VIDEO: 11 साल से दिल है बच्चा, बेटी के साथ खेल पाऊं यही है आखिरी इच्छा

Update:2016-04-06 16:46 IST

Ashutosh Tripathi

लखनऊ: जिंदा हूं मैं तो उसकी मुस्कान देखकर, चुभन होती है कम तो उसकी आवाज सुनकर, दर्द में भी थोड़ा हंस लेता हूं तो उसकी खुशी सोचकर। बेबसी और लाचारी जब हद से गुजर जाती है तो गम अल्फाजों का सहारा लेने पर मजबूर हो जाता है। जरा महसूस कीजिए, उस पिता की तड़प जो अपनी बेटी को गोद में नहीं उठा सकता। आइसक्रीम खिलाने बाहर लेकर नहीं जा सकता। उसकी छोटी सी जिद को पूरा नहीं कर सकता। 32 साल के चंद्रपाल रावत पिछले 11 साल से इसी तड़प और घुटन के साथ जी रहे हैं।

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चंद्रपाल जब 21 साल के थे तो सरोजिनी के पास एक एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। इस हादसे ने हंसते-खेलते एक परिवार को गम के समंदर में धकेल दिया। वक्त के साथ पत्नी की ख्वाहिशों ने दम तोड़ दिया। बेटी की हसरतों को वक्त की नजर लग गई और तेज रफ्तार से भागती हुई जिंदगी थम गई। 11 साल से चंद्रपाल बिस्तर से नहीं उठे हैं, फिर भी इस पिता की जिद ही है, जिसने उसे जिंदा रखा है। अब उनके दिल में सिर्फ एक ही ख्वाहिश है कि वो एक बार अपनी बेटी के साथ जी भर के खेल सकें। उसे गोद में उठाकर स्कूल छोड़ने जाएं।

क्या होगा कोई चमत्कार ?

चंद्रपाल अक्सर सोचते हैं कि आखिर क्यों जिंदगी ने सबसे खूबसूरत मोड़ पर आकर उनसे मुंह मोड़ लिया। बेटी का चेहरा देखती ही रूह रोती है। पत्नी की शिद्दत सजदा मांगती है। दिल इनके लिए बहुत कुछ करना चाहता है, लेकिन इसके लिए वक्त को अपनी सुइयां 11 साल पीछे लेकर जानी पड़ेंगी। डॉक्टर भी हाथ खड़े कर चुके हैं। वो भी यही कहते हैं कि अब कोई चमत्कार ही चंद्रपाल को खड़ा कर सकता है।

रेलवे में कर्मचारी थे चंद्रपाल

बादशाह नगर रेलवे कॉलोनी में रहने वाले चंद्रपाल ने बताया कि वो रेलवे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर कार्यरत थे। एक्सीडेंट के बाद उनकी नौकरी उनकी पत्नी को दे दी गई। वो चाहते हैं कि यूपी सरकार आगे आए और उनकी मदद करे।

हर वक्त हिलते रहते हैं पैर

चंद्रपाल के कमर के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता है, उनके दोनों पैर हिलते रहते हैं। जब खून का दौरान बढ़ता है तो पैरों में ऐठन होने लगती है। चंद्रपाल ने बताया, ''पास में व्हील चेयर रखी तो रहती है, लेकिन वो मुझे और मैं उसे सिर्फ निहारता रहता हूं। अगर कोई इस पर उठाकर बैठा भी देता है तो थोड़ी देर बाद मैं इससे गिर जाता हूं।''

पत्नी को मेरा सलाम

चंद्रपाल ने जब अपनी पत्नी का जिक्र किया तो पलकें भीग गईं। होठों पर चुप्पी सी लग गई, क्योंकि उनका चेहरा और आंखें पत्नी के लिए प्यार और अपनापन खुलकर बयां कर रही थीं। उन्होंने बताया कि जब एक्सीडेंट हुआ था तो सात फेरों के इस रिश्ते की उम्र सिर्फ दो बरस थी। ऊपरवाले ने एक प्यारी सी बेटी हमारी गोद में डाली थी। उसकी उम्र दो महीने थी। किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक हादसा हर चेहरे की हंसी छीन लेगा। गर्व के साथ चंद्रपाल ने कहा, ''मेरी पत्नी ने एक पति और पिता दोनों का फर्ज बखूबी निभाया है। इसकी हिम्मत ने मुझे जीना सिखाया है। वक्त ने भले ही मुंह मोड़ लिया, लेकिन उसकी बेरूखी से मैं आज तक रूबरू न हुआ। मेरी दवाओं से लेकर बेटी की किताबों तक हर उस चीज का उसने ध्यान रखा है। घर से लेकर बाहर तक का सारा काम उसी ने किया है। जिंदगी से मैं सिर्फ इतना ही चाहता हूं कि हर जन्म में यही मेरी पत्नी बने।''

एक दिन मेरे पापा जरूर आएंगे

सबके पापा पेरेंट्स टीचर मीटिंग में जाते हैं सिवाय मेरे पापा के, लेकिन एक दिन वो मेरे साथ स्कूल जरूर जाएंगे, ये विश्वास है एक 11 साल की बेटी का। पायल के मुताबिक,''स्कूल में मैम हमेशा पूछती है कि तुम्हारे पापा क्यों नहीं आते, शुरुआत में तो कई बार डांट भी पड़ी। लेकिन अब स्कूल में सब जानते है कि मेरे पापा चल नहीं पाते, लेकिन मैंने सबसे बोल रखा है कि देखना एक दिन मेरा पापा स्कूल जरूर आएंगे।''

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