चुनाव से पहले SC का ऐतिहासिक फैसला-धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगने पर रोक

Update:2017-01-02 11:19 IST

नई दिल्ली: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने चुनाव के दौरान धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगने पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने सोमवार (2 जनवरी 2017) को यह फैैसला सुनाया है।

जाति के नाम पर नहीं मांगेंगे वोट

7 जजों की संवैधानिक पीठ ने यह फैैसला सुनाते हुए कहा कि प्रत्याशी और उसके विरोधी धर्म और जाति का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए नहीं करेंगे। चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक बताया जा रहा है। 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए यह फैसला अहम माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि भगवान और मनुष्य के बीच का रिश्ता व्यक्तिगत मामला है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी सरकार किसी एक धर्म के साथ विशेष व्यवहार नहीं कर सकती। एक धर्म विशेष के साथ खुद को नहीं जोड़ सकती।

ये थे जज

शीर्ष न्यायालय में बहुमत का विचार प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति एल एन राव, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे का था, जबकि अल्पमत का विचार न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ का था।

चुनाव के दौरान विभिन्‍न पार्टियां जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगती रही हैं। खासकर यूपी में जातिगत फैक्‍टर कई पार्टियों की जीत की कुंजी है। चुनाव सेे पहले यह फैसला आने से इन पार्टियों को अब जाति और धर्म की राजनीति छोड़कर नया मुद्दा तलाशना होगा।

यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर जातिगत राजनीति करने के आरोप लगते रहे हैं जबकि बीजेपी पर धर्म के नाम पर रा‍जनीति करने के आरोप लगे हैं ।

 

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