इस्लामाबाद : पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ईसाई महिला आसिया बीबी के मृत्युदंड को रद्द करने के फैसले के खिलाफ कट्टरपंथी इस्लामी समूहों ने बुधवार को देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया। आसिया को 2010 में ईशनिंदा के लिए निचली अदालत ने दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है।
शीर्ष अदालत ने आसिया के मृत्युदंड के फैसले को पलट दिया था और दोषों से बरी कर दिया था। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की रहने वाली आसिया पांच बच्चों की मां हैं। आसिया पर 2009 में अपने पड़ोसियों के साथ झगड़े के दौरान पैगंबर मोहम्मद के नाम को बिगाड़ कर बोलने का आरोप था।
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आसिया ने लगातार खुद को बेगुनाह बताया लेकिन पिछले आठ साल उन्होंने अपना अधिकतर समय एकान्त कारावास में बिताया।
इस ऐतिहासिक फैसले से गुस्साए ईशनिंदा के कानूनों का मजबूती से समर्थन करने वाले समूहों ने हिंसक प्रदर्शन किए। फैसले के विरोध में कराची, लाहौर, पेशावर और मुल्तान में प्रदर्शन किए गए। पुलिस के साथ भिड़ंत की भी खबरें आई हैं।
कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने एक बयान में कहा, "पैगंबर की पवित्रता के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। हम जान दे देंगे। हम पीछे नहीं हटेंगे।" इसी समूह ने आसिया बीबी के रिहा होने पर न्यायाधीशों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।
लब्बैक ने ट्रेन स्टेशनों और हवाईअड्डों को बंद करने की चेतावनी दी है।
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इस्लामाबाद में सर्वोच्च न्यायालय जिस रेड जोन में स्थित है, उसे सील कर दिया गया है और वहां अर्ध सैनिक बल तैनात कर दिए गए हैं।
प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार ने आदेश पढ़ते हुए कहा कि अगर आसिया बीबी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो वह तुरंत लाहौर के समीप शेखपुरा स्थित जेल से मुक्त होकर जा सकती हैं।
न्यायमूर्ति निसार ने कहा, "अपील मंजूर की जाती है। मृत्युदंड की सजा रद्द कर दी गई है। आसिया बीबी को दोषों से बरी किया जाता है।"
एक पुलिसकर्मी के करीब खड़े आसिया के वकील ने बताया कि वह फैसले से खुश हैं लेकिन वह अपनी और अपनी मुवक्किल की सुरक्षा को लेकर डरे हुए भी हैं।
लाहौर में पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि करीब 500 प्रदर्शनकारी प्रांतीय विधानसभा के बाहर इकठ्ठा हुए और इलाके की सड़कों को जाम कर दिया। उन्होंने कहा, "प्रदर्शनकारी तोड़ फोड़ कर रहे हैं।"
कराची शहर के लब्बैक के प्रवक्ता आबिद हुसैन ने कहा कि कम से कम पांच जगहों पर प्रदर्शन हुए। करीब 300 लोगों ने इस्लामाबाद के मुख्य प्रवेश को जाम कर दिया, जो इसे पड़ोसी रावलपिंडी से जोड़ता है।
पाकिस्तान दंड संहिता के तहत ईशनिंदा के अपराध के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद की सजा दी जाती है।
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आसिया के मामले पर व्यापक नाराजगी फैली और दुनिया भर के ईसाईयों का उन्हें समर्थन मिला था। ईसाईयों ने पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामी समूहों की निंदा की थी, जो आसिया के लिए मृत्युदंड की मांग कर रहे थे।
यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय के प्रवेश द्वार पर तैनात दंगा पुलिस और बम विशेषज्ञों के साथ कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच सुनाया गया।
कमरे के अंदर सुरक्षा बनाए रखने के लिए आतंक रोधी दस्ते के निशस्त्र कमांडों तैनात थे।
आसिया 2014 में लाहौर उच्च न्यायालय में दाखिल अपील हार गई थीं। 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने मृत्युदंड आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि वह अपील को देखेगा और उसके बाद फैसला सुनाएगा।