राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कारों की घोषणा

Update: 2017-09-27 09:12 GMT
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कारों की घोषणा

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज (27 सितंबर) राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कारों की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने विजेताओं को बधाई भी दी।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा, कि 'मुझे ख़ुशी है कि पर्यटन के क्षेत्र में 'स्वच्छता पुरस्कार' भी दिया जा रहा है। इस क्षेत्र में स्वच्छता की महत्ता को बढ़ावा दिया जा रहा है। पर्यटन के विकास के लिए स्वच्छता अनिवार्य है। साथ ही, 'स्वच्छ भारत' के लक्ष्य को प्राप्त कर, हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को वर्ष 2019 में उनकी 150वीं जयंती पर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, यह मेरी आकांक्षा है।'

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युवाओं की कुशलता पर लें लाभ

राष्ट्रपति कोविंद ने इस मौके पर देश की युवा आबादी के बारे में बात करते हुए कहा, कि 'हमारे देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की है। हमें इस डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ लेना है। युवा पीढ़ी की कुशलताओं और प्रतिबद्धता के बल पर देश का भविष्य मजबूत होता है। मुझे विश्वास है कि यह पीढ़ी, पर्यटन सहित, भारत के समग्र विकास को तेज गति प्रदान करेगी।

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देश की जीडीपी में पर्यटन का विशेष योगदान

कोविंद बोले, 'साल 2016 के दौरान भारत में इस उद्योग का जीडीपी को कुल 9.6 प्रतिशत तथा कुल रोजगार को 9.3 प्रतिशत योगदान था। कम लागत से, अधिक लोगों के लिए, स्थायी रूप से रोजगार के अवसर पैदा करने, और गरीबी दूर करने में पर्यटन उद्योग बहुत अधिक योगदान कर सकता है।' उन्होंने कहा, एक आकलन के अनुसार पर्यटन उद्योग में 10 लाख रुपए का निवेश करने से लगभग 90 लोगों को रोजगार मिलता है, जबकि कृषि क्षेत्र में लगभग 45, और मैन्युफैक्चरिंग में लगभग 13 लोगों को।

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आदि-शंकराचार्य राष्ट्र निर्माता भी थे

राष्ट्रपति ने इस मौके पर पर्यटन को देश की संस्कृति का एक अहम हिस्सा बताते हुए कहा कि 'हमारे देशवासी प्राचीन काल से ही अपने जन्मस्थानों से दूर के क्षेत्रों में भ्रमण करते रहे हैं। धर्म और संस्कृति ने इस भ्रमण और पर्यटन को व्यवस्थित रूप दिया। पिछले रविवार मुझे उत्तराखंड में केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने का सौभाग्य मिला। वहां मेरे मन में यह सवाल उठा, कि सुदूर दक्षिण में केरल के मैदानी इलाके में रहने वाले शंकराचार्य ने उत्तर में हिमालय की ऐसी ऊंचाइयों में मठ की स्थापना क्यों और कैसे की होगी? ऐसी मान्यता है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिरों के निर्माण में शंकराचार्य का योगदान था। तमिलनाडु से उत्तराखंड तक और गुजरात से ओडिशा तक, इस देश को एक सूत्र में बांधने वाले आदि-शंकराचार्य केवल एक आध्यात्मिक विभूति ही नहीं थे, वे राष्ट्र निर्माता भी थे।'

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'Incredible India' होगी मददगार

इस मौके पर उन्होंने सरकार के आज शुरू हुए 'Incredible India 2.0 अभियान' की तारीफ भी की और कहा कि 'पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त प्रयास से आज ही शुरू किए गए। 'Adopt a Heritage Project' में हमारी समृद्ध और विविधतापूर्ण धरोहर को आकर्षक और पर्यटकों के लिए सुविधाजनक बनाने की पर्याप्त क्षमता है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी से स्मारकों के रख-रखाव को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही मुझे आशा है कि 'Incredible India वेबसाइट', लोगों को पर्यटन से जोड़ने में उपयोगी सिद्ध होगी"

 

 

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