भुवनेश्वर : ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सोमवार कहा कि उनकी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से घोषित राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करेगा। पटनायक ने यह घोषणा तब की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम को उनसे फोन पर बात की।
पटनायक ने कहा, "प्रधानमंत्री ने रामनाथ कोविंद की राष्ट्रपति उम्मीदवारी के बारे में मुझसे बात की। उन्होंने इसके लिए बीजद का समर्थन मांगा।"
पटनायक ने कहा, "जैसा कि आप सभी जानते हैं, पिछली बार जब राष्ट्रपति चुनाव हुआ था, तब बीजद ने पी.ए. संगमा का नाम प्रस्तावित किया था, जो कि जनजातीय समुदाय के एक प्रमुख नेता थे। बीजद के अनुरोध पर भाजपा सहित कई पार्टियों ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया था।"
पटनायक ने कहा कि चूंकि कोविंद एक प्रमुख वकील हैं और अनुसूचित जाति से हैं, लिहाजा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद बीजद ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति का पद राजनीतिक संबद्धताओं से ऊपर है और बीजद इसे राजनीति से ऊपर रखना चाहता है।
रामनाथ कोविंद का नाम कभी नहीं सुना : ममता बनर्जी
बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) द्वारा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर आश्चर्य जताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि उन्होंने कोविंद का नाम पहले कभी नहीं सुना। उन्होंने कहा कि कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का यह कदम 'उतना परिपक्व' नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए दुबई से नीदरलैंड जाने के रास्ते में ममता ने कहा, "मैंने उनका नाम पहले कभी नहीं सुना। मैं उन्हें नहीं जानती। मैं उन्हें तभी पहचानती, जब उन्हें बिहार का राज्यपाल बताया जाता। मैं कह सकती हूं कि फैसले से मैं हतप्रभ हूं।"
उन्होंने कहा, "हमारे बीच विचार-विमर्श के दौरान उनका नाम नहीं आया। हमने सर्वसम्मत प्रस्ताव दिया था, क्योंकि राष्ट्रपति का पद बेहद अहम होता है। यह नाम हैरान करने वाला है। यह परिवक्व कदम नहीं है।"
राष्ट्रपति की भूमिका को राष्ट्र तथा संविधान की सुरक्षा में अहम करार देते हुए ममता ने दलील दी कि इससे बेहतर होता कि इस विषय के किसी विशेषज्ञ का चयन किया जाता।
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने उल्लेख किया, "सर्वविदित है कि राष्ट्रपति राष्ट्र तथा संविधान की सुरक्षा में अहम किरदार निभाते हैं। इससे बेहतर होता कि उनकी जगह प्रणब मुखर्जी, लालकृष्ण आडवाणी या सुषमा स्वराज को चुना जाता, जो संविधान के विशेषज्ञ हैं और देश को अच्छी तरह से जानते हैं।"
उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह रही हूं कि बिहार के राज्यपाल राष्ट्र को नहीं जानते। मैंने विपक्ष के दो या तीन नेताओं से बातचीत की है, वे भी हैरान हैं। देश में अन्य बड़े दलित नेता हैं। केवल इसलिए कि वह भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं, उन्होंने उन्हें उम्मीदवार बना दिया। यह अच्छी परंपरा नहीं है।"
ममता ने कहा, "अगर कोई नाम की घोषणा करने के बाद हमसे बातचीत करने का फैसला करता है, तो हम उससे कहेंगे कि हम उस व्यक्ति को नहीं जानते। यह सर्वसम्मत फैसला नहीं है।"
उन्होंने कहा कि वह अंतिम फैसला लेने से पहले 22 जून को विपक्षी पार्टियों की बैठक का इंतजार करेंगी।