नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार 3 अगस्त को गुजरात में राज्यसभा चुनाव में नोटा (नन ऑफ द अवव) का इस्तेमाल नहीं करने की कांग्रेस की अपील को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात राज्यसभा चुनाव नोटा का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 सितंबर को होगी जबकि गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव 8 अगस्त को होना है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम पूरे मामले की संवैधानिकता परखेंगे। इसलिए अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने जनवरी 2014 में पहली बार सर्क्युलर जारी किया था। इसे आज तक किसी ने चुनौती नहीं दी। पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 सितंबर को होगी।
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कांग्रेस ने अपनी याचिका में कहा था, ऐसा करने की कानूनी बाध्यता नहीं है। इससे निष्पक्ष चुनाव पर असर पड़ेगा। मंगलवार एक अगस्त को कांग्रेस ने आगामी राज्यसभा चुनाव में नोटा के विकल्प के इस्तेमाल के खिलाफ चुनाव आयोग से संपर्क किया था और दावा किया था कि यह संविधान और चुनावी नियमों का उल्लंघन है, लेकिन चुनाव आयोग ने कहा है कि यह कोई नया निर्देश नहीं है।
राज्यसभा चुनाव में भी नोटा के इस्तेमाल को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था। कांग्रेस उम्मीदवार और पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने सवाल भी उठाया था। सरकार ने इस पर जवाब देते हुए कहा था कि चुनाव कराने का अधिकार चुनाव आयोग का है ।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ये साजिश अहमद पटेल को हराने के लिए कर रही है, कांग्रेस इस मामले को लेकर चुनाव आयोग भी गई थी।
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क्या है नोटा और क्यों मचा है इसपर बवाल?
दरअसल चुनाव आयोग ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है । नोटा का मतलब होता है नन ऑफ द एबव यानी विधायको को इनमें से कोई नहीं चुनने का विकल्प होगा।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को चुनाव में नोटा के इस्तेमाल का आदेश दिया था, इसके बाद यूपी, हरियाणा और त्रिपुरा के अलावा तमाम राज्यों जहां वोटिंग की आवश्यकता पड़ी, वहां राज्य सभा चुनाव के दौरान नोटा का इस्तेमाल हुआ था. दरअसल राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव को छोड़ नोटा का ऑप्शन सभी चुनावों में होता है।