Motivational Story: आवश्यकतानुसार मुश्किल समय के लिए बचत करना जरूरी

Motivational Story: जब मैं मेहनत से भोजन इकट्ठा कर रही थी तो तुम आराम से सो कर गाना गा रहे थे, अब भुगतो! मुझे आलसी लोग पसन्द नहीं है

Report :  Kanchan Singh
Update: 2024-05-03 08:33 GMT

Motivational Story

Motivational Story: एक बार एक जंगल मे एक टिड्डा रहता था। उस ही जंगल में एक चींटी भी रहती थी। एक बार टिड्डा और चींटी एक ही पेड़ पर थे, उन दोनों ने एक दूसरे को देखा, बातचीत हुई और उनकी दोस्ती हो गयी।अब कभी जब दोनों मिलते तो वे एक दूसरे का अभिवादन करते और खूब बातें किया करते थे।गर्मियों के दिन थे। उन ही दिनों टिड्डा एक दिन दोपहर का खाना खाकर पेड़ में बैठकर आराम कर रहा था। गाना गुनगुना रहा था। उस ही पेड़ के नीचे चींटी अपनी अन्य साथियों के साथ भोजन इकट्ठा कर रही थी।अचानक टिड्डे की नजर अपनी दोस्त चींटी पर पड़ी उसने चींटी को रुकवाया और उससे बातचीत करने लगा।

टिड्डा बोला, ” दोस्त तुम इतनी धूप में यह क्या कर रही हो। “

चींटी बोली, ” दोस्त बरसात के दिन नजदीक हैं। उन दिनों खाना ढूंढना बहुत मुश्किल होता है। अतः हम बरसात के लिए भोजन इकट्ठा कर रहे हैं। तुमने क्या अपना भोजन इकट्ठा कर लिया है? जो तुम इतने निश्चिंत हुए हो?”

टिड्डा बोला, ” नहीं दोस्त मैं ऐसा नहीं करता। अभी तो मैं खाना खा कर आराम ही कर रहा था। तुम करो भोजन इकट्ठा, मैं गाना गाता हूँ फिर मैं सो जाता हूँ।”

चींटी को उस पर गुस्सा आया । लेकिन वह बिन कुछ कहे ही अपने झुंड में वापस चले गयी। और भोजन इकट्ठा करने लगी।.

बरसात के दिन शुरू हो गए। शुरू में ही चार- पांच दिन लगातार वर्षा हुई। टिड्डा 4 दिनों से भूखा था बारिश के कारण उसे कहीं भी खाना नही मिला, वह इधर उधर भटकता रहा।

फिर उसे याद आया कि उसकी दोस्त चींटी ने तो खूब सारा भोजन इकट्ठा किया है।क्यों न उसके पास मदद के लिए जाया जाए।

वह चींटी के घर गया और उसका दरवाजा खटखटाया। चींटी ने दरवाजा खोला। तब टिड्डे ने अपना दुख चींटी को बताया।

चींटी को उस पर बहुत गुस्सा आया औऱ वह बोली, ” जब मैं मेहनत से भोजन इकट्ठा कर रही थी तो तुम आराम से सोकर गाना गा रहे थे। अब भुगतो! मुझे आलसी लोग पसन्द नहीं है। तुम चले जाओ यहाँ से, हमने निश्चित खाना इकट्ठा किया है मैं नहीं दे सकती तुम्हें।”

टिड्डा उदास होकर वहां से चल दिया। क्योंकि अब बचत और निवेश का समय निकल चुका था तो उसके पास कोई रास्ता न बचा था ।

(लेखिका प्रख्यात ज्योतिषाचार्य हैं ।)

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