हर घर कुछ कहता है.. जानें कैसे कहेगा आशियाना आपकी क्रिएटिविटी की कहानी
वो कहते हैं न, हर घर कुछ कहता है। अगर आप प्यार से संवारें-सजाएं तो आपका घर भी आपकी क्रिएटिविटी की कहानी कहेगा। घर सजाने के लिए जरूरी नहीं कि महंगे सामान इस्तेमाल हों। कम से कम बजट में भी सज सकता है आपका घर। हर घर में बैठक से बेडरूम और रसोई से लेकर बरामदे तक लगभग एक-सी
लखनऊ: वो कहते हैं न, हर घर कुछ कहता है। अगर आप प्यार से संवारें-सजाएं तो आपका घर भी आपकी क्रिएटिविटी की कहानी कहेगा। घर सजाने के लिए जरूरी नहीं कि महंगे सामान इस्तेमाल हों। कम से कम बजट में भी सज सकता है आपका घर। हर घर में बैठक से बेडरूम और रसोई से लेकर बरामदे तक लगभग एक-सी चीजें होती हैं। सोफा, डाइनिंग टेबल, डबल बेड, अलमारी या फ्रिज-टीवी। इन्हीं सब के साथ किसी का घर इतना खास लगता है कि आप उसकी पसंद की दाद दिए बिना नहीं रह पाते। ऐसा तभी होता है, जब कोई व्यक्ति आम परंपरा से हट कर कुछ क्रिएटिविटी करे।
यह पढ़ें..हिलने लगी धरती: कर्फ्यू भूल घरों से भागे लोग, भूकंप से उड़ी नींदें
रंगों का चुनाव
रंगों का चुनाव तो अपनी पसंद के अनुसार ही करना चाहिए, लेकिन हर रंग की अपनी भी खासियत होती है, उस का सहारा ले कर भी रंगों का चुनाव करते हैं। हर रंग के जरीए अलग तरह की ऊर्जा का मिलती है। लाल रंग को सब से ज्यादा वाइब्रेंट माना जाता है। इस के ज्यादा होने से गुस्सा और तनाव बढ़ता है। ऐसे में इस रंग का इस्तेमाल बहुत ही सावधानी से होना चाहिए। पीला रंग खुशी और एकाग्रता बढ़ाता है। नीला रंग क्रिएटिविटी को बढ़ाता है। इससे रिलेक्सेशन की भावना मन में बैठती है। काला रंग शक्ति को प्रदर्शित करता है। सफेद रंग मासूमियत और सफाई का प्रतीक होता है। हरा रंग नेचर का प्रतीक होता है। यह आंखों को अच्छा लगता है।
पहले घर की सफाई
इंटीरियर डिजाइनर अब दीवारों पर रंगाई को वाल फैशन का नाम देते हैं। रंगाई पहले घर की सफाई के लिए होता था, अब वाल फैशन से दीवारों को अलग-अलग ढंग से सजाने का काम होता है। इस बात को ध्यान में रख कर अब पेंटिंग के सामान बनाने वाली कंपनियां कई तरह के रंग भी बनाने लगी हैं। घर की अंदरूनी दीवारों पर अपने सपनों के रंग भरने के लिए लोग अब डिफरेंट कलर कॉबिनेशन और डिजाइनिंग पेंट के लिए लाखों रुपए खर्च करने लगे हैं और लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए बाजार में अलग-अलग तरह के बेस्ट क्वालिटी के पेंट्स भी मिलने लगे हैं।
पेंट्स कारोबार से जुड़े लोग
पेंट्स कारोबार से जुड़े लोगों का कहना हैं कि कहते हैं कि रंगों में लोगों को कई चीजें चाहिए होती हैं। जैसे पेंट्स लंबे समय तक चलने वाले होने चाहिए। इन पर गंदगी का असर कम हो और इन को धुलाई कर के साफ और चमकदार बनाया जा सके। आजकल ईको-फ्रेंडली और हेल्दी होम पेंट्स की मांग भी खूब हो रही है, जिससे केवल घर की सेहत ही नहीं, घर वालों की सेहत भी सही रहता है।
दीवारों पर अपनी पसंद के रंग कराना सरल काम नहीं होता, इस को ध्यान में रख कर पेंट्स कंपनियों ने बाजार में रेडी टु यूज मैटीरियल बनाया है। इस के जरीए आप डिजाइनिंग और वाल कॉबिनेशन का सेलेक्शन आसानी से कर सकते हैं। दीवारें घर का सब से अहम हिस्सा होती हैं। इन पर सलीके से किया गया रंग घर को खूबसूरत बना देता है। दीवारों पर किए गए रंगों से घर में रहने वालों की क्रिएटिविटी का पता चलता है।
अब हर कमरे को अलग-अलग तरह से पेंट कराने का फैशन चल रहा है। इस के साथ ही लोग डेकोरेटिव वाल भी खूब पसंद करने लगे हैं। अब 3 दीवारों पर लाइट और 1 दीवार पर डार्क शेड पसंद किया जा रहा है। कुछ लोग डार्क शेड की जगह पर टैक्सचर डिजाइन को पसंद करते है।
पेंट्स के ऑप्शन
ड्राइंगरूम, बच्चों के कमरे और बेडरूम के लिए पेंट्स के तमाम ऑप्शन आने लगे हैं। इनके लिए अलग-अलग तरह के कलर और शेड्स बाजार में बिक रहे हैं। दीवारों पर पेंट्स को अच्छा दिखाने के लिए 3 बार पेंट किया जाता है। पहली बार पेंट करने में जिसे फर्स्ट कोट कहते हैं, प्राइमर यूज किया जाता है। इस के बाद दूसरे और तीसरे कोट में मेटैलिक सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, जो दीवारों को टाइल्स फिनिशिंग देता है। यह वॉशेबल होता है।
दीवारों को पेंट्स से सजाने के लिए कई तरह के टूल्स का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। इस में ब्रश, कौंब, बटर पेपर और पैचुला सहित तमाम टूल्स शामिल हैं। आजकल टेफ्लौन बेस्ट कलर का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसे दीवार पर रोलर के जरीए पेंट किया जाता है। प्रदीप सिंघल बताते हैं कि दीवारों को पेंट कराने के लिए बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है।
डिजाइन और पैटर्न
पहले करीब हर साल घर की दीवारों पर पेंट किया जाता था। अब ऐसा करना सुविधाजनक नहीं है। अब ऐसे पेंट्स आने लगे हैं, जिस से दीवारों के कलर सालोंसाल चलते है। इसके लिए कुछ सावधानी बरतने की जरूरत होती है। सब से पहले आप यह तय कर लें कि किस कमरे में कैसा रंग कराना है। इस में आप डिजाइन और पैटर्न भी तय कर लें।
यह पढ़ें..जल जीवन मिशन: गोवा में जल सेवा आपूर्ति की होगी सेंसर आधारित निगरानी
हल्के और गहरे रंग का कंट्रास्ट
जिस कमरे में ज्यादा रोशनी चाहिए, वहां हल्के और गहरे रंग का कंट्रास्ट लगाया जाता है। ड्राइंगरूम और डाइनिंगरूम में हल्के रंग सही रहता है। इस से कमरे में ज्यादा रोशनी दिखती है। जिन कमरों में खिड़कियां ज्यादा हों उन में ज्यादा रोशनी आती है। वहां पर गहरे रंगों का इस्तेमाल भी किया जाता है। गहरे रंगों के साथ कुछ स्पेशल इफेक्ट होने चाहिए, जिस से कमरा कुछ अलग दिख सके। बच्चों के कमरे के लिए हल्के पर थोड़ा खुले हुए रंगों का इस्तेमाल करना ठीक होता है।