फिर उभरा मुजफ्फरनगर दंगे का दर्द, ढाई साल कोमा में रहे शख्स की मौत

Update: 2016-04-19 11:18 GMT

मुजफ्फरनगर: दंगों के ढाई साल बाद मौत सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर में हुए दंगो में जहां 60 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। वहीं सैकड़ों लोग घायल भी हुए थे। दंगे में घायल होने के बाद कोमा में चल रहे रहमतनगर निवासी मेहर आलम की मंगलवार को मौत हो गई। दंगा पीड़ित की मौत की खबर फैलते ही सीनियर अधिकारी मृतक के घर पहुंचे।

-7 सितंबर 2013 को कोतवाली क्षेत्र के रहमतनगर निवासी मेहर आलम काम से घर लौट रहे थे।

-उपद्रवियों ने उन्हें रास्ते में घेरकर हमला कर दिया। मेहर आलम के सिर में गंभीर चोट लगी थी।

-उन्हें जिला अस्पताल से मेरठ रेफर कर दिया गया था। हालत बिगड़ने पर मेहर आलम तभी से कोमा में चल रहे थे।

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-राज्य सरकार ने मेहर आलम के परिवार को दो बार 50-50 हजार रुपए का मुआवजा भी मुहैया कराया था।

-लेकिन आज मेहर आलम की सांसें उसका साथ छोड़ गईं।

-मेहर आलम की मौत की सुचना पाकर सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ सिटी पहुंचे।

लोगों की तर्ज पर जांच के बाद उचित मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया।

मातम मनाते परिजन

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क्या कहते हैं अधिकारी

-सिटी मजिस्ट्रेट राजेंद्र सिंह ने कहा-अभी हमारे संज्ञान में ये बात आई है। मुजफ्फरनगर दंगे में ये घायल हुए थे। पूर्व में इन्हें एक लाख रुपए की मदद दी गई थी। फाइल को रिओपन कराकर और मदद दी जाएगी।

क्यों भड़का था दंगा?

मुज़फ्फरनगर में 27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में लड़की से छेड़खानी को लेकर हुए संघर्ष में दो ममेरे और फुफेरे भाइयों सचिन और गौरव सहित कुल तीन लोगों की हत्या के बाद पूरा मुजफ्फरनगर हिंसा की आग में जल उठा था। 7 और 8 सितंबर को नंगला मंदौड़ में हुई पंचायत से वापस लौट रहे लोगों पर हुए हमले के बाद हिंसा ने दंगे का रूप ले लिया था, जिसमें थाना फुगाना सर्वाधिक दंगे से प्रभावित हुआ था। दंगे के दौरान लोगों पर हत्याओं और आगजनी के सैकड़ों मामले दर्ज हुए थे। 60 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 50,000 लोग बेघर हो गए थे।

 

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