लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आईएएस-आईपीएस सहित अन्य केंद्रीय कर्मचारियों की ओर से लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम-2013 के तहत अपनी, पत्नी और बच्चों की संपत्ति तथा दायित्व का विवरण सरकार को उपलब्ध कराने की बात कही थी। लेकिन इसकी समय सीमा में बार-बार बदलाव किया गया।
इसी संबंध में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा कि केंद्र सरकार बताए कि क्या उसे नियमों के तहत ऐसा करने का हक है?
अमिताभ ठाकुर ने दायर की थी याचिका
-यह आदेश चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस राजन राय की बेंच ने दिया।
-निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर की ओर से दी गई थी याचिका।
-याची का कहना था कि अधिनियम के मुताबिक पहले से सेवा में बने अधिकारियों को कानून लागू होने के तीस दिन के भीतर और बाद में सेवा में आने वालों को ज्वॉइनिंग के तीस दिन के अंदर उक्त विवरण देना अनिवार्य है।
'मुझे परेशान किया जा रहा है'
-याची का आरोप था कि केंद्र सरकार बार-बार विवरण देने की तिथि बढ़ा रही है जो कि अधिनियम के विरुद्ध है।
-याची का यह भी आरोप था कि उसने अपना विवरण नियमानुसार दिया है जिसके कारण उसे परेशान किया जा रहा है।
-जिन्होंने अपना विवरण अभी तक नहीं दिया है वे मजे में हैं।
आदेश रद्द करने की मांग
याची ने सरकार के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है जिससे उसने फिर से विवरण देने की अंतिम तारीख 31 जुलाई कर दी है।
कोर्ट ने पूरी कानूनी प्रकिया को देखने के बाद केंद्र सरकार से पूछा, कि 'क्या उसे अधिनियम की धारा-44 की उपधारा-4 के तहत प्रदत्त नियम बनाने के अधिकार के तहत उक्त तिथि बार-बार बढ़ाने का अधिकार है।'