बेंगलुरु: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा है, कि 'आर्थिक सुधार की जो प्रक्रिया उन्होंने शुरू की थी, वो अब भी अधूरी है। आज देश की आर्थिक और सामाजिक नीतियों को स्वरूप देने के लिए नई सोच की जरूरत है।' उन्होंने कहा, कि 'हमें ऐसी पॉलिसी की जरूरत है जिसके तहत आर्थिक विकास की ऊंची दरें हासिल करने के साथ आर्थिक असमानता को काबू करने पर ध्यान दिया जाए। जिन आर्थिक सुधारों से वह जुड़े थे उनका मकसद सामाजिक और आर्थिक सुविधाओं से वंचित लोगों के लिए नए मौके पैदा करना था।'
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पूर्व पीएम ने कहा, कि 'यह प्रक्रिया अब भी अधूरी है और अब हमें इसके लिए नई सोच की आवश्यकता है। विकास के लिए योजना तैयार करने की नीति और योजना आयोग की परिकल्पना इस उद्देश्य से की गई थी कि अर्थव्यवस्था में तरक्की हो लेकिन असमानता न बढ़े।'
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आर्थिक असमानता दूर करने की प्रक्रिया जारी है
मनमोहन सिंह ने ये बातें बेंगलुरु में डॉ. बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स के अकादमिक सत्र का उद्घाटन करते हुए कही। बोले, 'हमने आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया आर्थिक विकास दर को रफ्तार देने और आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए शुरू की थी। आर्थिक विकास दर बढ़ी है लेकिन आर्थिक असमानता दूर करने की प्रक्रिया जारी है।'
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रोजगार सृजन और सामाजिक न्याय पर जोर
मनमोहन सिंह ने कहा, कि 'आर्थिक और सामाजिक नीतियों का आकार तय करने में हमें नई सोच अपनानी होगी। नई नीतियां ऐसी होनी चाहिए जिनमें तेज आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण जैसी चीजें शामिल हों। ये नीतियां सामाजिक न्याय और समानता पैदा करने वाली होनी चाहिए।