लखनऊ: कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हम कई जगह करते हैं लेकिन ये बेहद कम लोगों को पता है कि इसके जरिये हम डिप्रेशन के शिकार लोगों को भी बचा सकते हैं। दरअसल एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें ये बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मनोचिकित्सक किसी मानसिक रोगी को इससे मुक्त करवा सकते हैं। यानि डिप्रेशन से रोगी को छुटकारा मिल सकता है।
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ऐसे में यह तकनीक अब देश के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। ऐसी उम्मीद जागी है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मानसिक बीमारियों का उपचार कर सकते हैं। दरअसल AI और स्मार्ट एल्गोरिदम मानसिक बीमारियों की देखभाल में काफी विकसित हो चुका है। इसकी वजह से डिप्रेशन या अन्य मानसिक बीमारियों का शुरुआत में ही पता लगाया जा सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से होगा इलाज
यही नहीं, मनोचिकित्सक इसकी सहायता से इलाज भी कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो आत्महत्या के मामलों में भी कमी आएगी। साथी में मरीजों की जांच करके उपचार करने में आसानी होगी। मशीनी निदान रोगियों को इलाज के लिए प्रेरित करेगा। अभी भारत में अधिकांश मानसिक रोगी अपने को रोगी ही नहीं मानते।
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रिपोर्ट की बात करें तो इसमें कहा गया है कि देश में लगभग 5 करोड़ लोग डिप्रेशन का शिकार हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि जनसंख्या का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा सामान्य नहीं है, जबकि इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। न ही सरकार को इससे मतलब है और न ही समाज के किसी व्यक्ति को।
डिप्रेशन के लक्षण
- किसी काम में मन न लगना
- नेगेटिव सोचना
- उदासी और खालीपन
- नहीं होता घर से बाहर जाने का मन
- अनिद्रा की परेशानी
- नहीं करता बिस्तर छोड़ने का मन
- एक चीज पर नहीं रहता है फोकस
- जल्दी-जल्दी होता है मूड खराब
- आते हैं आत्महत्या के ख्याल