पैराडाइज पेपर्स : जयंत ने पेश की 'सफाई', रविंद्र सिन्हा का 'मौन व्रत'

‘पनामा पेपर’ के बाद अब ‘पैराडाइज पेपर्स’ में टैक्स चोरी कर विदेश में कालाधन छुपाने के मामलों से जुड़ी फाइलें सामने आने पर केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने सोमवार को अपनी सफाई दी।

Update: 2017-11-06 07:36 GMT
पैराडाइज पेपर्स : जयंत ने पेश की 'सफाई', रविंद्र सिन्हा का 'मौन व्रत'

नई दिल्ली : पैराडाइज पेपर्स में टैक्स चोरी कर विदेश में कालाधन छुपाने के मामलों से जुड़ी फाइलें सामने आने पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने सोमवार को अपनी सफाई दी। वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा ने मौन व्रत साधा। पनामा पेपर्स लीक मामले के बाद अब पूरी दुनिया के सामने पैराडाइज पेपर्स (1.34 करोड़ दस्तावेज) सामने आए हैं। जिनमें दावा किया गया है कि पूरी दुनिया के अमीर और ताकतवर लोग किस तरह से अपनी काली कमाई को टैक्स से बचाने के लिए ठिकाने लगाते हैं। पैराडाइज पेपर्स में जहां दावा किया गया है कि इसमें 714 भारतीय नागरिकों का नाम शामिल है। वहीं इसमें कुछ अहम राजनीतिक हस्तियों पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है।

जयंत सिन्हा पर खुलासा

लोकसभा चुनाव में झारखंड के हजारीबाग से सांसद चुने जाने के बाद जयंत सिन्हा मोदी सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए। मोदी सरकार में शामिल होने से पहले जयंत सिन्हा देश में ओमिद्यार नेटवर्क में बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर काम करते थे। इस ओमिद्यार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में बड़ा निवेश किया था। जबकि इस अमेरिकी कंपनी की टैक्स हैवन केमैन आइलैंड में सब्सिडियरी कंपनी होने की बात सामने आई है।

पैराडाइज पेपर्स के खुलासे पर जयंत सिन्हा ने सफाई देते हुए दावा किया है कि सितंबर 2009 में वह ओमिद्यार नेटवर्क से बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर जुड़े थे। सिन्हा ने माना है कि वह कंपनी के भारत से जुड़े मामलों को देखते थे लेकिन दिसंबर 2013 में उन्होंने इस कंपनी से संबंध खत्म करते हुए अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। सिन्हा ने माना है कि 2010 में ओमिद्यार नेटवर्क का अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में निवेश की प्रक्रिया को उन्होंने शुरू किया था और उसके बाद नवंबर 2014 तक वह इस अमेरिकी कंपनी के बोर्ड में ओमिद्यार नेटवर्क की तरफ से शामिल रहे। सिन्हा के मुताबिक डी लाइट में वह दिसंबर 2013 तक ओमिद्यार नेटवर्क की तरफ से शामिल रहे जिसके बाद जनवरी 2014 से नवंबर 2014 तक वह डि लाइट के स्वतंत्र निदेशक रहे। सिन्हा ने बताया कि 2014 में मंत्रीपरिषद में शामिल होने से पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया और अब वह किसी तरह से कंपनी के कामकाज से नहीं जुड़े हैं।

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बीजेपी सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा पर खुलासा

बिहार से 2014 में रविंद्र किशोर सिन्हा ने बतौर बीजेपी सदस्य राज्य सभा में शामिल हुए। रविंद्र किशोर की खास बात है कि मौजूदा संसद में वह सबसे अमीर सदस्य हैं। पूर्व में पत्रकार रहे सिन्हा प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस फर्म एसआईएस (सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज) के प्रमुख हैं। इस सिक्योरिटी फर्म की विदेश में भी रजिस्टर्ड दो कंपनियां मौजूद हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, रविंद्र सिन्हा की एक कंपनी एसआईएस एशिया पैसिफिक होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड का माल्टा में 2008 में रजिस्ट्रेशन हुआं यह कंपनी सिन्हा की भारत स्थित कंपनी की सब्सिडियरी कंपनी है। इस विदेशी कंपनी में सिन्हा माइनॉरिटी शेयर होल्डर हैं वहीं उनकी पत्नी इस कंपनी की डायरेक्टर हैं। आंकड़ो के मुताबिक सिन्हा की दूसरी कंपनी एसआईएस इंटरनैशनल होल्डिंग को टैक्स हैवन ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में स्थित है और उनकी पहली विदेशी कंपनी के पास इस कंपनी के 3,999,999 शेयर्स मौजूद हैं जबकि रविन्द्र सिन्हा के पास इस कंपनी का महज एक शेयर मौजूद है।

7 दिन के भागवत महायज्ञ में मौन व्रत

पैराडाइस पेपर्स लीक में नाम आने संबंधी सवालों का जवाब देते हुए बीजेपी के राज्यसभा सांसद रविंद्र कुमार सिन्हा ने लिखकर बताया है कि वह भागवत यज्ञ के लिए 7 दिन के मौनव्रत पर हैं। दरअसल पैराडाइज पेपर्स में उनके नाम होने के चलते जब मीडिया ने सवाल किया तो पहले तो उन्होंने सिर हिलाकर जवाब देने से मना कर दिया। इसके बाद पत्रकारों से एक पेन लेकर एक कागज में लिखा, '7 दिन के भागवत महायज्ञ में मौन व्रत है।'

क्या है पैराडाइस पेपर्स लीक मामला?

पैराडाइस पेपर्स 1.34 करोड़ ऐसे दस्तावेज़ों का संग्रह है जिनमें नाइकी और फेसबुक जैसी दुनिया भर की नामी-गिरामी कंपनियों और यूनाइटेड किंगडम की महारानी एलिज़ाबेथ-2 जैसी हस्तियों द्वारा विदेशों में किए गए लेनदेन की जानकारी का खुलासा किया गया है। इन दस्तावेज़ों को एक जर्मन अखबार ने हासिल किया और 67 देशों के 381 पत्रकारों ने इनका विश्लेषण किया है।

अगली स्लाइड में देखिए जयंत सिन्हा के ट्वीट













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