नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम निर्णय लेते हुए 2013 में हुए भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ के इलेक्शन को अवैध करार दिया। कोर्ट ने नए सिरे से एमेच्योर कबड्डी महासंघ इलेक्शन कराने के आदेश दिए हैं और तब तक इसका कामकाज देखने के लिए पूर्व आईएएस अधिकारी सनत कौल को प्रशासक नियुक्त किया है।
भारत सरकार और दिल्ली सरकार में कई महत्वपूर्ण महकमों के प्रमुख के तौर पर काम कर चुके 1971 बैच के आईएएस सनत अगला आदेश आने तक एमेच्योर कबड्डी महासंघ के प्रेसिडेंट का कार्यभार संभालेंगे और प्रेसिडेंट की सभी शक्तियों के हकदार होंगे।
प्रशासक के रूप में काम करते हुए सनत एमेच्योर कबड्डी महासंघ के लिए इलेक्शन प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही वह सारे दिशानिर्देश भी तय करेंगे, जिसके बाद नए सिरे से इलेक्शन कराए जाएंगे। यह सभी कार्य छह माह के भीतर पूरे होंगे।
कोर्ट ने एमेच्योर कबड्डी महासंघ के आजीवन प्रेसिडेंट जनार्दन सिंह गहलोत और एमेच्योर कबड्डी महासंघ की प्रेसिडेंट मृदुला भदोरिया के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया।
मृदुला, गहलोत की पत्नी हैं और पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन गहलोत की महासंघ में इतनी चलती है कि उन्होंने अपने प्रभावों को दुरुपयोग करते हुए 19 मई, 2013 को हुए चुनावों में अपनी पत्नी को एमेच्योर कबड्डी महासंघ का प्रेसिडेंट बना दिया।
साल 2013 में हुए इलेक्शन में ही गहलोत को एमेच्योर कबड्डी महासंघ का आजीवन प्रेसिडेंट चुना गया था। याचिका में गहलोत के अवैध तरीके से आजीवन प्रेसिडेंट बनने पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। कोर्ट ने मृदुला और गहलोत के साथ-साथ पांच साल पहले एमेच्योर कबड्डी महासंघ के विभिन्न पदों के लिए चुने गए अधिकारियों की शक्ति को रद्द कर दिया है।
मृदुला का पद तत्काल प्रभाव से छीन लिया गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि एमेच्योर कबड्डी महासंघ प्रेसिडेंट रहते हुए मृदुला ने जितने भी लाभ (धन के रूप में) हासिल किए, उन्हें वापस करें। यहां बताना जरूरी है कि गहलोत और मृदुला के पुत्र तेजस्वी सिंह गहलोत को राजस्थान कबड्डी महासंघ का प्रेसिडेंट बनाया गया है।
यही नहीं, अपने फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक स्वतंत्र जांच एजेंसी के माध्यम से एमेच्योर कबड्डी महासंघ के मामलों और उसके खातों का लेखा-जोखा देखने का आदेश दिया है। साथ ही प्रतिष्ठित खिलाड़ियों की एक एडहॉक समिति की नियुक्ति करने को भी कहा है, जो एमेच्योर कबड्डी महासंघ के हर दिन के काम को संभालेगा।
याचिका पक्ष के वकील भारत नागर ने कहा, एमेच्योर कबड्डी महासंघ के खिलाफ साल 2013 में पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी महिपाल सिंह ने अपील दायर की थी। अभी इस मामले में यह निर्णय सुनाया गया है। हालांकि, इस मामले में हमारी एक ओर अपील लंबित है। उसमें में और भी जांच की मांग की गई है। यह मामला पैसे लेकर खिलाड़ियों को अवैध तरीके से फर्जी सर्टिफिकेट देने का है। इसकी बदौलत हजारों खिलाड़ी गलत तरीके से अपने-अपने राज्यों में सरकारी नौकरी कर रहे हैं।"
अदालत के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए भारत के पूर्व कबड्डी खिलाड़ी अर्जुन पुरस्कार विजेता महिपाल सिंह ने कहा कि कोर्ट ने अभी तो एक मामले में गहलोत पर गाज गिराया है, अभी कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें लेकर गहलोत और उनके कई करीबियों को जेल की सैर करनी पड़ सकती है।
महिपाल ने कहा, "30 सितम्बर भी गहलोत के लिए भारी होगी। इस दिन 15 तारीख के ट्रायल के मामले भी निर्णय सुनाया जाएगा। इसके अलावा, गहलोत के बेटे की अंतर्राष्ट्रीय निजी कंपनी द्वारा किए गए अवैध गबन के साथ-साथ गहलोत के 34 साल से प्रेसिडेंट रहने के दौरान खिलाड़ियों को दिए फर्जी सर्टिफिकेट मामले में भी अदालत निर्णय सुनाएगी।"