नवरात्रि स्पेशल: चुनरी बांधने से पूरी होती है हर मनोकामना, जानें क्या है इस मंदिर का इतिहास
चैत्र के नवरात्र के पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले ही दिन माता के दर्शन के लिए भक्तों की लम्बी कतार लगी है। कानपुर का बारा देवी मंदिर पौराणिक और प्राचीनतम मंदिरों में शुमार है। इस मंदिर का सटीक इ
कानपुर: चैत्र के नवरात्र के पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले ही दिन माता के दर्शन के लिए भक्तों की लम्बी कतार लगी है। कानपुर का बारा देवी मंदिर पौराणिक और प्राचीनतम मंदिरों में शुमार है। इस मंदिर का सटीक इतिहास तो किसी को भी नहीं पता लेकिन कानपुर और आस-पास के ज़िलों में रहने वाले लोगों में इस मंदिर की देवी के प्रति अटूट आस्था है। तभी साल के बारह महीनो और ख़ास कर नवरात्रि में लाखो भक्तों की अटूट आस्था इस बारा देवी मंदिर में भीड़ के स्वरुप में देखने को मिलती है।
कानपुर के दक्षिणी इलाके में स्थित बारा देवी मंदिर सिर्फ मंदिर की वजह से ही नहीं बल्कि इलाके के नाम से भी जाना जाता है। जिस इलाके में यह मंदिर बना है उस इलाके का नाम भी बारा देवी है। सिर्फ इतना ही नहीं इसी के नाम से कानपुर दक्षिण के ज्यादा तर इलाकों के नाम रखे गए है। जैसे की बर्रा -01 से लेकर बर्रा -09 तक, बिन्गवा, बारासिरोही, बर्रा विश्व बैंक आदि।
बारह्देवी मंदिर की सबसे खास बात यह है कि जो भक्त दर्शन के लिए आता है वह अपनी मनोकामना मान कर चुनरी बांधता है। जिसकी भी मन्नत पूरी होती है वह दोबारा यहाँ आकर मन्नत की चुनरी खोल देता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसमें लोगों का अटूट विश्वास है l
भक्तों की माने तो कुछ समय पहले एएसआइ की टीम ने इस मंदिर का सर्वेक्षण किया था और यह पाया था कि यह मूर्ती लगभग 15 से 17 सौ वर्ष प्राचीन है। वास्तव में इस मंदिर का इतिहास क्या है इसकी सटीक जानकारी किसी को नही है सिर्फ इतना की बारा देवी के प्रति लोगों की अंधी आस्था बरक़रार है। इस मंदिर में लंबे समय से आने वाले भक्तों के अनुसार माँ उनकी हर मुराद पूरी करती है और यही वजह है की वह मां के आशीर्वाद पर पूरा भरोसा रखते हैं।
यु तो साल भर माता के दर्शनों के लिए भक्तों की कतार रहती है, पर नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों का सैलाब देखते ही बनता है। लाखो भक्त नवरात्रि के दिनों माँ के दर्शन कर अपनी मनोकामना का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिधनू से आए ब्रजलाल के मुताबिक बारा देवी पर हमारी आस्था अटूट है। हर साल हम परिवार के साथ माता के दर्शन के लिए आते हैं। माता के दर्शन से एक आत्मविश्वास की जाग्रति होती है और हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वहीं कानपुर देहात से आये अनिल सिंह ने बताया कि वह हर साल नवरात्रि के दिनों में माँ बारादेवी के दर्शनों के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि माँ बारादेवी अपने भक्तो की मुरादे अवश्य पूरी करती है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि यहाँ आने वाला कोई भी भक्त खाली झोली लेकर नही जाता है। माता रानी सभी की झोली भरती हैं।