अयोध्या विवाद पर शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने किया ये बड़ा खुलासा
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैय्यद वसीम रिजवी ने बड़ा खुलासा किया है। रिजवी ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर कहा कि इस मसले का समाधान इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि इसमे पाकिस्तान का बड़ा हाथ है। राम जन्मभूमि विवाद के पीछे पाकिस्तान और मौलवियों की साठगांठ है।
लखनऊ : शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैय्यद वसीम रिजवी ने बड़ा खुलासा किया है। रिजवी ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर कहा कि इस मसले का समाधान इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि इसमे पाकिस्तान का बड़ा हाथ है। राम जन्मभूमि विवाद के पीछे पाकिस्तान और मौलवियों की साठगांठ है।
पाकिस्तान की तरफ से विवाद बढ़ाने के लिए इससे जुड़े मौलवियों को फंड भी मुहैया करा रहा है। पाकिस्तान ऐसा इसलिए कर रहा है जिससे मौलवी भारत में हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव पैदा करते रहें और यहां अशांति बनी रहे। उन्होंने कहा कि कश्मीर में भी जो कुछ हो रहा है वह पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है। रिजवी ने कहा कि आपसी बातचीत से ही मसले हल होने चाहिए।
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वसीम रिजवी ने यह भी कहा कि वह घाटी के मुसलमानों से मिलने जामु-कश्मीर भी जाएंगे। वहां भी वह मुसलमानों के बीच बाबरी मस्जिद को लेकर एक राय बनाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि वह समझाएंगे कि मुसलमानों को मस्जिद के लिए अलग से जमीन मिलनी चाहिए और विवादित जमीन पर मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए।
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बता दें कि इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए। इसके अलावा मस्जिद का निर्माण पास के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में हो। जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड सहमत नहीं हैं। रिजवी ने कहा कि देश की 80 फीसदी हिंदू आबादी की भावनाओं को देखते हुए अयोध्या में राम मंदिर बनने में शिया वक्फ बोर्ड को कोई आपत्ति नहीं हैं।
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गौरतलब है कि अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (11 अगस्त) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले से जुड़े दस्तावेज़ और गवाहियों के अनुवाद के लिए 12 हफ्तों का समय दिया है। मामले के एक पक्षकार रामलला विराजमान की मांग पर कोर्ट ने उन्हें चार हफ्तों का वक्त दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर तय की है। कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी पार्टी को अब आगे और मोहलत नहीं दी जाएगी और ना ही केस स्थगित किया जाएगा।
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बता दें कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में दर्ज हैं, जिस पर सुन्नी वक्त बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेज़ों को अनुवाद कराने की मांग की थी।