लालू यादव के बेटे तेजप्रताप के खिलाफ नीतीश ने दिए जांच के आदेश, बढ़ेंगी मुश्किलें
पटना: बिहार के पूर्व सीएम और चारा घोटाले के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव के बेटे और नीतीश सरकार में पर्यावरण एवं वन मंत्री तेजप्रताप यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तेजप्रताप पर मिट्टी घोटाले का आरोप लगाया था। अब इस मामले में गुरुवार (6 अप्रैल) को नीतीश ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
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बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने इस मामले में जांच के आदेश जारी किए। राजनीतिक जानकार इस घटना को अहम बता रहे हैं। आशंका ये जताई जा रही है कि नीतीश सरकार के इस कदम से आरजेडी और जेडीयू के बीच कड़वाहट बढ़ेगी। गौरतलब है कि हाल के महीनों में गठबंधन की दोनों पार्टियों के नेता कई बार एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं।
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क्या है मामला?
बता दें, कि बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और बीजेपी विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने लालू यादव के परिवार पर मिट्टी घोटाले का आरोप लगाया था। उनका आरोप था कि संजय गांधी जैविक उद्यान में जो मिट्टी भरायी हो रही है, वह आरजेडी सुप्रीमो के परिवार के बन रहे मॉल से निकाल कर लाया जा रहा है। आरोपों के मुताबिक राजधानी पटना में बिहार का सबसे बड़ा माल बनाया जा रहा है। इस मॉल की मालिक डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड है। इस कंपनी में लालू प्रसाद के बड़े बेटे और राज्य के पर्यावरण एवं वन मंत्री तेजप्रताप यादव, छोटे बेटे एवं उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनकी बेटी चंदा यादव डायरेक्टर हैं।
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बिना टेंडर दिया ठेका
सुशील मोदी के मुताबिक संजय गांधी जैविक उद्यान में सौन्दर्यीकरण के नाम पर अनावश्यक 90 लाख रुपए की मिट्टी खरीद कर पगडंडी बनाने का काम किया गया। खास बात ये है कि यह सारा काम बिना टेंडर केवल कोटेशन के आधार पर पटना जिला के रुपसपुर के एमएस एंटरप्राइजेज के विरेन्द्र यादव को सौंप दिया गया।
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डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड में तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव और चंदा यादव को 20 जून 2014 को निदेशक बनाया गया। आरोप है कि बिहार के सबसे बड़े मॉल की मिट्टी को पर्यावरण एवं वन विभाग ने बिना टेंडर निकाले 90 लाख रुपए में खरीद लिया। सुशील मोदी के मुताबिक, इस तरह मिट्टी घोटाले का पूरा फायदा आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार को मिला। मोदी कहते हैं ये काम काफी चालाकी से किया गया।