काठमांडू: नेपाल में एक बार फिर राजनैतिक संकट गहराने लगा है। प्रधानमंत्री केपी ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उल्लेखनीय है कि अविश्वास प्रस्ताव का सामना किए बगैर ही उन्होंने राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया। ओली ने कहा, जब वे सत्ता में आए थे तो नेपाल के भारत से रिश्ते अच्छे नहीं थे। उन्होंने संबंध बेहतर बनाए, जिसकी आज उन्हें सजा मिली है।
गौरतलब है कि केपी ओली सरकार के खिलाफ रविवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना था, लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया।
अच्छे कदमों की मिली सजा
इस्तीफे से पहले अपने भाषण में कोली ने आरोप लगाया कि नेपाली कांग्रेस और माओवादी ने उनके खिलाफ एक साजिश के तहत काम किया। उन्होंने कहा, उन्हें भारत और चीन से संबंध सुधारने को लेकर उठाए गए कुछ अच्छे कदमों की सजा दी गई। माओवादियों द्वारा समर्थन वापस लेने और सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर ओली ने ये आरोप लगाए हैं।
समर्थन वापसी से गहराया संकट
गौरतलब है कि केपी ओली ने बीते साल अक्टूबर में ही नेपाल की सत्ता संभाली थी। नेपाल में बीते 10 सालों में यह आठवीं सरकार है। दो बड़े सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद ओली पर इस्तीफे का दवाब था। मधेसी पीपल्स राइट्स फोरम और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने ओली के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया था। ओली पर उनके सहयोगी दलों ने पुराने वादे याद न रखने का आरोप लगाया था।
सत्ता परिवर्तन का खेल संदेहास्पद
इस्तीफे से पहले अविश्वास प्रस्ताव पर संसद को संबोधित करते हुए ओली ने कहा कि वह उस वक्त सत्ता में आए, जब देश त्रासदी के दौर से गुजर रहा था। उन्होंने कहा कि उनके ऊपर इस्तीफे का दबाव ऐसे वक्त पड़ रहा है, जब देश बीते साल के भूकंप से उबरने की कोशिशों में जुटा है। ओली ने कहा, इस वक्त सत्ता परिवर्तन का यह खेल अपने आप में संदेहास्पद है।
भारत से बनाया अच्छे संबंध
ओली ने कहा कि उन्होंने जब सत्ता संभाली थी, तो नेपाल और भारत से संबंध बेहद तनावपूर्ण थे। अपने प्रयासों से उन्होंने इन संबंधों में नई जान डाली। इससे भारत के साथ रिश्ते सामान्य हुए। उन्हें इन्हीं अच्छे कामों की सजा दी जा रही है।
ये रहा दिन भर का घटनाक्रम:-
-संसद में बीते तीन दिनों से अविश्वास प्रस्ताव पर बहस जारी थी।
-रविवार को पीएम ओली को उस पर अपना जबाब देना था।
-ज्ञात हो कि सत्तारूढ गठबंधव के प्रमुख घटक माओवादी सहित कई दलों की ओर से सरकार से समर्थन वापस लेने और अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने का फैसला करने के बाद ओली ने पद छोड़ने का फैसला किया।
-राष्ट्रपति को इस्तीफा सौपने के बाद ओली सीधे संसद भवन पहुंचे।