Street Dog News: काटते हैं, हमला करते हैं, खूंखार हो गए हैं ये, कब और कौन लगाएगा इन पर लगाम

Street Dog News: 2022 में देशभर में कुत्तों के काटने के 1.75 करोड़ मामले दर्ज हुए, जिनमें से 59,000 लोगों की मौत रेबीज के कारण हुई।

Written By :  Ankit Awasthi
Update:2024-12-01 14:50 IST

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Street Dog News: लखनऊ सहित देश के विभिन्न शहरों में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। ये कुत्ते न केवल यातायात में बाधा डालते हैं, बल्कि कई बार लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा भी बनते हैं। हाल के महीनों में आवारा कुत्तों द्वारा काटने और हमले की घटनाओं में तेजी आई है, जिससे जनता में डर और प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। 2022 में देशभर में कुत्तों के काटने के 1.75 करोड़ मामले दर्ज हुए, जिनमें से 59,000 लोगों की मौत रेबीज के कारण हुई। रेबीज टीकाकरण और चिकित्सा उपचार पर देश हर साल हजारों करोड़ रुपये खर्च करता है।

समस्या की जड़

बढ़ती संख्या

आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी नसबंदी कार्यक्रमों की कमी के कारण इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

अपर्याप्त आश्रय

सरकारी और निजी स्तर पर पर्याप्त आश्रय गृहों का अभाव है, जिससे कुत्ते सड़कों पर रहने को मजबूर हैं।

खाद्य संकट

आवारा कुत्ते खाने की तलाश में कूड़ेदानों और सार्वजनिक स्थानों पर घूमते रहते हैं, जिससे गंदगी और बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

रखरखाव की कमी

नगर निगमों द्वारा इस समस्या के प्रति ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।


हाल की घटनाएं और प्रभाव

हमले के मामले

लखनऊ के गोमती नगर और इंदिरा नगर क्षेत्रों में हाल ही में आवारा कुत्तों ने बच्चों और बुजुर्गों पर हमला किया।

बीमारी फैलने का डर

रेबीज के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है।

सामाजिक असंतोष

स्थानीय निवासियों ने कई बार नगर निगम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किए, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

प्रशासन की ओर से उठाए गए कदम

नगर निगमों द्वारा आवारा कुत्तों के लिए नसबंदी अभियान चलाने और उन्हें आश्रय गृहों में भेजने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। हालांकि, बजट की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण इन योजनाओं का प्रभाव सीमित है।

समाधान की दिशा में सुझाव

नसबंदी कार्यक्रम का सख्त क्रियान्वयन

हर शहर में बड़े पैमाने पर नसबंदी कार्यक्रम शुरू किए जाएं।

आश्रय गृहों की स्थापना

आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त आश्रय गृह बनाकर उनकी देखभाल सुनिश्चित की जाए।

जनता की जागरूकता

लोगों को कुत्तों को खाना खिलाने के सही तरीकों और उनके व्यवहार को समझने के लिए शिक्षित किया जाए।

सामुदायिक भागीदारी

स्थानीय एनजीओ और पशु कल्याण संगठनों को इस समस्या के समाधान में शामिल किया जाए।


समस्या के मुख्य कारण अव्यवस्थित नसबंदी कार्यक्रम

कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए नसबंदी कार्यक्रम पर्याप्त गति से नहीं चल रहे हैं।

खाद्य स्रोत

बढ़ते कूड़ा-कचरे और शहरी क्षेत्रों में खुले कचरे के कारण आवारा कुत्तों को पर्याप्त भोजन मिलता है, जिससे उनकी संख्या बढ़ती है।

अवैध प्रजनन

कुछ स्थानों पर पालतू कुत्तों के प्रजनन के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है, जिससे आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती है।

सामाजिक तनाव

शहरी इलाकों में लोग इस समस्या से त्रस्त हैं और कई बार कुत्तों को मारने जैसे गैरकानूनी कदम उठाते हैं।

प्रशासन की पहल

नसबंदी और टीकाकरण अभियान

2021 में शुरू हुए "एनीमल बर्थ कंट्रोल (ABC)" कार्यक्रम के तहत कई शहरों में नसबंदी और टीकाकरण किया जा रहा है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

आश्रय गृह

कुछ बड़े शहरों में आवारा कुत्तों के लिए आश्रय गृह बनाए गए हैं, लेकिन उनकी क्षमता सीमित है।

एनजीओ का योगदान

एनजीओ और पशु कल्याण संगठनों द्वारा आवारा कुत्तों के लिए भोजन, चिकित्सा, और आश्रय उपलब्ध कराया जा रहा है।


आगे का रास्ता

नसबंदी और टीकाकरण

सरकार को सभी नगर निकायों में व्यापक और नियमित नसबंदी कार्यक्रम सुनिश्चित करना चाहिए।

आधुनिक आश्रय गृह

आवारा कुत्तों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त आश्रय गृह बनाए जाएं।

जन जागरूकता

जनता को कुत्तों के साथ मानवीय व्यवहार और उनकी देखभाल के प्रति जागरूक किया जाए।

कानून का पालन

पालतू कुत्तों के प्रजनन और उन्हें छोड़ने पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाएं।

नए कानून

रेबीज और कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।

आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान केवल प्रशासनिक कदमों से संभव नहीं है। इसके लिए जनता, प्रशासन और पशु कल्याण संगठनों का सामूहिक प्रयास आवश्यक है। यह समस्या केवल इंसानों की सुरक्षा से संबंधित नहीं है, बल्कि जानवरों के साथ मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करने का भी सवाल है। यदि सही कदम उठाए जाएं, तो यह समस्या न केवल नियंत्रित की जा सकती है, बल्कि एक स्वस्थ और सुरक्षित समाज की स्थापना भी की जा सकती है।

आवारा कुत्तों से अन्य जानवरों की रक्षा के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं। इन प्रयासों से आवारा कुत्तों को नियंत्रित करते हुए बाकी जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है:

1. नसबंदी और टीकाकरण

आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए व्यापक नसबंदी अभियान (Animal Birth Control Program) चलाए जाएं।

रेबीज और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए आवारा कुत्तों का नियमित टीकाकरण जरूरी है।

इससे आक्रामक व्यवहार और प्रजनन क्षमता में कमी आती है, जिससे अन्य जानवरों पर हमले कम हो सकते हैं।

2. सुरक्षित आश्रय और भोजन व्यवस्था

आवारा कुत्तों के लिए सुरक्षित आश्रय गृह बनाए जाएं, जहां उन्हें भोजन और चिकित्सा सुविधाएं मिलें।

कुत्तों के भोजन और पानी की व्यवस्था ऐसी जगहों पर करें, जो अन्य जानवरों से अलग हो। इससे कुत्तों और अन्य जानवरों के बीच टकराव की संभावना कम होगी।

3. पशुओं के लिए बाड़बंदी (Enclosures)

खेतों, गौशालाओं, और पशु आश्रयों में मजबूत बाड़बंदी करें ताकि आवारा कुत्ते वहां प्रवेश न कर सकें।

बाड़ के साथ सुरक्षा अलार्म या कैमरे लगाना भी एक अच्छा उपाय हो सकता है।

4. जागरूकता अभियान

लोगों को यह समझाने के लिए जागरूक करें कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाते समय उनके व्यवहार को ध्यान में रखें।

स्थानीय समुदायों को जानवरों के साथ मानवीय व्यवहार और उनके संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाए।

5. कुत्तों का व्यवहार प्रबंधन

प्रशिक्षकों और एनजीओ की मदद से आक्रामक आवारा कुत्तों को पकड़कर उनके व्यवहार में सुधार किया जा सकता है।

"Behavior Modification Programs" के तहत कुत्तों को कम आक्रामक बनाने की ट्रेनिंग दी जा सकती है।

6. स्थानीय प्रशासन की भूमिका

नगरपालिका और पंचायत स्तर पर आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी योजना बनाई जाए।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पशु बचाव दल सक्रिय रूप से कार्य करें।

7. कानूनी उपाय

Prevention of Cruelty to Animals Act के तहत कुत्तों और अन्य जानवरों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

आवारा कुत्तों के आक्रामक व्यवहार पर नजर रखने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं।

8. तकनीकी समाधान

GPS ट्रैकिंग कॉलर और माइक्रोचिप्स की मदद से आवारा कुत्तों की निगरानी की जा सकती है।

आधुनिक उपकरणों से पशु आश्रयों और खुले स्थानों पर कुत्तों के प्रवेश को रोका जा सकता है।


निष्कर्ष

इन उपायों से आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों के बीच संघर्ष को कम किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी जानवरों को मानवीय तरीके से संभाला जाए, जिससे उनके लिए सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण बनाया जा सके। स्थानीय समुदाय, एनजीओ और सरकार का सामूहिक प्रयास इस दिशा में बड़ा बदलाव ला सकता है।

अगर आप रात में कहीं आवारा कुत्तों से घिर जाएं, तो खुद को सुरक्षित रखने के लिए इन उपायों को अपनाएं:

1. शांत रहें और घबराएं नहीं

घबराने से कुत्ते आक्रामक हो सकते हैं।धीमे और स्थिर कदमों से पीछे हटें। कुत्तों से आंख मिलाकर रखें, लेकिन उन्हें घूरें नहीं।

2. दौड़ें नहीं

कुत्तों के सामने दौड़ने से वे पीछा करने लगते हैं।लिहाज़ा अपनी स्थिति पर नियंत्रण रखें और स्थिरता से खड़े रहें।

3. रुकावट का इस्तेमाल करें

कुत्तों को रोकने के लिए पास की किसी चीज़ का इस्तेमाल करें, जैसे बैग, छड़ी, या पत्थर।अपने हाथों में कुछ पकड़ लें ताकि वे सीधे आप पर हमला न करें।

4. तेज आवाज में चिल्लाएं

कुत्तों को डराने के लिए "हटो!" या "भागो!" जैसे कमांड का उपयोग करें।जोर से चिल्लाने से कुत्ते अक्सर डर जाते हैं।

5. पानी या स्प्रे का इस्तेमाल करें

पानी की बोतल या मिर्च स्प्रे से कुत्तों को दूर भगाया जा यह उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन उन्हें पीछे हटने पर मजबूर करता है।

6. समूह में रहें

यदि संभव हो, तो अन्य लोगों के साथ चलें। समूह में होने से कुत्तों के आक्रमण की संभावना कम हो जाती है।

7. मदद के लिए पुकारें

यदि कुत्ते आक्रामक हो रहे हों, तो पास के लोगों को आवाज दें।फोन पर पुलिस, स्थानीय एनजीओ, या पशु बचाव सेवाओं से मदद मांगें।

8. कुत्ते के हमले से बचाव

यदि कुत्ता हमला करे, तो खुद को बचाने के लिए अपनी कोहनी या घुटनों से बचाव करें।कुत्ते को गर्दन या मुंह पकड़ने से रोके और उसकी आंखों पर हमला न करें।

9. खुद को बचाने के लिए उपकरण रखें

रात में सफर करते समय टॉर्च, मिर्च स्प्रे, या अलार्म व्हिसल साथ रखें।

कुत्तों को दूर रखने के लिए अल्ट्रासोनिक डिवाइस का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

10. कुत्तों के व्यवहार को समझें

कुत्तों को खतरा महसूस न कराएं।उनके रास्ते से हट जाएं और उन्हें उकसाने से बचें।

निष्कर्ष

आवारा कुत्तों से बचने के लिए सतर्कता और समझदारी जरूरी है। उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश न करें, क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। अपने आसपास की स्थिति का आकलन करते हुए उपरोक्त उपायों का पालन करें। अगर यह समस्या बार-बार होती है, तो स्थानीय प्रशासन या एनजीओ से संपर्क करें।

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