भारतीय रेलवे का कमाल: 'प्रभु' ने पटरी पर दौड़ाई विश्व की पहली सोलर एनर्जी ट्रेन
नई दिल्लीः विश्व की पहली सोलर एनर्जी डीईएमयू यानि 'डीजल इलेक्ट्रिक मल्टी यूनिट' ट्रेन चलाने का गौरव भारतीय रेलवे को प्राप्त। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को विश्व की पहली सोलर एनर्जी ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। यह ट्रेन दिल्ली के सराय रोहिल्ला से गुरुग्राम के फारुख नगर तक चलेगी। इसे भारतीय रेलवे की बड़ी सफलता माना जा रहा है। विश्व की पहली सोलर एनर्जी ट्रेन की शुरुआत से आने वाले दिनों में भारतीय रेल का कद और बढ़ेगा।
सफदरगंज रेलवे स्टेशन पर उद्घाटन के लिए लाई गई इस ट्रेन में इंजन के अलावा सब कुछ सोलर एनर्जी से चल रहा था। इस दौरान रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, कि 'रेलवे की मंशा तेजी से ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ने की है, जिससे क्लीन-ग्रीन एनर्जी से चलने वाली ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सके।'
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जानें कैसे करेगा काम
इस बारे में रेलवे बोर्ड के रोलिंग ट्रैफिक मेंबर, रवींद्र गुप्ता ने कहा, कि 'सफदरगंज रेलवे स्टेशन से चलने वाली इस ट्रेन के हर कोच में 16 सोलर पैनल लगे हैं। ये पैनल दिनभर में 20 सोलर यूनिट बिजली बनाएंगे, जो ट्रेन की बैट्रियों में स्टोर होगी। सोलर ट्रेन के प्रत्येक कोच में 300 वॉट के 16 सोलर पैनल लगाए गए हैं। इससे करीब 28 पंखे और 20 ट्यूबलाइट जल सकेंगी। स्टोर सोलर बिजली से ट्रेन का काम दो दिन तक चल सकता है। किसी भी आपात स्थिति में कोच का लोड खुद-ब-खुद डीजल एनर्जी पे शिफ्ट हो जाएगा। इससे सलाना 9 टन कार्बन उत्सर्जन घटेगा और 21 हज़ार लीटर डीजल की बचत होगी।'
ट्रेन में और क्या है खास?
-इस ट्रेन में गद्देदार सीटों का इस्तेमाल किया गया है।
-इसके अलावा हर कोच में एक डिस्प्ले बोर्ड लगाया गया है।
-वहीं, यात्रियों के सामान रखने के लिए रैक भी बनाए गए हैं।
-यह ट्रेन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी में बनी है।
-इस 6 कोच वाले रैक पर दिल्ली के शकूरबस्ती वर्कशॉप में सौर पैनलों लगाए गए।
-अगले छह महीने में शकूरबस्ती वर्कशॉप में इस तरह के 24 और कोच तैयार हो जाएंगे।
-इस ट्रेन की कुल लागत करीब 13.54 करोड़ रुपए।
-प्रत्येक पैसेंजर कोच बनाने में 1 करोड़ जबकि मोटर कोच बनाने में 2.5 करोड़ खर्च हुए हैं।
-इसके अलावा हर सोलर पैनल पर 9 लाख रुपये का खर्च आया है.
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