लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव गुरुवार (11 जनवरी) को बीजेपी पर आक्रामक नजर आए और कहा, कि ये सरकार सभी मोर्चे पर असफल है। उनका लक्ष्य अब सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाना है इसलिए संगठन को मजबूत करने के लिए उन्होंने सभी लोगों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। सपा पर अब तक एक जाति की पार्टी होने का आरोप लगता रहा है लेकिन अखिलेश चाहते हैं कि अब पार्टी में ज्यादा पढ़े-लिखे और पेशेवर लोग आगे आएं।
गोरखपुर महोत्सव पर चुटकी लेने के अंदाज में अखिलेश बोले, 'ख़ुशी का माहौल है। हम इनके समर्थक हैं, कला के पक्षधर हैं। बीजेपी के लोगों को जवाब देना चाहिए सैफई से तुलना हुई है तो आयोजन और अच्छा होना चाहिए।'
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने शुरुआत ही विरोधियों पर हमले से किया। उन्होंने कहा, 'जो मेरी पार्टी से लड़ा ही नहीं, उसे कहा जा रहा है कि वो सपा छोड़ गए।' उन्होंने पार्टी में शामिल ताहिर हुसैन की तारीफ की। बोले, ताहिर ने गरीब, किसान, नौजवान और मुसलमानों के साथ मिलकर काम करने का वादा किया है।
क्वालिफाइड लोगों को भी पार्टी से जोड़ेंगे
सपा अध्यक्ष ने आगे कहा, समाज को जोड़कर काम करने वाले पार्टी में शामिल हुए हैं। डॉक्टर और प्रोफेसर भी आज पार्टी में शामिल हुए। हमारी कोशिश है कि राजनीतिक लोगों के साथ क्वालिफाइड लोगों को भी पार्टी में शामिल किया जाए। पार्टी को बढ़ाने और संगठन को मजबूत करने के लिए हमने दरवाज़े खोले हैं। ज़्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने का काम किया है।
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प्रदेश में बढ़ा है ज़ुल्म
इसके बाद अखिलेश एक बार फिर प्रदेश की योगी सरकार पर हमलावर दिखे। उन्होंने कहा, 'हाल के महीनों में प्रदेश में ज़ुल्म बढ़ा है। कन्नौज में दलित दरोगा की हत्या का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस वाले की पीटकर हत्या कर दी गई। प्रशासन ने इतना दबाव बनाया कि मुक़दमा तक दर्ज नहीं हो रही है।' शामली में भी ऐसे ही जान ले ली गई। उसके बाद राजनीतिक दल के लोग दबाव बना रहे हैं। मैंने इन लोगों की दरख्वास्त राज्यपाल तक पहुंचाई है।
उन्होंने कहा, पुलिस के अधिकारी इसलिए आगे नहीं आ रहे क्योंकि 'दिन अच्छे' नहीं हैं। अच्छे दिन के इंतजार में डीजीपी नहीं आ रहे।
सबसे बड़ी 'जातिवादी' पार्टी बीजेपी है
सपा अध्यक्ष ने कहा, यूपी में अपराध की बाढ़ सी आ गई है। महिलाओं और लड़कियों पर ज़ुल्म बढ़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सबसे बड़ी 'जातिवादी' पार्टी बीजेपी है, लेकिन हमारे लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। उनके लिए कोई नहीं लिखता। हम जातिवादी नहीं विकासवादी हैं। साइकिल को एक्सप्रेस-वे पर नहीं जाने देने की बात है। हमने शानदार एक्सप्रेस-वे बनाया है। वो नहीं बना पा रहे हैं। हमने कई चिठ्ठी गवर्नर को लिखी है, शायद मदद मिले।'
हम दोस्त नहीं बदलते हैं
कांग्रेस से गठबंधन पर अखिलेश बोले, हम अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत कर रहै हैं। हम बूथ और संगठन को तैयार कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि गठबंधन पर हम चुनाव नजदीक आने पर फैसला करेंगे। हम दोस्ती बहुत सोच-समझकर कहते हैं बहुत धोखे खाए हैं। हम दोस्त नहीं बदलते हैं।'
रंग बदलने से खुशहाली नहीं आएगी
योगी सरकार आने के बाद से लगातार सरकारी दफ्तरों, हज हाउस और बसों के रंग बदले जाने पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा, 'रंग बदलने से खुशहाली नहीं आएगी। रंग बदलने के लिए जनता तैयार है, लेकिन वो है रंग की राजनीति।' उन्होंने कहा, मान लें अगर कोई बाथरूम में जा रहा है और वह जगह भगवा रंग से रंगा है तो किसका अपमान होगा। यह धर्म का अपमान करने वाले लोग हैं। रंग बदलने की राजनीति लोगों को भटकाने के लिए है। सपा अध्यक्ष ने इन सबको किसानों की समस्या निपटाने में सरकार की विफलता को छुपाने का प्रयास बताया।
अन्य मुद्दों पर भी घेरा
इसके अलावा अखिलेश यादव ने आलू किसानों की समस्या, गन्ना किसानों के भुगतान और अब तक प्रदेश में स्कूली बच्चों में स्वेटर नहीं बांटे जाने का भी मुद्दा उठाया। साथ ही, गढ्ढा मुक्त सड़क के वादे हवा-हवाई होने पर भी योगी सरकार को घेरा।
ये हुए सपा में शामिल
बसपा के पूर्व विधायक ताहिर हुसैन सिद्दीकी के साथ तहसीन सिद्दीकी, फरहत अब्बास, हाजी अकमल कुरैशी, जितेंद्र मिश्र, रमेश सेठ, आनंद वर्मा, दिग्विजय सिंह सपा में शामिल हुए। अमित सिंह बीजेपी छोड़ सपा ज्वाइन किया। वहीँ, विश्राम पाल धरगर गांव घर पार्टी का विलय सपा में शामिल हुए। सपा में शामिल होने वालों में अन्य नाम लाल चंद्र कोल, शंभू यादव, जय प्रकाश श्रीवास्तव, राम प्रकाश सिंह (कांग्रेस) सहित कई पूर्व विधायक व सांसदों का है। इन सभी ने आज सपा ज्वाइन किया। इनके अलावा भगवान सिंह कुशावाह, नंद किशोर, शंभू चौधरी, श्याम लाल रावत भी सपा में शामिल हुए। थोड़ी देर में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इनके पार्टी न शामिल होने की औपचारिक घोषणा करेंगे।