेयक को पारित कर दिया है तो कांग्रेस के नेताओं ने संशोधन प्रस्तावित क्यों किया? यह विधेयक इससे पहले लोकसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया था।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जानबूझकर गैरजरूरी संशोधन पर जोर दिया है।

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उन्होंने मानसून सत्र खत्म होने तक सांसदों को सदन में मौजूद रहने को कहा है। यह सांसदों की पार्टी और देश के प्रति जिम्मेदारी है कि वह सदन में मौजूद रहे। सदन में सांसदों का मौजूद नहीं होना अस्वीकार्य है।

दोनों सदनों से भाजपा के सांसदों का अनुपस्थित रहना प्रधानमंत्री और पार्टी के लिए चिंता का विषय है।

बीते सप्ताह संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने संसद के दोनों सदनों से भाजपा सांसदों के अनुपस्थित रहने पर नाखुशी जाहिर की थी।

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भाजपा के एक सांसद ने कहा, "मोदी ने कहा था कि वह संसद के दोनों सदनों में पार्टी के सांसदों की घट रही उपस्थिति से चिंतित और असंतुष्ट हैं।"

गौरतलब है कि संविधान (123वां संशोधन) विधेयक 2017 अप्रैल में लोकसभा से पारित हो गया था और राज्यसभा में इसके पारित होने पर विपक्षी दलों द्वारा रोड़े अटकाने के बाद इसे राज्यसभा की प्रवर समिति के समक्ष भेजा गया था।

प्रवर समिति ने बिना किसी संशोधन के इस रिपोर्ट को अनुमोदित कर दिया था और इसके बाद विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया था।

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