लखनऊ: सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ही वर्ष 1994 में दस्यु सुंदरी फूलन देवी को राजनीति में लेकर आए थे। फूलन को 11 साल की सजा काटने के बाद रिहा किया गया था। चंबल के आतंक के पर्याय के तौर पर पहचाने जाने वाले निर्भय गुर्जर की पूर्व पत्नी नीलम गुप्ता भी ऐसे ही मामलों में आरोपी हैं। वो 11 साल से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं, अब उन्होंने भी पत्र लिखकर अखिलेश सरकार से रिहाई की मांग की है।
वीमेंस डे पर नारी शक्ति का सम्मान कर रही सरकार
मंगलवार को वीमेंस डे है। सीएम अखिलेश यादव इस मौके पर रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार देकर नारी शक्तियों का सम्मान कर रहे हैं। अब देखने की बात होगी कि क्या सीएम अखिलेश यादव वर्षों से नारी बंदी निकेतन, लखनऊ में बंद दस्यु सुंदरी नीलम गुप्ता को रिहा करने के आदेश देती है।
2003 में स्कूल जाते समय हुआ था अपहरण, 13 साल थी उम्र
नीलम गुप्ता ने राज्य के कारागार मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि वह 11 वर्षों से नारी बंदी निकेतन में बंद हैं। वह औरैया की रहने वाली है और उनका अपहरण वर्ष 2003 में स्कूल जाते समय हुआ था। तब उनकी उम्र सिर्फ 13 वर्ष की थी।
निर्भय गुर्जर ने की जबरन शादी
नीलम ने पत्र में लिखा है कि निर्भय गुर्जर के कुछ लड़के मेरा अपहरण कर मुझे निर्भय को बेच दिया था। निर्भय गुर्जर ने मुझसे जबरन शादी की और मुझे डरा-धमका कर रखा। मौका मिलते ही मैं वहां से भाग आई और इटावा कोर्ट में हाजिर हो गई।
पुलिस वालों को दी डकैतों की जानकारी
नीलम ने कहा है कि मुझे लगता था कि पुलिस वाले मेरी मदद करेंगे। उस वक्त मेरी उम्र लगभग 15 वर्ष थी। अच्छा-बुरा नहीं पता था। हमने डकैतों की सारी जानकारी पुलिस वालों को दी। प्रशासन की मदद की पर उन्होंने मेरी मदद नहीं की।
बूढ़ी मां काट रही है जेल
नीलम ने लिखा है कि पुलिस ने उनकी मदद भी नहीं की उल्टे उनकी बूढ़ी मां को हिरासत में ले लिया। उनकी मां की उम्र 70 साल है। वह दवाईयों के सहारे जिन्दा हैं लेकिन अभी जेल काट रही हैं।
...फिर कोई मुझ जैसी लड़की उनका शिकार न बनें
नीलम गुप्ता ने पत्र में अपने दर्द बयां किए हैं। उसने लिखा है कि एक छोटी उम्र की लड़की का सौदा कर दिया जाता है। उस लड़की पर क्या बीतती है, यह कोई नहीं जानता। मैंने यह सब इसलिए किया ताकि फिर कोई मुझ जैसी लड़की उनका शिकार न बनें।
नाबालिग को भेजा जाता है सुधार गृह, मुझे भेजा गया जेल
नीलम ने अपने पत्र में कहा है कि मुझे बताया गया था कि किसी भी नाबालिग को सजा के तौर पर सुधार गृह भेजा जाता है पर मुझे सीधा जेल भेजा गया।
फूलन देवी ने 1983 में किया था आत्मसमर्पण
फूलन वर्ष 1981 में तब चर्चा में आई थीं जब उनके गिरोह पर बेहमई में सवर्ण जातियों के 22 लोगों की हत्या का आरोप लगा था। फूलन लंबे समय तक पुलिस की पकड़ से दूर रहीं। इंदिरा सरकार ने 1983 में उसके सामने आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा था।
1996 में फूलन देवी सपा के टिकट पर पहुंची थी संसद
फूलन देवी को मुलायम सिंह यादव राजनीति में लाए थे। फूलन को 11 साल तक जेल में रहने के बाद 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा किया।1996 में फूलन देवी को सपा ने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर यूपी के मिर्जापुर से टिकट दिया, वह चुनाव लड़ीं और जीतीं भी।