नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में ऐतिहासिक जीत पर पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं के संबोधन के बीच सोमवार (05 मार्च) को एक बार फिर अजान के दौरान अपना भाषण रोक दिया। लोकसभा के 2014 के चुनाव में वो अक्सर ऐसा करते थे तो इसे विपक्ष चुनावी हथकंडा कहा करता था लेकिन आज उन्होंने पार्टी मुख्यालय में हुए समारोह में फिर ऐसा किया।
इसने ना सिर्फ राजनीतिक पंडितों को चकित किया, बल्कि दिल्ली के मुस्लिम समुदाय के लोगों के दिलों में खास जगह भी बना ली। मुस्लिम धर्मगुरुओं से लेकर युवा तक सभी उनके इस आदर से अभिभूत हैं। इसे भारत की सियासत में ऐतिहासिक घटना बता रहे हैं।
'यह ऐतिहासिक घटनाक्रम है'
मुस्लिम मजलिसे अमल के महासचिव व जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के छोटे भाई तारीक बुखारी ने कहा, कि 'यह ऐतिहासिक घटनाक्रम है, क्योंकि उन्हें याद नहीं कि पहले के किसी पीएम ने अजान के प्रति ऐसा आदर दिखाया हो। अगर देश के वजीर-ए-आजम इस तरह दूसरे धर्म के प्रति आदर से पेश आते हैं तो इससे पूरे देश में एक अच्छा पैगाम जाता है।' बुखारी ने कहा, कि यह इस देश की खूबसूरती है कि इस देश के लोग आपस में मिलजुलकर और एक-दूसरे का आदर करके रहते हैं। सहिष्णुता ही इस देश की बुनियाद है।
इसी सम्मान ने भारत की विरासत को बचाकर रखा है
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा, कि 'एक-दूसरे के प्रति इसी सम्मान ने तो भारत की विरासत को बचाकर रखा है। हम दूसरे धर्म की आस्था और मान्यता का ख्याल रखते हैं। इसलिए गुरुद्वारे, दरगाह, मस्जिद, मंदिर के आगे से गुजरने के दौरान हाथ जोड़ लेते हैं। उनके इस भाषण को सियासी तराजू में नहीं तौलना चाहिए। उन्होंने दो साल पहले 2016 में भी इसी तरह अजान पर अपना भाषण रोक दिया था।'
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कहा, कि देश के मुखिया ने यह आदर देकर पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि दूसरे धर्म को आदर देने से ही विश्व शांति की ओर आगे बढ़ेगा।
सवाल उठाने वालों को तमाचा
पुरानी दिल्ली की मस्जिदों से आती अजान की आवाज से प्रधानमंत्री ने चार मिनट तक अपने भाषण को रोके रखा। यह उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है जो उन पर सवाल उठाते हैं। वह जैसा कहते हैं वही करते हैं। सबको साथ लेकर चलने व सबका विकास करने की भावना दिखाई देती है। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कांग्रेस इतनी सिकुडी हुई कभी नहीं थी जितनी आज है।