पद्मावत विवाद अब,...लेकिन 25 साल पहले ही लक्ष्मण ने बनाया था ये कार्टून

Update:2018-01-25 13:41 IST
लखनऊ: फिल्म 'पद्मावत' पर विवाद और इसके विरोध में हुई हिंसा ने 1993 में बने आर.के. लक्ष्मण के बनाए कार्टून की याद दिला दी। 'टाइम्स आफ इंडिया' (टीओआई) में 20 मई 1993 को छपे इस कार्टून को अखबार के मालिक विनीत जैन ने पद्मावत के रिलीज के ठीक 24 घंटे पहले ट्वीट किया और 25 साल पहले की याद दिला दी। दरअसल, पद्मावत को लेकर करणी सेना और उत्पात मचाने वाले लोगों की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वो सीधे तौर पर पूरे देश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है। किसी भी जाति का कोई भी संगठन कैसे पूरे देश को अपनी शर्त मंगवाने के लिए बंधक रख सकता है? तब कार्टून में क्या दिखाया था लक्ष्मण ने दिलचस्प है, कि आज से 20 साल पहले इस कार्टून में आर.के. लक्ष्मण ने ना केवल बीजेपी बल्कि उनके दोस्त और कार्टूनिस्ट बाल ठाकरे की पार्टी शिवसेना पर भी निशाना साधा था। ये कार्टून टीओआई में 20 मई 1993 को छपा था। इस कार्टून में दिखाया गया है, कि सेंसर बोर्ड के अधिकारी फिल्म देखकर बाहर निकल रहे हैं और उनमें से एक अधिकारी फिल्म निर्माता से कह रहा है, ‘Excellent! Full of Social Values, progressive ideas, fine acting. But You must get O.K. from Shiv Sena and BJP for public screening’। ..तब भी था यही हाल! यानी साफ निशाना है कि तब भी सेंसर बोर्ड इतना ही कमजोर था। फिल्म पास करने के बावजूद अगर थिएटर्स में शांति से दिखानी है तो फिल्म को शिवसेना या बीजेपी से परमीशन लेनी होगी। सर्वोच्च अदालत ने दी हरी झंडी लेकिन पद्मावत को लेकर हिंसक तत्व कुछ और आगे बढ़ गए हैं। लक्ष्मण ने तो सेंसर बोर्ड को ही कमजोर बताया था, लेकिन इस फिल्म में देश की सर्वोच्च अदालत भी शामिल है जिसे इसके रिलीज में कोई आपत्ति नहीं नजर आई। उसने बीजेपी शासित राज्यों के विरोध को दरकिनार कर इसके रिलीज की तारीख 25 जनवरी मुकर्रर कर दी। लक्ष्मण आज कार्टून बनाते तो लक्ष्मण आज अगर होते तो उनके कार्टून में बीजेपी शासित राज्यों के सीएम के चेहरे ही होते। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा के मंत्री का बयान तो उन्हें अवमानना के चौखट पर खड़ा करने के लिए काफी है। विरोध अगर लोकतांत्रिक तरीके से हो, तो ये जायज है लेकिन सरकारी संपत्ति को नुकसान, बसों में आग लगाने, स्कूली बच्चों के बसों पर पथराव कर इसका विरोध करना, ये साफ जाहिर करता है कि अपराधी तत्वों को फिल्म की ऐतिहासिकता से कोई मतलब नहीं, उनका काम सिर्फ हिंसा फैलाना है, जो सरकार प्रयोजित ही लगता है। 'चोली के पीछे क्या है..' थी वजह लक्ष्मण ने कार्टून शिवसेना और बीजेपी के हंगामें के बाद बनाया था। दरअसल, तब सुभाष घई की फिल्म 'खलनायक' में माधुरी दीक्षित पर एक गाना फिल्माया गया था। गीत के बोल थे, 'चोली के पीछे क्या है..।' उस वक्त देश में इसको लेकर काफी विरोध हुआ था। इस फिल्म की रिलीज में विवाद के पीछे भी यही गाना वजह था। आख़िरकार फिल्म टलकर 1993 के अगस्त महीने में जाकर रिलीज हो पाई थी। ये माना जा सकता है कि गाने में अश्लीलता का कुछ पुट था, लेकिन पद्मावत के साथ ऐसा कुछ नहीं है।

लखनऊ: फिल्म 'पद्मावत' पर विवाद और इसके विरोध में हुई हिंसा ने 1993 में बने आर.के. लक्ष्मण के बनाए कार्टून की याद दिला दी। 'टाइम्स आफ इंडिया' (टीओआई) में 20 मई 1993 को छपे इस कार्टून को अखबार के मालिक विनीत जैन ने पद्मावत के रिलीज के ठीक 24 घंटे पहले ट्वीट किया और 25 साल पहले की याद दिला दी।

दरअसल, पद्मावत को लेकर करणी सेना और उत्पात मचाने वाले लोगों की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वो सीधे तौर पर पूरे देश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है। किसी भी जाति का कोई भी संगठन कैसे पूरे देश को अपनी शर्त मंगवाने के लिए बंधक रख सकता है?

तब कार्टून में क्या दिखाया था लक्ष्मण ने

दिलचस्प है, कि आज से 25 साल पहले इस कार्टून में आर.के. लक्ष्मण ने ना केवल बीजेपी बल्कि उनके दोस्त और कार्टूनिस्ट बाल ठाकरे की पार्टी शिवसेना पर भी निशाना साधा था। ये कार्टून टीओआई में 20 मई 1993 को छपा था। इस कार्टून में दिखाया गया है, कि सेंसर बोर्ड के अधिकारी फिल्म देखकर बाहर निकल रहे हैं और उनमें से एक अधिकारी फिल्म निर्माता से कह रहा है, ‘Excellent! Full of Social Values, progressive ideas, fine acting. But You must get O.K. from Shiv Sena and BJP for public screening’।

..तब भी था यही हाल!

यानी साफ निशाना है कि तब भी सेंसर बोर्ड इतना ही कमजोर था। फिल्म पास करने के बावजूद अगर थिएटर्स में शांति से दिखानी है तो फिल्म को शिवसेना या बीजेपी से परमीशन लेनी होगी।

सर्वोच्च अदालत ने दी हरी झंडी

लेकिन पद्मावत को लेकर हिंसक तत्व कुछ और आगे बढ़ गए हैं। लक्ष्मण ने तो सेंसर बोर्ड को ही कमजोर बताया था, लेकिन इस फिल्म में देश की सर्वोच्च अदालत भी शामिल है जिसे इसके रिलीज में कोई आपत्ति नहीं नजर आई। उसने बीजेपी शासित राज्यों के विरोध को दरकिनार कर इसके रिलीज की तारीख 25 जनवरी मुकर्रर कर दी।

लक्ष्मण आज कार्टून बनाते तो

लक्ष्मण आज अगर होते तो उनके कार्टून में बीजेपी शासित राज्यों के सीएम के चेहरे ही होते। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा के मंत्री का बयान तो उन्हें अवमानना के चौखट पर खड़ा करने के लिए काफी है। विरोध अगर लोकतांत्रिक तरीके से हो, तो ये जायज है लेकिन सरकारी संपत्ति को नुकसान, बसों में आग लगाने, स्कूली बच्चों के बसों पर पथराव कर इसका विरोध करना, ये साफ जाहिर करता है कि अपराधी तत्वों को फिल्म की ऐतिहासिकता से कोई मतलब नहीं, उनका काम सिर्फ हिंसा फैलाना है, जो सरकार प्रयोजित ही लगता है।

'चोली के पीछे क्या है..' थी वजह

लक्ष्मण ने कार्टून शिवसेना और बीजेपी के हंगामें के बाद बनाया था। दरअसल, तब सुभाष घई की फिल्म 'खलनायक' में माधुरी दीक्षित पर एक गाना फिल्माया गया था। गीत के बोल थे, 'चोली के पीछे क्या है..।' उस वक्त देश में इसको लेकर काफी विरोध हुआ था। इस फिल्म की रिलीज में विवाद के पीछे भी यही गाना वजह था। आख़िरकार फिल्म टलकर 1993 के अगस्त महीने में जाकर रिलीज हो पाई थी। ये माना जा सकता है कि गाने में अश्लीलता का कुछ पुट था, लेकिन पद्मावत के साथ ऐसा कुछ नहीं है।

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