UP निकाय चुनाव: BJP ने ताकत झोंकी, पर विपक्ष क्यों दे रहा वॉकओवर

Update:2017-11-24 17:48 IST
UP निकाय चुनाव: BJP ने ताकत झोंकी, पर विपक्ष क्यों दे रहा वॉकओवर

Anurag Shukla

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में जहां बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं दूसरे दलों ने एक तरह से हथियार डाल दिए हैं।

दरअसल, निकाय हमेशा से ही बीजेपी का मजबूत किला रहा है। ऐसे में जहां बीजेपी अपना पूरा दमखम झोंक रही है, वहीं दूसरे दल सिर्फ रस्मअदायगी तक ही सीमित दिख रहे हैं। कम से कम यूपी में चुनाव लड़ रहे तीनों बड़े दलों के नेताओं को देखकर तो यही लग रहा है।

बीजेपी ने झोंकी ताकत

यूपी में निकाय चुनाव योगी सरकार की ताकत, सियासी पकड़ और विरोधियों के उनके पैराशूट से उतरने का जवाब बन सकते हैं। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस चुनावों को महज शहर की सरकार के लिहाज से नहीं देख रहे। इसी कारण मुख्यमंत्री ने इन चुनावों में 40 सभाएं कर रहे हैं। चरण वार वाररूम बनाकर बीजेपी इसे अंजाम दे रही है। साथ ही, निकाय चुनाव में प्रदेश के सारे नेता अपने-अपने स्तर पर इस निकाय चुनाव को लेकर गंभीर हैं।

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अखिलेश खुद प्रचार से गायब, लगाई टीम

समाजवादी पार्टी, बीजेपी की सियासी दुश्मन नंबर एक होने का दावा कर रही है। पर उसका सबसे बड़ा चेहरा अखिलेश यादव प्रचार से गायब है। उन्होंने कई मौकों पर कहा है, कि उनके कार्यकर्ता ही इस चुनाव को लड़ने में सक्षम हैं। यानी, या तो वह इन चुनावों को अहमियत नहीं दे रहे या फिर कुछ ज्यादा ही आसान समझ रहे हैं। अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के यूथ आइकान हैं और अपनी पार्टी के सबसे बड़े स्टार भी। पर उनका प्रचार से गायब होना रणनीति के लिहाज से भी लोगों को समझ नहीं आ रही।

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बसपा जमीन तलाश रही यूपी में, मायावती की रैली भोपाल में

उत्तर प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पटखनी खाने के बाद बसपा लगातार अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है। इसी वजूद की तलाश थी, कि कई साल बाद निकाय चुनाव बसपा ने सिंबल पर लड़ा, पर पार्टी सुप्रीमो मायावती भी प्रचार में उस तरह सक्रिय नहीं दिख रही हैं। आलम यह है, कि मायावती यूपी में निकाय चुनाव के बीचोबीच भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर रैली कर रही हैं और पार्टी का तंत्र इस फोटो को प्रचारित कर रहा है।

कांग्रेस फिर दिशाहीन

प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है, कि केंद्रीय मंत्री रहे प्रदीप जैन आदित्य खुद मेयर पद के दावेदार हैं। बावजूद इसके बड़े नेता चुनाव को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। राजधानी में मेयर के प्रत्याशी को लेकर ही कांग्रेस के तीन दावेदार हो गये थे। प्रदेश स्तर के नेता राष्ट्रीय हो चुके हैं और प्रदेश में नेता बचे नहीं ऐसे में निकाय चुनाव किससे भरोसे लड़ें, कांग्रेस के सिपाही के सामने ये बड़ा सवाल है।

क्या हो सकती है विपक्ष की रणनीति

उत्तर प्रदेश में निकाय हमेशा से ही बीजेपी का मजबूत पक्ष रहा है। तब भी जब बीजेपी की दूसरे चुनावों में हालत पतली हुआ करती थी। ऐसे में बीजेपी के किले में सेंध लगाने के लिए सबसे बड़े खिलाड़ी शायद इसलिए भी न आए हों, कि वे यहां पर भी शायद मिलने वाली असफलता का ठीकरा अपने सिर नहीं लेना चाहते। वहीं, बीजेपी और खुद मुख्यमंत्री के लिए यह चुनाव काफी अहम हैं। क्योंकि, यह योगी आदित्यनाथ की पार्टी, संगठन और सरकार में स्थिति को मजबूत बनाएंगे।

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