मुंबई/लखनऊ: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस कार्यक्रम में शिरकत को शिवसेना ने 2019 चुनाव से जोड़ दिया है और उसका दावा है कि यदि चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो प्रणब मुखर्जी एनडीए के पीएम उम्मीदवार हो सकते हैं ।
शिवसेना का कहना है कि प्रणब मुखर्जी को आरएसएस ने अपने कार्यक्रम में ऐसे ही आमंत्रित नहीं किया था बल्कि इसके पीछे सोची समझी नीति थी। शिवसेना की मानें तो RSS अपने कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी को बुलाकर 2019 का ग्राउंड तैयार कर रहा है।
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इसके पीछे शिवसेना का तर्क है कि अगर बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो प्रणब मुखर्जी का नाम पीएम उम्मीदवार के लिए आगे कर दिया जाएगा।
नाराज शिवसेना को मनाने के प्रयास में बीजेपी
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा और कहा कि इस हिंदूवादी संगठन ने कभी भी शिवसेना के पूर्व प्रमुख बाल ठाकरे को अपने मंच पर आमंत्रित नहीं किया जबकि इफ्तार पार्टी आयोजित कर मुसलमानों को खुश करने की कोशिश हो रही है।
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शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी को संघ के कार्यक्रम में बुलाने के पीछे दिल्ली में रणनीति तैयार हो रही है। बीजेपी 2019 के चुनावों को ध्यान में रखकर एजेंडा तय कर रही है।
2019 चुनाव के बाद अगर बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो फिर ये दांव काम आ जाएगा क्योंकि त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में मोदी के नाम पर अगर सहयोगी तैयार नहीं हुए तो फिर प्रणब मुखर्जी के नाम को आगे कर दिया जाएगा, और ये सभी के लिए सर्वमान्य हो सकते हैं।
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नाराज शिवसेना को मनाने के प्रयास के तहत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले हफ्ते उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी लेकिन इस मुलाकात के अगले दिन ही शिवसेना प्रमुख ने कहा था कि अभी जो कुछ भी हो रहा है, वह सब ड्रामा है और पार्टी अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। पालघर लोकसभा सीट के लिए हाल में हुए उपचुनाव में शिवसेना उम्मीदवार बीजेपी उम्मीदवार से हार गया था।